नई दिल्ली : एक बैठक, जिसके बारे में एक विश्वसनीय स्रोत का कहना है कि इसे पिछले साल इंफाल में एन. बीरेन सिंह के आवास पर उनके द्वारा संबोधित किया गया था, की कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग में सुनाई दे रही आवाज मणिपुर के मुख्यमंत्री की बताई जा रही है.
यह आवाज मई, 2023 में कांगपोकपी गांव में एक भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाई गईं कुकी-जो समुदाय की दो महिलाओं द्वारा दायर उनके यौन उत्पीड़न और उनके साथ बलात्कार की शिकायत पर संदेह जताते हुए सुनी जा सकती है.
पिछले साल जुलाई महीने में दो महिलाओं का यह वीडियो सामने आने पर इस भयावह कृत्य ने पूरे देश में काफी आक्रोश जगाया था. कई मेईतेई नागरिक समाज समूहों ने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई, जिसमें स्त्रियों का शक्तिशाली संगठन मीरा पाइबिज भी शामिल है. इस संगठन के सदस्यों ने इस कृत्य के मुख्य आरोपी और इस वीडियो में दिखाई दे रहे लोगों तथा मुख्य आरोपी के घरों पर भी हमला किया और सरकार से उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की मांग की.
लेकिन, ऑडियो रिकॉर्डिंग में, मुख्यमंत्री की बताई जा रही आवाज को दो महिलाओं के खिलाफ किए गए इस अपराध को हल्के-फुल्के ढंग से लेते हुए और मेईतेई नागरिक समाज समूहों की लानत-मलामत करते सुना जा सकता है कि वे उनके पक्ष में सामने नहीं आए और उन्होंने दबंगई और गर्व के साथ यह नहीं कहा कि हम मैतेइयों ने ही उन दोनों महिलाओं को उग्र भीड़ से बचाया.’ इस रिकॉर्डिंग में वक्ता कहता है, ‘हमें कितनी बुरी तरह से शर्मिंदा किया गया!… हमें उन्हें बचाने, उन्हें कपड़े पहनाने और उन्हें उनके घर भेजने का श्रेय लेना चाहिए था.’
द वायर इस बात की पुष्टि कर सकता है कि एक 48 मिनट की रिकॉर्डिंग वर्तमान में मणिपुर की जातीय हिंसा की जांच कर रहे आयोग के समक्ष जमा कराई गई है. साथ ही मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर इसे रिकॉर्ड करने का दावा करने वालों द्वारा इसकी प्रामाणिकता का सत्यापन करने वाला हलफनामा भी दिया गया है.
हालांकि द वायर यह स्वतंत्र तौर पर सत्यापित नहीं कर पाया है कि इस रिकॉर्डिंग में आ रही आवाज वास्तव में बीरेन सिंह की है, लेकिन हमने उस मीटिंग में शामिल कुछ लोगों से स्वतंत्र तौर पर इस मीटिंग की तारीख, विषय और इसकी विषय-वस्तु की पुष्टि की है. उनमें से कोई भी अपनी सुरक्षा पर खतरे के डर से अपनी पहचान को उजागर नहीं करना चाहता है.
इस मीटिंग में उपस्थित होने का दावा करने वाले कुछ लोगों का विश्वास के साथ कहना है कि रिकॉर्डिंग में सुनाई दे रही आवाज वास्तव में बीरेन सिंह की ही है और उन्होंने वास्तव में उनकी मौजूदगी में ये बातें कही थीं.
इनमें से कुछ लोगों ने द वायर से इस बात की पुष्टि की कि पूरी ऑडियो क्लिप सेवानिवृत्त जस्टिस अजय लांबा की अध्यक्षता वाली जांच समिति के समक्ष जमा करा दी गई है. लांबा गुवाहाटी उच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं.
