– मणिपुर की हिंसा की जांच कर रहे न्यायिक आयोग के सामने एक विस्फोटक रिकॉर्डिंग पेश की गई है, जो मणिपुर की हिंसा में मुख्यमंत्री की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करती है. हालांकि मणिपुर सरकार इस रिकॉर्डिंग के जाली होने का दावा कर रही है. इस रिकॉर्डिंग के सामने आने के बाद मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में मणिपुर के मुख्यमंत्री की भूमिका जांच की जद में आ सकती है, क्योंकि आरोप है कि उन्होंने पिछले साल राज्य के कुछ हिस्सों में जानलेवा तरीके से विनाशकारी गोला बारूद (51 एमएम मोर्टार बमों) के इस्तेमाल का समर्थन किया.
– राज्य में पिछले एक साल से ज्यादा समय से जारी हिंसा पर अभी तक काबू नहीं पाया जा सका है और मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच सुलह-समझौते की कोई सार्थक कोशिश नहीं की गई है. 3 मई, 2023 को मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री ने अब तक राज्य का एक भी दौरा नहीं किया है. यहां तक कि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान वहां प्रचार भी नहीं किया.
– सरकारी आंकड़ों के हिसाब से इस डबल इंजन राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद से हिंसा में कम से कम 226 लोग मारे गए हैं.
नई दिल्ली : मणिपुर हिंसा की जांच करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा गठित जांच आयोग के पास एक ऑडियो फाइल जमा की गई है, जिसके बारे में यह दावा किया जा रहा है कि इसमें सुनाई दे रही आवाज राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की है. अगर यह ऑडियो फाइल सही है तो यह राज्य में 3 मई, 2023 से जारी गृह युद्ध में राज्य प्रशासन की भूमिका का अहम सबूत होगा.
कथित तौर पर इस 48 मिनट की रिकॉर्डिंग को बनाने वालों ने द वायर को यह जानकारी दी है कि यह रिकॉर्डिंग बीरेन सिंह की उपस्थिति में की गई थी, जिसमें मुख्यमंत्री ने स्पष्ट तौर पर राज्य में जारी हिंसा में अपनी पक्षपातपूर्ण भूमिका की ओर संकेत किया है. स्रोतों ने अपनी सुरक्षा पर खतरे का हवाला देते हुए अपनी पहचान गोपनीय रखकर द वायर को बताया कि यह सामग्री मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर कथित तौर पर इस रिकॉर्डिंग को करने वालों द्वारा इसके प्रामाणिक होने का सत्यापन करने वाले एक हलफनामे के साथ आयोग को सौंप दी गई है. इस रिकॉर्डिंग को देने वालों ने आयोग से भी अपनी सुरक्षा और अपनी पहचान गोपनीय रखने की मांग की है.
इस ऑडियो रिकॉर्डिंग की तारीख और समय, और साथ ही साथ वे परिस्थितियां जिनके भीतर यह रिकॉर्डिंग की गई थी, की जानकारी भी इस हलफनामे के द्वारा आयोग को दी गई है. लेकिन द वायर ऐसी किसी भी जानकारी का प्रकाशन नहीं कर रहा है, जिससे साक्षी की पहचान उजागर हो और उसकी सुरक्षा पर कोई खतरा पैदा हो.
गौरतलब है कि मई 2024 तक राज्य की हिंसा में मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा 226 है, जबकि 39 लापता हैं. साथ ही मेईतेई और कुकी-जो, दोनों समुदायों के लगभग 60,000 लोग अभी भी विस्थापित हैं और अपने घरों को लौटने में असमर्थ हैं. आधिकारिक आश्वासनों के बावजूद, राज्य और केंद्र दोनों ही जगहों की भारतीय जनता पार्टी की सरकार खूनखराबे का अंत करने में नाकाम रही है. इससे भी अहम बात यह है कि उन्होंने मेईतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच की खाई को पाटने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया है.
बयानों को जिस तरह से दर्ज किया गया है वे सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और भड़काऊ हैं और हिंसा से जूझ रहे राज्य के सत्ताधारियों को लेकर बुनियादी चिंताएं पैदा करते हैं. इससे पता चलता है कि सत्तारूढ़ व्यवस्था पक्षपातपूर्ण है, और मेईतेई और कुकी के बीच मौजूदा ध्रुवीकरण को ठीक करने के बजाय इसे और तेज करने पर आमादा है.
