मुंबई: कोलकाता रेप-हत्या के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में बहुजन महिलाओं को शामिल होने से रोका गया

मुंबई के पवई इलाके में स्थित जय भीम नगर बस्ती को जून महीने में गिरा दिया गया था. कोलकाता में हुई यौन हिंसा की घटना को लेकर क्षेत्र के हीरानंदानी गार्डन में हो रहे विरोध प्रदर्शन में फुटपाथ पर रहने को मजबूर हुई बस्ती की महिलाएं भी पहुंची थीं, लेकिन उन्हें हिस्सा नहीं लेने दिया गया.

जय भीम नगर की महिलाएं, जिन्हें प्रदर्शन में शामिल नहीं होने दिया गया. (फोटो साभार: स्पेशल अरेंजमेंट)

मुंबई: कोलकाता में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले को लेकर पूरे देश में आक्रोश देखने को मिल रहा है. पश्चिम बंगाल सहित देशभर के कई प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इस बीच अलग-अलग संगठित महिलाओं के समूह ने भी ‘रिक्लेम द नाइट’ नाम से एक देशव्यापी आंदोलन शुरू किया है, जिसका मकसद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करना है.

इस प्रदर्शन में शामिल होने और एकजुटता दिखाने के लिए तमाम हाउसिंग सोसाइटी और कॉलेज वॉट्सऐप समूहों में संदेश भेजे गए और सोशल मीडिया पर पोस्टर साझा किए गए. इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए राजनीतिक संबद्धता की परवाह किए बिना 14 अगस्त की रात को बड़ी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं.

मुंबई के पवई इलाके में स्थित हीरानंदानी गार्डन की महिलाओं ने भी एक ऐसे ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था, जिसमें ‘कंसर्न सिटीजन’ के बैनर तले सार्वजिनिक स्थल गैलेरिया शॉपिंग मॉल के बाहर ‘बड़ी संख्या’ में महिलाओं से एकत्र होने का आग्रह किया गया था.

इस प्रदर्शन में ज्यादातर हीरानंदानी परिसर के निवासी लगभग 60-80 महिलाएं और कुछ पुरुष रात 11 बजे के आसपास इकट्ठा हुए. इस आलीशान आवास परिसर से कुछ ही दूरी पर स्थित हाल ही में ध्वस्त की गई जय भीम नगर झुग्गियों की कई महिलाएं, जिनमें युवा और बुजुर्ग दोनों शामिल थीं, वो भी अपना समर्थन देने पहुंची थीं.

हालांकि, इस प्रदर्शन में शामिल होने आईं जय भीम नगर की महिलाओं से हीरानंदानी परिसर के लोग खुश नहीं नज़र आए और उन्होंने इन महिलाओं को प्रदर्शन स्थल से जाने को कह दिया.

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘आपके मुद्दे यहां उठाए गए मुद्दों से अलग हैं.’ वहीं एक अन्य ने कहा कि यह विरोध केवल हीरानंदानी परिसर के निवासियों के लिए आयोजित की गई है.

जय भीम नगर की झुग्गियों में रहने वाली महिलाएं फिलहाल बस्ती टूटने के बाद खुले में रहने को मजबूर हैं और आए दिन यौन हिंसा के डर का सामना कर रही हैं. ये महिलाएं हीरानंदानी निवासियों के साथ मिलकर कोलकाता डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता के खिलाफ आवाज उठाने और अपना दर्द बयां करने के लिए प्रदर्शन स्थल पर पहुंची थीं.

हालांकि, हीरानंदानी निवासियों ने इन्हें अपने प्रदर्शन में शामिल नहीं होने दिया और एक व्यक्ति ने बस्ती से पहुंचीं प्रदर्शनकारियों के हाथों से तख्तियां भी छीन लीं और वहां से जाने के लिए परेशान किया गया.

मालूम हो कि इस साल मानसून की शुरुआत में ही 6 जून को जय भीम नगर की झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया गया था. यहां लगभग 650 परिवारों ने अपने घर खो दिए, जिनमें वे दो दशकों से रह रहे थे. इनमें से कुछ प्रवासी परिवार अपने पैतृक गांव लौट गए, वहीं कई के पास यहां खुले में रहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था. बस्ती के आसपास के फुटपाथ अब इन लोगों के ‘घर’ बन गए हैं.

खुले में रहने को मजबूर पवई झुग्गी बस्ती के निवासियों ने 14 अगस्त के विरोध प्रदर्शन को अपना दर्द बयां करने के लिए भी एक सही अवसर के तौर पर देखा और उन्हें लगा कि इसके जरिये वे अपने दिन-प्रतिदिन के संघर्षों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर पाएंगे.

जय भीम नगर की महिलाएं. (फोटो साभार: स्पेशल अरेंजमेंट)

जय भीम नगर की महिलाओं ने जाति और वर्ग के स्पष्ट भेद के बावजूद, इन अंतरों को पाटने और एकजुटता बनाने की उम्मीद की थी. लेकिन वैसा नहीं हुआ, जैसी उन्होंने उम्मीद की थी.