गौरतलब है कि इस आयोग का गठन पिछले साल जून में गृह मंत्रालय द्वारा मणिपुर हिंसा की जांच करने के लिए किया गया था, जिसमें 220 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
मणिपुर सरकार का कहना है कि कथित ऑडियो ‘जाली है और इस रिकॉर्डिंग को गलत तरीके से मुख्यमंत्री का बताया जा रहा है.’
चूंकि इस रिकॉर्डिंग की सामग्री – मणिपुर और शेष भारत के लोगों के लिए – अहम जनहित से जुड़ी हुई है इसलिए द वायर इसके कछ अंशों को सार्वजनिक कर रहा है.
रिकॉर्डिंग में बीरेन सिंह की बताई जा रही आवाज को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि इस अपराध में शामिल कुछ आरोपियों की पहचान करने वाले मेईतेई समूहों को एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) से इस भीड़ में शामिल उन लोगों को पुरस्कृत करने के लिए कहना चाहिए था जिन्होंने उन महिलाओं को ‘बचाने’ और उन्हें ‘कपड़े पहनाने’ और उन्हें उनके घर भेजने का काम किया , जबकि इसी भीड़ ने उन महिलाओं के भाइयों और चाचाओं को भी नहीं बख्शा था.
वह वायरल वीडियो, जिसने सबको झकझोर कर रख दिया
19 जुलाई, 2023 को यानी मणिपुर में मेईतेई और कुकी जो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के शुरू होने के लगभग ढाई महीने बाद ही एक 30 सेकंड का एक वीडियो सामने आया, जिसमें कुकी-जो समुदाय की दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाया जा रहा था और मेईतेई समुदाय के लोगों की एक बड़ी भीड़ द्वारा उनके शरीर को छुआ जा रहा था. कांगपोकपी जिले का यह वीडियो 4 मई को रिकॉर्ड किया गया था.
मीडिया में दिए गए अपने बयान में दोनों पीड़ितों ने बताया था कि भीड़ द्वारा उन्हें ले जाए जाने के बाद उन पर यौन हमला किया गया और उनके साथ बलात्कार किया गया.
इस वीडियो के सामने आने के साथ ही उंगलियां मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की तरफ उठीं, क्योंकि वे राज्य के गृहमंत्री भी हैं. विपक्ष द्वारा राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखने और महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम रहने के लिए उनके इस्तीफे की मांग की गई. द इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम, जो कि इस जातीय संघर्ष के दौरान कुकी लोगों की आवाज उठाने वाला प्रमुख संगठन रहा है, ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग की.
रिकॉर्डिंग में क्या कहा गया है?
मेईतेई भाषा की यह ऑडियो क्लिप, जिसे हमारे स्रोतों ने इस भयावह घटना के वीडियो के वायरल होने के कुछ महीने बाद ही मुख्यमंत्री के आवास पर रिकॉर्ड किया हुआ बताया है, और जिसमें आ रही आवाज मुख्यमंत्री की बताई जा रही है, में इन महिलाओं की निर्वस्त्र परेड कराए जाते वक्त भीड़ द्वारा इन महिलाओं के शरीर को छूने के तथ्य को कोई खास तवज्जो न देने की एक कोशिश भी दिखाई देती है.
‘होई! देखो, फोटो, फोटो होते हैं. हाथों को यहां वहां रखा हुआ देखा जा सकता है.
लेकिन यह शर्तिया तौर पर तथ्य नहीं है.’
जो खुली आंखों से सामने दिखाई दे रहा है उसे खारिज करना और पीड़ितों के बयानों की सत्यता पर संदेह करना कि उनके साथ बलात्कार हुआ है, क्या ऐसे जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों को एक तरह से क्लीन चिट देने बल्कि वास्तव में उनकी पीठ थपथपाने जैसा नहीं है?