द वायर ने एक विश्वसनीय स्रोत से जुलाई महीने में ही रिकॉर्डिंग की प्रति हासिल कर ली थी, लेकिन हमने तब तक इसका प्रकाशन नहीं किया, जब कि हमें इस बात की जानकारी नहीं मिली कि इस रिकॉर्डिंग को विधिसम्मत तरीके से गठित जांच समिति के समक्ष आधिकारिक तौर पर जमा करा दिया गया है.
7 अगस्त को कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने प्रेस में इस रिकॉर्डिंग के कुछ अंशों को प्रेस रिलीज के मार्फत साझा किया और इनको कई सोशल मीडिया हैंडलों द्वारा प्रसारित किया गया. उसी रात मणिपुर सरकार ने एक बयान जारी करके रिकॉर्डिंग में बीरेन सिंह की आवाज होने के दावे का खंडन किया और इसे ‘जाली’ करार दिया.
बयान में कहा गया, ‘यह सरकार के संज्ञान में आया है कि एक ऑडियो रिकॉर्डिंग, जिसके बारे में गलत तरीके से बीरेन सिंह के होने का दावा किया जा रहा है, का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से प्रसार किया जा रहा है. यह जाली वीडियो कुछ तबकों द्वारा सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है.’
हालांकि, द वायर यह स्वतंत्र तौर पर सत्यापित नहीं कर पाया है कि इस रिकॉर्डिंग में आ रही आवाज वास्तव में बीरेन सिंह की है, लेकिन हमने उस मीटिंग में शामिल कुछ लोगों से स्वतंत्रत तौर पर इस मीटिंग की तारीख, विषय और इसकी विषयवस्तु की पुष्टि की है. उनमें से कोई भी अपनी सुरक्षा पर खतरे के डर से अपनी पहचान को उजागर नहीं करना चाहता है.
इस मीटिंग में उपस्थित होने का दावा करने वाले कुछ लोगों का यक़ीन के साथ कहना है कि रिकॉर्डिंग में सुनाई दे रही आवाज वास्तव में बीरेन सिंह की है और उन्होंने सचमुच में उनकी मौजूदगी में ये बातें कही थीं.
इनमें से कुछ लोगों ने द वायर से इस बात की पुष्टि की कि पूरी ऑडियो क्लिप सेवानिवृत्त जस्टिस अजय लांबा की अध्यक्षता वाली जांच समिति के समक्ष जमा करा दी गई है. लांबा गौहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं.
गौरतलब है कि इस आयोग का गठन 4 जून, 2023 को गृह मंत्रालय द्वारा किया गया था.
चूंकि इस रिकॉर्डिंग की सामग्री – मणिपुर और शेष भारत के लोगों के लिए – अहम जनहित से जुड़ी हुई है इसलिए द वायर इसके मुख्य अंशों को सार्वजनिक कर रहा है. हम यह अच्छी तरह समझते हैं कि पूरी रिकॉर्डिंग और उसका लिप्यंतरण अब आयोग के रिकॉर्ड का हिस्सा हैं, इसलिए हम ऑडियो के कुछ हिस्सों को फिलहाल सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वे राज्य में कुछ लोगों की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, और व्यापक क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकते हैं.
रिकॉर्डिंग मेईतेई भाषा में है, जिसमें कुछ वाक्य हिंदी में भी हैं. मणिपुर के बाहर के पाठकों की सुविधा के लिए, हमने इसका हिंदी में अनुवाद किया है, जो कि एक मेईतेईभाषी द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद पर आधारित है.
यह रिकॉर्डिंग मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा के मद्देनजर मुख्यमंत्री के रूप में बीरेन सिंह की भूमिका को लेकर एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है: सवाल है कि क्या वे संकटग्रस्त राज्य में शांति लाने की कोशिश करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वाह कर रहे थे या वे मेईतेई समुदाय के नेता के रूप में अपनी साख चमकाने की कोशिश कर रहे थे, भले ही इसका नतीजा दोनों समुदायों को एक साथ लाने के प्रयासों पर कुठाराघात करने के तौर पर निकलता हो?
