पीएम मोदी मणिपुर की दुर्दशा पर चिंतन और एक बार फिर राज्य का दौरा करें: राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस मनाते समय हमें मणिपुर की दुर्दशा पर भी विचार करना चाहिए, जहां सच्ची आज़ादी अभी भी दूर है.

मणिपुर में कथित तौर पर गुमशुदगी के पोस्टर. (फोटो: ट्विटर/@ashoswai)

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार (15 अगस्त) को एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर का दौरा करने का आग्रह किया, जो पिछले साल मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष से जूझ रहा है.

3 मई, 2023 को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद से एक साल में मोदी ने 162 आधिकारिक यात्राएं कीं, जिनमें 4 मई, 2024 तक 14 विदेश यात्राएं शामिल हैं, लेकिन संकटग्रस्त राज्य में कोई भी यात्रा नहीं की.

रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने दिल्ली में रहने वाले मणिपुरी लोगों के एक समूह से मुलाकात की, जिन्होंने उनके साथ अपनी आपबीती साझा की.

गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘उन्होंने प्रियजनों से अलग होने के दर्द और संघर्ष ने उनके समुदायों पर जो शारीरिक और मानसिक बोझ डाला है, उसके बारे में बात की. मणिपुर में हमारे भाई-बहनों को यह कठोर वास्तविकता झेलनी पड़ रही है- लगातार भय की स्थिति.’

गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता भी हैं, ने केंद्र और भारतीय जनता पार्टी शासित मणिपुर सरकार से आग्रह किया कि वे वहां संघर्ष का यथाशीघ्र शांतिपूर्ण समाधान निकालने की दिशा में काम करें.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘स्वतंत्रता दिवस मनाते समय हमें मणिपुर की दुर्दशा पर भी विचार करना चाहिए, जहां सच्ची आजादी अभी भी दूर है. मैं प्रधानमंत्री से एक बार फिर मणिपुर का दौरा करने और केंद्र और राज्य दोनों सरकारों पर जल्द से जल्द शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करने के लिए दबाव डालने का आग्रह करता हूं.’

पिछले वर्ष मई से अब तक मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण 230 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 60,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं.

मई में जब पहली बार हिंसा भड़की थी, तब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया था, लेकिन वे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने के लिए 11 महीने बाद ही राज्य में वापस आए. आम चुनावों में भाजपा दोनों लोकसभा सीटें कांग्रेस से हार गई.

इस वर्ष जुलाई में मणिपुर के सांसद अल्फ्रेड कान-नगाम आर्थर ने संसद में अपने भाषण के दौरान मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि मणिपुर में हिंसा और गृहयुद्ध जैसी स्थिति के प्रति भारतीय राज्य मूकदर्शक बना हुआ है. सांसद 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने कहा था, ‘फिर भी हमारे प्रधानमंत्री मौन हैं, एक शब्द भी नहीं बोलते. राष्ट्रपति के अभिभाषण में इसका ज़िक्र तक नहीं है. मैं कहता हूं कि यह चुप्पी सामान्य नहीं है.’

उन्होंने मोदी सरकार की चुप्पी की तुलना औपनिवेशिक युग से करते हुए सदन से पूछा था, ‘क्या इसका मतलब यह है कि पूर्वोत्तर और विशेष रूप से मणिपुर के लोगों का कोई महत्व नहीं है?’

मणिपुर से अन्य कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोईजाम ने भी सत्तारूढ़ भाजपा और मोदी पर राज्य में जारी हिंसा के कारण विस्थापित हुए 60,000 लोगों की ‘पीड़ा और गुस्से’ को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया, जिसके कारण उन्हें दयनीय परिस्थितियों में राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.