इस ऑडियो से हम बोलने वाले (जो कि कथित तौर पर मुख्यमंत्री की आवाज है) के इस नजरिये से दो-चार होते हैं कि मेईतेई नागरिक समाज समूह को समुदाय के लोगों की निंदा करने की जगह आक्रामक ढंग से सार्वजनिक तौर पर यह कहना चाहिए था कि ‘हमने (मेईतेई लोगों ने) उनकी रक्षा की, ‘उन्हें पहनने के लिए कपड़े दिए’ और ‘उन्हें घर भेजा’
आगे ऑडियो क्लिप के प्रासंगिक हिस्सों के अंग्रेजी अनुवाद का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है :
‘…फिर, दो महिलाओं को नग्न अवस्था में परेड करवाने का मामला लें.. हमें कितनी बुरी तरह से शर्मिंदा किया गया! एक भी समूह क्यों नहीं सामने आया और अपनी बात मजबूती से क्यों नहीं रखी? मेरे लिए तब बोलना थोड़ा मुश्किल था… फिर भी मैंने अब बोलना शुरू कर दिया है. लेकिन कोई भी समूह सामने क्यों नहीं आया और साहस के साथ उसने यह क्यों नहीं कहा कि हम ही थे थे जिन्होंने उनकी जान बचाई है? उन्हें यह बात गर्व और साहस के साथ कहना चाहिए था कि हमने ही उनकी जान बचाई.’
होई! हम पूछ सकते थे कि सबूत कहां है, आप कैसे कह सकते हैं कि उनके साथ रेप किया गया? उनके भाई और चाचा को एक लाख की भीड़ द्वारा मारा गया… 10-20 हजार लोगों के द्वारा… हम यह कह सकते थे कि हम मेईतेइयों ने ही उन्हें उस भीड़ से बचाया. हमें यह कहना चाहिए था. यह असंतोषजनक था. हमें उन्हें बचाने, उन्हें पहनने के लिए कपड़े देने और उन्हें वापस घर भेजने का श्रेय लेना चाहिए था.
जब दुनियाभर में मेईतेइयों को इस घटना का नाम लेकर शर्मिंदा किया गया, तब मैंने उन्हें कहा कि प्रेस के माध्यम से इस बारे में कुछ किया जाना चाहिए, बच्चों के बारे में… (यह दो मेईतेई युवाओं की हत्या का संदर्भ दिखाई देता है, जो जुलाई में लापता हो गए थे. सितंबर में उनके शवों की एक तस्वीर सामने आई और काफी वायरल हुई.)’
‘होई! देखो, फोटो, फोटो होते हैं. हाथों को यहां वहां रखा हुआ देखा जा सकता है. लेकिन यह शर्तिया तौर पर तथ्य नहीं है. तथ्य यह है कि हमने उन्हें भीड़ से बचाया. हमने उन्हें बचाया और उन्हें घर भेजा. हमने इसका श्रेय नहीं लिया, हमने इसे जाने दिया.
ओह! हम कितने मूर्ख हैं, मैंने सोचा… अभी भी, मैंने उन लोगों से कहा, उन लोगों को जो उन्हें एनआईए को सौंप रहे हैं, कि जिन्हें गिरफ्तार किया गया, उन्हें वास्तव में पुरस्कार दिया जाना चाहिए था. उन्हें उन दो महिलाओं को बचाने के लिए पुरस्कार दिया जाना चाहिए था.
ऑडियो क्लिप में कही गई बातें मुख्यमंत्री के बयानों और कृत्यों से मेल खाती हैं
जहां तक रिकॉर्ड की बात है, ऑडियो टेप में हमारे स्रोत के अनुसार बीरेन सिंह द्वारा कहे गए शब्द इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए सार्वजनिक बयानों और उनके कार्यों से मेल खाते हैं. उदाहरण के तौर पर मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर यह कहना शुरू कर दिया था कि मेईतेई समुदाय को कुकी महिलाओं को भीड़ से बचाने का श्रेय दिया जाना चाहिए. उनके इस पक्ष को कम से कम एक वेबसाइट ने लपकते हुए यह दावा किया कि कुकी (ईसाई) महिलाओं को मेईतेई (हिंदू) पुरुषों द्वारा बचाया गया.’