उनकी चूक और गलतियों की उनके राज्य के सभी समुदायों के लोगों को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. 1 अगस्त 2024 को बीरेन सिंह ने राज्य विधानसभा को बताया कि राज्य में मई 2023 से जारी जातीय संघर्ष में 226 लोग मारे गए हैं और 39 लोग अभी भी लापता हैं. उन्होंने कहा कि 11,133 घर आगजनी का शिकार हुए और हिंसा के 11,892 मामले दर्ज किए गए हैं. सिंह ने बताया कि अभी तक 59,414 लोग राहत शिविरों में हैं और 5,554 लोगों की कृषि से संबंधित भूमि भी इससे प्रभावित हुई. .
जो रिकॉर्डिंग आज हम प्रकाशित कर रहे हैं, उसमें मुख्यमंत्री को कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मज़ाक उड़ाते हुए सुना हुआ जा सकता है जिसमें वे राज्य में ‘बमों’ के इस्तेमाल पर चर्चा कर रहे हैं और अमित शाह के आदेशों को न मानने और राज्य पुलिस शस्त्रागार से हज़ारों घातक हथियार छीनने वालों का बचाव करने को लेकर डींगें हांक रहे हैं.
‘अरे, तुम बम मारते हो?’, अमित शाह ने पूछा
मणिपुर संकट से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना के बाद पिछले साल अगस्त में संसद को संबोधित करते हुए अमित शाह ने बीरेन सिंह का जोरदार बचाव करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री राज्य में जातीय संघर्ष को शांत करने के लिए केंद्र सरकार के साथ ‘सहयोग’ कर रहे हैं.
मणिपुर को लेकर विपक्ष पर ‘राजनीति करने’ का आरोप लगाते हुए शाह ने 9 अगस्त, 2023 को राज्य में पार्टी की ‘डबल इंजन सरकार’ पर भरोसा जताया और कहाः
‘…हमने डीजीपी बदला. उन्होंने केंद्र के डीजीपी को स्वीकार किया. हमने मुख्य सचिव को बदला, उन्होंने हमारे भेजे मुख्य सचिव को स्वीकार किया. मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत तब पड़ती है जब वह सहयोग नहीं करता. लेकिन यहां मुख्यमंत्री सहयोग कर रहे हैं.’
लेकिन ऑडियो क्लिप कुछ और ही बयां कर रही है.
हिंदी और मेईतेई भाषा में बोलते हुए बीरेन सिंह की कथित आवाज में यह कहते हुए सुना जा सकता हैः
‘जब अमित शाह यहां आए, तब उन्होंने पूछा :
‘बीरेन जी!’
‘हां सर!’
अरे! तुम बम मारता है? (पीछे से हंसने की आवाज)
सबने सुना! ‘बम मारता है?’ मतलब उस दिन से ही उन्होंने (मुझे) बमों का इस्तेमाल रोकने का निर्देश दिया. मत मारना, (तुम बम का इस्तेमाल कर रहे हो? उनका इस्तेमाल मत करो) उन्होंने डीजीपी और सभी लोगों को बुलाकर (हमें) निर्देश दिया, ‘बम का इस्तेमाल मत करना’
उनके (अमित शाह के) के जाने के बाद, मैंने उनसे कहा’ होय! चुपके से करना है. ओपेन (खुलेआम) नहीं करना है. अगर आपको मुझ पर भरोसा नहीं है, तो अग्रिम पंक्ति के कमांडोज से इस बात की दरयाफ्त कर सकते हैं.’
माना जा सकता है कि वे अमित शाह की 20 मई 2023 से शुरू हुई मणिपुर की तीन दिवसीय यात्रा का जिक्र कर रहे हैं. उस समय राज्य के डीजीपी राज्य कैडर से 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी पी. डॉन्गेल थे. डॉन्गेल का संबंध कुकी समुदाय से है. लेकिन शाह की यात्रा के ठीक बाद जून, 2023 में डॉन्गेल को ओएसडी (गृह) बना दिया गया. यह पद उनके लिए खासतौर पर नए डीजीपी राजीव सिंह के लिए जगह बनाने के लिए बीरेन सिंह ने बनाया गया.
डॉन्गेल अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. द वायर ने से संपर्क करने की कोशिश की है, उनका जवाब मिलने पैट रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
हालांकि, वर्तमान में इंफाल में सेवारत एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने किसी वरिष्ठ अधिकारी द्वारा कमांडो दस्ते को कुकी इलाकों में ‘बम’ इस्तेमाल करने का निर्देश दिए जाने की बात से इनकार किया.
