नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शनों ने इस साल की दुर्गा पूजा जोश को फीका कर दिया है, क्योंकि कई पूजा आयोजकों ने ममता बनर्जी सरकार द्वारा दिए जाने वाले वार्षिक उत्सव के मानदेय को विरोधस्वरूप अस्वीकार कर दिया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल 23 जुलाई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सामुदायिक दुर्गा पूजा के लिए मानदेय में वृद्धि की घोषणा की थी, इसे पिछले साल के 70,000 रुपये से बढ़ाकर 85,000 रुपये प्रति पूजा समिति कर दिया.
हालांकि, कई पूजा समितियों ने 9 अगस्त को राज्य द्वारा संचालित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करने के लिए अनुदान स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है. कुछ आयोजकों के लिए यह निर्णय राज्य भर में तब से शुरू हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के प्रति समर्थन का भी संकेत है.
ऐसी ही एक पूजा समिति हुगली जिले के उत्तरपाड़ा में स्थित उत्तरपाड़ा शक्ति संघ है. समिति के सचिव प्रोसेनजीत घोष ने अखबार को बताया कि सरकार के अनुदान को अस्वीकार करने का उनका फैसला किसी विशेष राजनीतिक संगठन का विरोध या समर्थन करने के लिए नहीं था.
उन्होंने कहा, ‘जब तक दोषियों को पकड़कर उन्हें उचित सजा नहीं मिल जाती, हम सरकार का अनुदान स्वीकार नहीं कर सकते. यह इस मुद्दे के लिए सामाजिक जिम्मेदारी लेने और पीड़ित के लिए न्याय की मांग करने का हमारा तरीका है.’
उत्तरपाड़ा शक्ति संघ उन पहले दुर्गा पूजा आयोजकों में से एक था, जिसने अनुदान अस्वीकार करने की घोषणा की. इसके बाद दक्षिण कोलकाता में हाईलैंड पार्क उत्सव समिति, हुगली के उत्तरपाड़ा जयकृष्ण स्ट्रीट में अपनादेर दुर्गा पूजा और नाडिया जिले में बेथुआडाहारी टाउन क्लब ने भी इसका अनुसरण किया.
मंगलवार को बेथुआडाहारी में एक विरोध रैली के दौरान बेथुआडाहारी टाउन क्लब के सदस्यों ने घोषणा की कि डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में इस साल दुर्गा पूजा मानदेय अस्वीकार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम आरजीकेएमसीएच में हुए बलात्कार और हत्या की निंदा करते हैं.’
इस बीच, ‘अपनादेर दुर्गा पूजा’ के एक सदस्य ने कहा, ‘राज्य और देश भर के साथ-साथ भारत के बाहर भी लोग आरजीकेएमसीएच में जो हुआ उसके खिलाफ विरोध कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, इसलिए उन्होंने राज्य सरकार से 85,000 रुपये का अनुदान स्वीकार नहीं किया और इसके बजाय वे न्याय की मांग करते हैं.
बारानगर से भाजपा पार्षद सजल घोष ने भी कोलकाता में दुर्गा पूजा करने वालों से पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए 85,000 रुपये मानदेय को वापस करने का आह्वान किया. उन्होंने इसे राज्य की ‘महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता’ के खिलाफ विरोध का प्रतीक बताया. घोष संतोष मित्रा स्क्वायर में उत्तर कोलकाता के प्रमुख दुर्गा पूजा में से एक में पूजा आयोजक हैं.
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने सोशल मीडिया पर #boycottdurgapujo हैशटैग शुरू किया है, जिसमें कहा गया है कि, ‘जब आप महिलाओं का सम्मान नहीं कर सकते, तो देवी का उत्सव मनाने की कोई आवश्यकता नहीं है. दुर्गा पूजा को न कहें… जब तक असली दुर्गा को न्याय नहीं मिल जाता.’
लेकिन शहर भर के कई दुर्गा पूजा उत्साही, आयोजक और अन्य क्लबों ने उत्सव के लिए समर्थन दिखाया और कहा कि आरजी कर की घटना भयानक थी. वे सभी पीड़ित के लिए न्याय चाहते हैं, लेकिन इसका पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की सदियों पुरानी परंपरा से कोई संबंध नहीं है और उत्सव का बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए.
फोरम फॉर दुर्गोत्सव के महासचिव शाश्वत बसु ने अखबार से कहा, ‘दुर्गा पूजा से जुड़े लोगों ने पूजा को अस्वीकार या बहिष्कार नहीं किया है. यह मीडिया के लोगों और पत्रकारों द्वारा शुरू किया गया एक नकारात्मक अभियान मात्र है.’
बसु ने कहा, ‘यह त्यौहार लाखों लोगों की आजीविका में मदद करता है. हम आरजी कर घटना की निंदा करते हैं. हम पीड़ित के लिए न्याय चाहते हैं, लेकिन इसका दुर्गा पूजा से कोई लेना-देना नहीं है.’
रासबिहारी निर्वाचन क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के विधायक और त्रिधारा सर्बजनिन दुर्गोत्सव के आयोजकों में से एक देबाशीष कुमार ने स्थानीय मीडिया से कहा, ‘बंगाल में अशांति की स्थिति है. इसे साबित करने से जिन लोगों को फ़ायदा होगा, वे दुर्गा पूजा के बहिष्कार का आह्वान कर रहे हैं. लेकिन बंगाली जानते हैं कि यह त्यौहार अपने आप में एक भावना है.’