कुछ मीरा पाइबिज नेताओं ने भी बाद में स्थानीय समाचार चैनलों में इसी लाइन पर बोलना शुरू किया.
रिकॉर्डिंग में आ रही आवाज- जिसके बारे में मीटिंग में मौजूद लोगों ने बीरेन सिंह की होने का दावा किया है- को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि उन्होंने ‘किसी चीज’ की रणनीति बनाई है, जिसे प्रेस के माध्यम से बच्चों को लेकर किया जाना है, ताकि ‘दुनिया भर में मेईतेइयों’ को शर्मिंदा किए जाने का जवाब दिया जा सके.
यहां इशारा संभवतः 6 जुलाई, 2023 को बिष्णुपुर जिले से दो मेईतेई युवाओं के गायब होने की तरफ दिखाई देता है. सितंबर के तीसरे हफ्ते में गायब युवाओं की दो फोटो सामने आईं और मीडिया ने इस बात को रेखांकित किया कि यह मोबाइल इंटरनेट सेवा की अस्थायी बहाली के ठीक बाद हुआ. एक फोटों में वे एक जंगल के इलाके में हथियारबंद लोगों की हिरासत में बैठे हुए नजर आए और दूसरी फोटो में उनके मृत शरीर थे, जिन्हें कथित तौर पर कुकी आतंकवादियों द्वारा गोली मार दी गई थी.
सोशल मीडिया पर फोटो सामने आने के बाद गायब युवाओं में से एक के पिता ने राज्य सरकार से उनके शवों का पता लगाने की मांग की. सितंबर, 2023 में मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है. बता दें आज की तारीख तक उन दोनों किशोर के शव को बरामद नहीं किया जा सका है.
वायरल वीडियो ने डबल इंजन सरकार को बचाव की मुद्रा मे आने पर मजबूर कर दिया
यौन उत्पीड़न के वीडियो क्लिप के वायरल होने तक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संसद में मणिपुर के तेजी से बिगड़ते हालात पर चर्चा करने की विपक्ष की मांग को भी टालती रही. यहां तक कि वीडियो सामने आने के बाद भी बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग का जवाब देते हुए भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा था कि मुख्यमंत्री केंद्र के साथ ‘सहयोग’ कर रहे हैं. शाह ने कांग्रेस पर मणिपुर पर ‘राजनीति करने’ का आरोप लगाया था.
हालांकि, यौन उत्पीड़न के उस वीडियो क्लिप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर पर अपनी चुप्पी तोड़ने पर मजबूर कर दिया. मानसून सत्र के पहले दिन संसद भवन के सामने एक संक्षिप्त बयान में मोदी ने दो कुकी महिलाओं के यौन उत्पीड़न की निंदा की, लेकिन वे दो और राज्यों, उस समय कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं की सुरक्षा की आवश्यकता का उल्लेख किए बिना नहीं रहे.
मोदी ने अपनी पार्टी द्वारा एक राज्य में अंजाम दिए गए कृत्यों की भयावहता को कम करके दिखाने की कोशिश में कहा, ‘मैं सभी मुख्यमंत्रियों से यह अपील करता हूं- चाहे वे राजस्थान, छत्तीसगढ़ या मणिपुर के हों- कि वे अपने राज्यों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून के प्रवर्तन को मजबूत करें. इस देश के किसी भी कोने में, किसी भी पार्टी की सरकार में, कानून और व्यवस्था और महिलाओं का सम्मान और उनकी सुरक्षा प्राथमिकता में होने चाहिए.’
21 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो क्लिप को ‘बेहद परेशान करने वाला’ बताया और इस पर स्वतः संज्ञान लिया. शीर्ष न्यायालय में तब से इस मामले की सुनवाई चल रही है.
इसके बाद 29 जुलाई, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया.