उस अधिकारी ने द वायर को बताया, ‘51 मिमी मोर्टार बम जैसे बमों का इस्तेमाल उपद्रवी भीड़ द्वारा पुलिस शस्त्रागार से हथियार लूट लिए जाने की घटना के बाद ही दिखाई दिया.’
51 मिमी मोर्टार बम की रेंज लगभग 900 मीटर होती है और संपर्क में आने के साथ ही फट जाते हैं; वे घरों, गाड़ियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं और यहां तक कि जान भी ले सकते हैं.‘
नाम न बताने की शर्त पर हमसे बात करनेवाले उस वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जातीय संघर्ष के 2-3 दिन बाद गृह विभाग को सारी जानकारी मुख्यमंत्री को देने का निर्देश दिया गया था; हमने उस अनौपचारिक आदेश का पालन किया. इसलिए गृह मंत्री के तौर पर वे ही थे जो हिंसाग्रस्त इलाकों में तैनात लोगों को सीधे निर्देश दे रहे थे.’
‘बम’ के इस्तेमाल के अन्य सबूत
पिछले साल अमित शाह के दौरे के बाद इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) द्वारा जारी अनेक प्रेस विज्ञप्तियों में भी कुकी गांवों पर 51 मिमी मोर्टार बम के इस्तेमाल का जिक्र किया गया था. 22 जून, 2023 को आईटीएलएफ की एक प्रेस विज्ञप्ति में यह दावा किया गया कि कुछ ‘अज्ञात उपद्रवियों’ ने ‘लामका (चूड़ाचांदपुर) जाने वाली सड़क को काटने की कोशिश में क्वाकता क्षेत्र में एक पुल को नष्ट करने के लिए ‘एक अत्यधिक शक्तिशाली बम’ का इस्तेमाल किया.
जून 2023 में असम राइफल्स और राज्य पुलिस की एक संयुक्त टीम ने एक तलाशी अभियान के दौरान पूर्वी इंफाल जिले से एक 51 मिमी मोर्टार बम बरामद किया. बाद के महीनों में ऐसे और कई मामले सामने आए.
31 अगस्त 2023 को आईटीएलएफ द्वारा ‘बमों‘ के इस्तेमाल का एक और जिक्र किया गया. ‘पिछले कुछ समय से मेईतेई उग्रवादी पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से चुराए गए मोर्टार गोले से आदिवासी क्षेत्रों पर हमला कर रहे हैं जिससे आदिवासी हताहत हो रहे हैं.’
पिछले साल स्थानीय मीडिया ने भी कुकी उग्रवादियों द्वारा मेईतेई गांवों पर ‘बमबारी’ की खबर दी थी. सितंबर 2023 में, इंफाल फ्री प्रेस ने बताया कि बिष्णुपुर जिले के मोइरांग के पास एक इंप्रोवाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस (आईईडी) पाया गया था, जिसके बारे में शक जताया गया था कि यह एक ड्रोन की मदद से कुकी आतंकवादियों द्वारा गिराया गया था. ‘किस्मत से, डिवाइस में विस्फोट नहीं हुआ’.
हथियार के लुटेरों का बचाव?
ऑडियो क्लिप में सीएम की कथित आवाज में यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्होंने राज्य पुलिस शस्त्रागार से हज़ारों हथियार ‘छीन’ लेनेवाले ‘ग्राम रक्षकों’ को गिरफ्तारी से बचाया था.
साथ ही उन्हें यह पूछते हुए भी सुना जा सकता है कि
‘4000/5000 बंदूकें…कौन गिरफ़्तार हुआ है? अब तक लगभग 4,000-5000 बंदूकें छीनी जा चुकी हैं, लेकिन आखिर किसकी गिरफ़्तारी हुई है? उन्होंने सीएम को गिरफ़्तार नहीं किया है…अगर वे गिरफ्तार करते हैं, तो सबसे पहले गिरफ्तार होनेवाला सीएम ही होगा. 4000-5000 बंदूकें छीनने के आरोप में मुझे ही गिरफ्तार किया जाएगा.
