नई दिल्ली: द वायर के मणिपुर टेप्स खुलासे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के कुकी समुदाय के सभी दस विधायकों, जिनमें से नौ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हैं, ने मांग की है कि 2023 से जारी जातीय संघर्ष की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित जांच आयोग को ‘अपनी जांच प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए’ और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को तुरंत पद से हटाया जाना चाहिए ताकि उन्हें उनके खिलाफ जांच के परिणाम में हस्तक्षेप करने से रोका जा सके.
21 अगस्त की शाम को जारी एक प्रेस नोट में, दस विधायकों – हाओखोलेट किपगेन, नेमचा किपगेन, पाओलिएनलाल हाओकिप, लेत्ज़ामंग हाओकिप, लेतपाओ हाओकिप, नगुरसंगलुर सनाटे, एलएम खाउते और वुंगज़ागिन वाल्ते जो भाजपा से संबंधित हैं, और चिनलुंथांग और किन हाओकिप हंगशिंग जो कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) से संबंधित हैं – ने कहा, ‘राज्य प्रायोजित जातीय नरसंहार में सीएम की मिलीभगत, जिसे हम पहले दिन से ही मानते आए हैं, अब बिना किसी संदेह के स्थापित हो चुकी है.’
बता दें कि बीरेन सिंह सरकार की सहयोगी केपीए ने जातीय संघर्ष के कारण अगस्त 2023 में अपना समर्थन वापस ले लिया था.
कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा के बाद से ये विधायक राज्य विधानसभा के कई सत्रों में अनुपस्थित रहे थे, ताकि केंद्र से कुकी समुदाय के लिए ‘अलग प्रशासन’ की उनकी मांग को मजबूती मिले.
प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘सीएम को उनकी बात सुन रहे लोगों को आश्वस्त करते हुए स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है, उनके स्वर और लहजे से उनके मिलिशिया सदस्य होने का अनुमान लगाया जा सकता है. केंद्रीय एजेंसियों को किसी और को गिरफ्तार करने से पहले उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए.’
द वायर का खुलासा गौहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अजय लांबा की अध्यक्षता वाले आयोग को सौंपे गए ऑडियो टेप पर आधारित है. गवाहों ने आयोग के समक्ष अपनी पहचान उजागर की है और दावा किया है कि उन्होंने पिछले साल मुख्यमंत्री के साथ इंफाल में उनके आधिकारिक आवास पर हुई बैठक में टेप रिकॉर्ड किए थे. उन्होंने दावा किया है कि टेप में सुनाई देने वाली आवाज मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की है.
आयोग ने गवाहों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी पहचान उजागर नहीं की है. यही कारण है कि द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बैठक के सभी विवरण नहीं दिए हैं.
विधायकों की 21 अगस्त की प्रेस विज्ञप्ति कहती है, ‘(रिकॉर्डिंग) टेप से यह भी पता चलता है कि कैसे केंद्रीय गृहमंत्री ने नागरिकों पर बमों के प्रयोग के लिए उन्हें फटकार लगाई थी, तथा किस प्रकार गृहमंत्री अमित के चले जाने के बाद बीरेन सिंह ने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को गृहमंत्री के निर्देशों की अवहेलना करते हुए आगे बढ़ते हुए सीक्रेट तरीके से बमों का प्रयोग करने का निर्देश दिया था.’
बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जातीय संघर्ष शुरू होने के करीब तीन सप्ताह बाद मई 2023 के अंत में राज्य का दौरा किया था. अगस्त 2023 में, शाह ने राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफलता पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया था और दावा किया था कि वह केंद्र के साथ ‘सहयोग‘ कर रहे हैं.
संघर्ष के दौरान राज्य के शस्त्रागार से हजारों हथियार और गोला-बारूद भी लूटे गए, जिनमें से अधिकांश अभी भी बरामद नहीं हुए हैं.
इसका जिक्र करते हुए प्रेस नोट में कहा गया है, ‘मुख्यमंत्री को अपने समर्थकों के सामने यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि कैसे उन्होंने सुनिश्चित किया कि राज्य बलों से 4000-5000 हथियार और गोला-बारूद लूटने के मामले में किसी की गिरफ़्तारी न हो. उन्हें यह अपील करते हुए भी सुना जा सकता है कि कुकी उन्हें गालियां दे सकते हैं, और ऐसा करना सही भी है क्योंकि उन्होंने उनमें से लगभग 300 लोगों की जान ली है, लेकिन मेईतेई को उन्हें गालियां नहीं देनी चाहिए.’
हालांकि, मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट प्रकाशित करने से पहले द वायर द्वारा भेजे गए सवालों का जवाब देने से परहेज किया, लेकिन बाद में उन्होंने ऑडियो टेप को ‘छेड़छाड़’ किया हुआ बताया और रिपोर्ट को कुकी और मेईतेई के बीच शांति स्थापित करने के लिए जारी प्रक्रिया को पटरी से उतारने के उद्देश्य से ‘राष्ट्र-विरोधी’ गतिविधियां करार दिया.
हालांकि, विधायकों ने उस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस नोट में कहा है, ‘टेप की प्रामाणिकता की पुष्टि करते हुए, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के भाई राजेंद्रो नोंग को फेसबुक पर ऐसे संवेदनशील टेप दूसरों को बेचने वालों को धमकाते हुए देखा जा सकता है.’
कुकी विधायकों ने एक बार फिर केंद्र सरकार से अपील की कि वे विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अलग प्रशासन की उनकी मांग को जल्द पूरा करे, क्योंकि यही क्षेत्र में स्थायी शांति का रास्ता है.