22 वर्षीय रेशमा बताती हैं कि विरोध स्थल पर उनका अनुभव ‘उतना ही दर्दनाक’ था, जितना ध्वस्तीकरण कार्रवाई के समय उनका घर खोने का दुख.

रेशमा ने आगे कहा, ‘यह सार्वजनिक स्थान पर आयोजित विरोध प्रदर्शन का खुला आह्वान था. इसलिए हम उनके साथ शामिल हो गए. लेकिन उन्होंने हमें महसूस कराया कि इन लोगों के लिए केवल एक तरह की महिला और उनकी सुरक्षा मायने रखती है. हमारी सुरक्षा और चिंताओं को वे लैंगिक मुद्दों के रूप में नहीं देखते हैं.’

प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचीं जय भीम नगर बस्ती की महिलाओं के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, ‘जय भीम नगर की महिलाओं की एक ही मांग है: सुरक्षा!’

ध्वस्त झुग्गी बस्ती के निवासियों में से एक मीना ताई, जो नगर निगम के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं ने बताया, ‘यह उनके लिए रोज़मर्रा की हिंसा को समझने का मौका था, जो राज्य और आम जनता हमारे जैसी महिलाओं पर थोपती है. बस्ती गिराए जाने के बाद से हमारे परिवारों को फुटपाथ पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस बस्ती की महिलाओं और युवा लड़कियों ने कभी इतना असुरक्षित महसूस नहीं किया है.’

उन्होंने आग कहा, ‘ऊंची इमारतों की ये महिलाएं केवल अपने जैसे लोगों के साथ सहानुभूति रख सकती हैं. उनके लिए एक महिला केवल तभी पीड़ित होती है, जब वह अपनी जाति और वर्ग से आती है. हममें से बाकी लोग उनके लिए मायने नहीं रखते हैं.’

ज्ञात हो कि करीब दो दशकों से जय भीम नगर बस्ती में ज्यादातर दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और विमुक्त समुदायों (Denotified communities) के परिवार रहते हैं. उनका आरोप है कि बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों को ध्वस्त कर दिया गया. पीड़ितों ने इसके लिए शहर के नागरिक निकाय के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख भी किया है.

जय भीम नगर के कई लोगों का आरोप है कि हीरानंदानी डेवलपर्स के इशारे पर उनकी झुग्गियों को तोड़ा गया था. 6 जून को जब ये लोग इस ध्वस्तीकरण का विरोध कर रहे थे, तब हीरानंदानी के लोगों द्वारा कथित तौर पर महिलाओं और बच्चों के साथ अभद्रता की गई. जब इन लोगों ने जवाबी कार्रवाई की, तो पुलिस ने उनमें से कई पर गैर-जमानती धाराओं के तहत आरोप लगाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

इस बस्ती की एक बच्ची, जो 14 अगस्त के विरोध प्रदर्शन में अपनी मां के साथ गई थी, ने कहा कि कोलकाता बलात्कार की घटना ने उसे हिलाकर रख दिया. बच्ची ने बताया, ‘मैं उनसे (कोलकाता महिला डॉक्टर) कभी नहीं मिली, लेकिन मैं उनसे खुद को जोड़ सकती हूं. फुटपाथ पर रहने की वजह से मैं भी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती हूं’

बच्ची का कहना है कि फुटपाथ की ओर जाने वाली जिस गली में वो लोग फिलहाल रहते हैं, वहां स्ट्रीट लाइट भी नहीं है. रात में, महिलाएं बारी-बारी से जागती हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई राह चलता व्यक्ति उनके साथ छेड़छाड़ न करे.

इस नाबालिग लड़की का डर निराधार नहीं है. फुटपाथ पर रहने के दौरान कई महिलाओं और युवा लड़कियों को यौन शोषण का सामना करना पड़ा है. इन महिलाओं को लगातार निगरानी का भी सामना करना पड़ता है. झुग्गियों को तोड़ने के तुरंत बाद इस पूरे इलाके में सीसीटीवी लगाए गए थे. जय भीम नगर के निवासियों का आरोप है कि यह हीरानंदानी डेवलपर्स और निवासियों के इशारे पर किया गया था.

एक महिला ने बताया, ‘सार्वजनिक शौचालयों की ओर जाने वाली लेन तक में भी अब सीसीटीवी लगाए गए हैं.’

हालांकि, ऐसा नहीं है कि जय भीम नगर की महिलाओं का आसपास के आलीशान आवासीय परिसरों में रहने वाले लोगों से कोई संबंध नहीं है. इन लोगों के घरों में सुरक्षा गार्ड से लेकर घरेलू सहायिकाओं तक काम करने वाली अनेकों महिलाएं इन्हीं बस्तियों से हैं.

जय भीम नगर की महिलाएं, विशेष रूप से युवा लड़कियां अपने घर खोने के बाद फुटपाथ पर रहने की मुश्किल परिस्थितियों से बचने के लिए तत्काल प्रभाव से नौकरियों की तलाश कर रही हैं. इनमें से कई ने जल्दबाजी में मजबूरी के चलते शोषणकारी माहौल और बहुत कम मजदूरी को भी स्वीकार कर लिया है.

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