बीरेन सिंह राज्य के गृह मंत्री भी हैं और इस तरह राज्य पुलिस के प्रमुख भी हैं, और जिस आवाज़ के बारे में दावा किया जा रहा है कि वह उनकी है, उसे यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अगर किसी को (केंद्रीय बलों द्वारा) गिरफ्तार किया भी जाता है, तो वे ‘हालात सामान्य होने पर’ तो उनकी रिहाई के लिए ‘सिफारिश करेंगे’:
‘कुछ भी हो, हम अपनी तरफ़ से देखेंगे और आप भी अपनी तरफ़ से अपना काम करें. खुद को गिरफ्तार न होने दें. मतलब, जब समन भेजा जाए, तो न जाएं. कुछ समय लें. जब चीज़ें शांत हो जाएंगी, तो मैं आपका पक्ष लूंगा….’
हिंसक संघर्ष के दौरान राज्य के शस्त्रागार से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद के विशाल भंडार के बारे में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में व्यापक कवरेज के कारण राज्य प्रशासन पर उन्हें जब्त करने का काफी दबाव था, विशेष रूप से आम चुनाव से पहले. इसके चलते सरकार द्वारा घाटी के इलाकों में बक्से रखने की असाधारण स्थिति पैदा हो गई, जिसमें पुलिस शस्त्रागार से हथियार लेने वालों से उन्हें वापस करने का आग्रह किया गया. यह अनुरोध राज्य प्रशासन की ओर से एक मौन आश्वासन के साथ आया कि हथियार वापस करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
गृह मंत्रालय के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, राज्य के शस्त्रागार की लूट के ठीक बाद गृह मंत्री अमित शाह ने ‘गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों और कम से कम एक मंत्री एल. सुशींद्रो याइमा की मौजूदगी में मुख्यमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की थी.’
उस सूत्र ने कहा, ‘उस वीडियो कॉन्फ्रेंस में गृह मंत्री मुख्यमंत्री के प्रति बेहद सख्त थे; गृह मंत्री ने उनसे साफ तौर पर कहा था कि अगर वे जल्द ही हथियार बरामद नहीं करते हैं, तो इससे उनके राजनीतिक करियर पर असर पड़ सकता है. यह चेतावनी उन्हें उस बैठक में मौजूद सभी लोगों के सामने दी गई थी.
शाह की चेतावनी के बावजूद मुख्यमंत्री हथियार बरामद करा पाने में समर्थ नहीं हो पाए. मार्च 2024 में सिंह के बयान के अनुसार, मणिपुर राज्य प्रशासन ने अब तक राज्य पुलिस शस्त्रागारों से लूटे गए लगभग 5,600 हथियारों और 6.5 लाख राउंड गोला-बारूद में से केवल 1,757 हथियार और 22,707 राउंड गोला-बारूद बरामद किया है.
इस ऑडियो क्लिप में बोलने वाले को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे राज्य की विधानसभा के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे, जो सबसे ज्यादा संभावना है ‘ग्राम रक्षकों’ को दिए जाएंगे. और यह भी कि यदि राज्य पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है, तो वह इससे निपटेंगे’:
‘आजकल, मेरे खिलाफ़ एक आरोप लगाया जा रहा है. मुझ पर यह आरोप है कि मैं बड़ी संख्या में पूरी तरह से हथियारों से लैस वाहनों को इधर-उधर जाने की इजाजत दे रहा हूं. क्या आप इसे चारों तरफ नहीं देखते? फिर सरकार कहां है? क्या सरकार का अस्तित्व है? युद्ध के मैदान में, अग्रिम मोर्चे पर ऐसा करना एक अलग बात है.. आज एक गोलीबारी हुई…कोई एक शब्द नहीं बोलता. वहां पहाड़ियों में…लेकिन ठीक यहां अगर अगर ऐसी चीजें…(अस्पष्ट)…
रुको…एजी को आने दो (अस्पष्ट)…विधानसभा से…देखते हैं कि हम उन्हें कैसे दे सकते हैं…हम समय के लिए सब कर रहे हैं…अगर हम अभी ऐसा नहीं करते हैं, तो वे कहेंगे कि बीरेन ने कमांडोज को उन्हें वापस लेने की इजाजत दी है….इसलिए उन्होंने शक्ति छीन ली है. उन्होंने मुझे एकीकृत कुर्सी कमान से हटा दिया है (हंसने की आवाज). वह हथियार दे रहा है…वह कमांडो और अन्य लोगों को लामबंद कर रहा है (अस्पष्ट)…पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ठीक है…मैं उसे देख लूंगा.’
31 मई, 2023 को मणिपुर के राज्यपाल के आदेश से बीरेन सिंह को यूनिफाइड कमांड के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.
केंद्र सरकार की एजेंसियों ने कुछ गिरफ्तारियां की गईं
सितंबर 2023 और मार्च 2024 के बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने राज्य में चार सनसनीखेज गिरफ्तारियां कीं, जिसमें इंफाल में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) के पामबेई गुट के तीन शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी भी शामिल थी; उन सभी पर दिल्ली में दर्ज एक मामले (23/2023) में, जो राज्य को अस्थिर करने के लिए एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ की जांच से संबंधित है, कुकी लोगों के खिलाफ हिंसा में मदद करने और उसे बढ़ावा देने का आरोप था.
हालांकि, केवल मेईतेई समुदाय से ताल्लुक रखनेवाले लोगों की गिरफ्तारी ने मेईतेई नागरिक समाज संगठनों के बीच हंगामा खड़ा कर दिया, जिससे घाटी के इलाकों में एक के बाद एक कई बंद हुए. मुख्यमंत्री से इन गिरफ्तारियों पर रोक लगाने की मांग की गई.
इस साल मार्च में, बीरेन सिंह को केंद्र से तीन यूएनएलएफ (पी) नेताओं की रिहाई के लिए अपील करते देखा गया, जिन्हें एनआईए ने हाल ही में गिरफ्तार किया था. दिलचस्प बात यह है कि कुछ महीने पहले ही, नवंबर 2023 में, अमित शाह ने नई दिल्ली में इस समूह के साथ एक ‘ऐतिहासिक’ शांति समझौते पर दस्तखत किया था.
सितंबर, 2023 में एनआईए ने एक अन्य मामले में इंफाल की एक स्थानीय अदालत द्वारा जमानत मिलते ही मोइरंगथेम आनंद सिंह नामक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया. राज्य पुलिस की एक टीम ने आनंद सिंह को चार अन्य लोगों के साथ पुलिस की वर्दी पहने एक वाहन में हथियार ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उन गिरफ्तारियों पर नागरिक समाज संगठनों, विशेष रूप से मीरा पाइबीज़ द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन भी देखा गया, जिसके सदस्य कथित तौर पर उस स्थानीय अदालत में मौजूद थे, जिसने जल्द ही उन्हें जमानत दे दी. लेकिन, राज्य पुलिस द्वारा रिहा किए जाने से पहले, इंफाल में मौजूद एनआईए की एक टीम ने आनंद सिंह को फिर से गिरफ्तार कर लिया और उसी दिन उसे दिल्ली ले गई.
मई 2024 में, मोइरंगथेम आनंद सिंह को एनआईए ने गुवाहाटी की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर आरोपपत्र में मणिपुर की प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक ‘प्रशिक्षित कैडर’ के रूप में नामित किया गया था; केंद्रीय एजेंसी ने उन पर जातीय संघर्ष के दौरान इंफाल के एक सार्वजनिक पार्क में मेईतेई युवाओं को हथियार प्रशिक्षण देने का आरोप लगाया था.
जारी है नेतृत्व संघर्ष
जून 2023 में जब संघर्ष को रोका नहीं जा सका, तो मणिपुर के कुकी और विपक्षी दलों की ओर से बीरेन सिंह को हटाने की मांग उठने लगी. जून के अंत में मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि सिंह संभवतः इस्तीफा दे देंगे. हालांकि, 30 जून को नाटकीय घटनाक्रम के बाद चीजें बदल गईं. मीरा पाइबीज़ की एक सदस्य ने स्थानीय मीडिया के सामने सिंह द्वारा कथित तौर पर लिखे गए इस्तीफे के पत्र को फाड़ दिया, इसके बाद महिलाओं ने उनकी कार को राज्यपाल के आवास की ओर जाने से रोक दिया. सिंह ने तुरंत अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वह इस ‘महत्वपूर्ण मोड़’ पर इस्तीफा नहीं देंगे.
इस तरह बीरेन सिंह अपने पद पर बने रहे, लेकिन उन्हें हटाने की मांग उठनी बंद नहीं हुई. राज्य में शांति लाने के लिए सिंह को हटाने का मुद्दा राज्य भाजपा और आरएसएस के भीतर 2023 के अंत में चर्चा का विषय बन गया था.
तब से कई प्रतिनिधिमंडलों ने आरएसएस के राष्ट्रीय नेताओं और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को बदलाव की ज़रूरत के बारे में अवगत कराया है.
2024 के आम चुनावों में भाजपा के निराशाजनक प्रदर्शन ने सिंह को हटाने की मांग को और मज़बूती दी है. बता दें कि भाजपा ने मणिपुर की दोनों लोकसभा सीटें गंवा दी हैं, एक पर कांग्रेस और दूसरे पर उसके सहयोगी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को जीत मिली है.
बीरेन सिंह को दिल्ली और इंफाल में हो रही इन गतिविधियों की जानकारी है. ऑडियो रिकॉर्डिंग (जिसे बीरेन सिंह की आवाज़ बताया जा रहा है) में वह बहुसंख्यक समुदाय के नेता के रूप में अपनी साख स्थापित करने की कोशिश कर रहा है, जो कुकी समुदाय पर ‘बम गिराने’ से भी नहीं हिचकिचाएगा:
‘कुकी मुझे डांटेंगे, गाली देंगे… और क्यों नहीं देंगे ? मैंने बहुत बर्बादी की है… ज़ब्ती हुई हैं… तो वो क्यों मुझे भला-बुरा नहीं कहेंगे ? लेकिन हमारे बीच… क्या उन्हें नहीं पता कि मैं चीज़ों को कैसे देख रहा हूं? मेरे हाथ से ताकत ली जा चुकी है.
उनके यहां (कुकी समुदाय में) ज्यादा जानें गई हैं. लगभग 300 कुकी मारे गए हैं. शुरुआत में तो उस तरफ (म्यांमार) से आए लुंगी पहनने वाले भी थे. वो अब भी हैं. लेकिन बड़ी संख्या में आर्मी के आने के बाद उनमें से कई पीछे हट गए. उस समय मैं काफी निराश हुआ था. मुझे इस बात को लेकर बहुत गुस्सा आया कि- वो जिन्हें [मेईतेई] राजा ने शरण दी थी- वो घाटी में आकर हमले करने लगे. मुझ पर इस बात का गहरा असर हुआ, इस बात ने मुझे डराया भी…
मुझे ऐसा कहना तो नहीं चाहिए, मगर ऊपरवाला इस बात का गवाह है कि अगर मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठा होता, कसम से अगर मैं सीएम न होता तो मैंने बम बरसाए होते. मैं साफ कह रहा हूं- बम बरसाता!’
जून 2024 के चुनाव नतीजों के तुरंत बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मोदी सरकार से मणिपुर को लेकर कोई रास्ता निकलाने को कहा था. द वायर ने पहले बताया था कि आरएसएस की राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पसंद का नाम भी तय कर दिया था. वहीं पूर्वोत्तर के भाजपा नेताओं का एक समूह बीरेन सिंह सरकार के एक मंत्री का समर्थन करने के लिए नड्डा के सामने पेश हुआ था.
हाल ही में संपन्न हुए संसद के बजट सत्र के दौरान आउटर मणिपुर के सांसद अल्फ्रेड के. आर्थर ने भी बीरेन सिंह को हटाने की मांग की थी ताकि राज्य में शांति स्थापित हो सके.
§
द वायर ने मुख्यमंत्री को निम्नलिखित प्रश्न भेजे हैं:
- क्या आपने पिछले वर्ष राज्य पुलिस कमांडो को कभी भी यह निर्देश दिया था कि वे कुकी क्षेत्रों में बम (51 मिमी मोर्टार बम सहित) का उपयोग न करने के अमित शाह के आदेश की अनदेखी करें और बमों का गुप्त रूप से इस्तेमाल करें?
- क्या आपने पिछले वर्ष जातीय संघर्ष के 2-3 दिन बाद ही डीजीपी और अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को नजरअंदाज करते हुए सीधे कमांडो को निर्देश देना शुरू कर दिया था?
- क्या आपने पिछले वर्ष अपने कार्यालय में कभी यह कहा था कि आपने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य के पुलिस थानों से हथियार लूटने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा?
- क्या आपने कभी कहा था कि आप राज्य विधानसभा के माध्यम से अनधिकृत लोगों को हथियारों की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे?
- क्या आपने कभी कहा कि यदि आप मुख्यमंत्री नहीं होते तो आप कुकी लोगों पर बम फेंक रहे होते?
मुख्यमंत्री का जवाब आने पर उसे रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)