संसद में अमित शाह के इस दावे के उलट कि सिंह केंद्र सरकार के साथ ‘सहयोग’ कर रहे हैं, सीबीआई द्वारा 30 अप्रैल 2024 को गुवाहाटी की विशेष अदालत में इस मामले में दायर आरोपपत्र में कहा गया कि बीरेन सिंह सरकार ने उस समय तक आरोपियों के खिलाफ धारा 153ए (नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी थी. आरोपपत्र में यह भी खुलासा हुआ कि जुलाई 2023 में मणिपुर पुलिस द्वारा भीड़ का हिस्सा रहे छह लोगों को हिरासत में लिए जाने के बाद- जो इस खबर के दुनिया भर में सुर्खियों में आने के तुरंत बाद हिरासत में लिए गए, और तब हिरासत में लिए गए जब मुख्यमंत्री पर इस मामले में कार्रवाई करते दिखने के लिए भारी दबाव था- सीबीआई ने कोई और गिरफ्तारी नहीं की थी
खबर दुनिया भर में सुर्खियों में आने के तुरंत बाद- सीबीआई ने कोई और गिरफ्तारी नहीं की थी, और मुख्यमंत्री पर इस मामले में कार्रवाई करते दिखने के लिए भारी दबाव था.
चुनावी मोड़
महत्वपूर्ण तरीके से हाल ही में लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री को यौन उत्पीड़न के इस मामले को नया मोड़ देते हुए देखा गया, जब उन्होंने दावा किया कि उस वीडियो क्लिप को वायरल करने में विपक्षी कांग्रेस का हाथ है. उन्होंने दावा किया कि यह प्रधानमंत्री मोदी का अपमान करने के लिए किया गया था.
बीरेन सिंह ने यह दावा 7 अप्रैल को इंफाल में एक युवा सम्मेलन में किया था. कांग्रेस पर कुकी लोगों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाकर सिंह को उम्मीद थी कि भाजपा चुनावों में कम से कम मेईतेई वर्चस्व वाली इनर मणिपुर सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखेगी.
उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे को नियंत्रण में लाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद मणिपुर का दौरा किया और यहां रुके. लेकिन संसद का सत्र शुरू होने से ठीक पहले इस वीडियो को अधूरी व्याख्या द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार को बदनाम करने के लिए फैलाया गया.’ उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा भड़काने की गरज से किसी भी छोटे मुद्दे को तूल दिया गया.
हालांकि, इनर मणिपुर सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की.
सीबीआई के आरोपपत्र में पुलिस की निष्क्रियता का ज़िक्र
यहां यह गौरतलब है कि सिंह और शाह दोनों ही अब तक दो पीड़ित महिलाओं को भीड़ की भेंट चढ़ाए जाने में, जिसका नतीजा उनके यौन उत्पीड़न के तौर पर निकला, राज्य के कुछ पुलिसकर्मियों की भूमिका पर मौन रहे हैं
मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो क्लिप को फैलाने में ‘कांग्रेस की मिलीभगत’ का दावा करने के कुछ ही दिनों बाद, सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में यह दर्ज किया कि मणिपुर के पुलिसकर्मियों ने कुकी महिलाओं- जिनमें से एक करगिल युद्ध में शामिल रहे भूतपूर्व सैनिक की पत्नी थी– की सुरक्षा करने के बजाय उन्हें ‘900-1000 लोगों’ की तरफ ले जाने का काम किया और उन्हें वहीं छोड़ दिया. इसमें उल्लेख किया गया है कि उन्होंने ऐसा तब किया जब पुलिस की गाड़ी के ड्राइवर ने, यह दावा करते हुए कि उसके पास कार की चाबियां नहीं हैं, शुरू में उनकी मदद करने से इनकार कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट में मामले की स्थिति
एक साल से ज्यादा समय से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों से जुड़े कई अन्य मामलों की पैरवी से जुड़े रहे कॉलिन गोंजाल्विस ने द वायर को बताया, ‘राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने सुप्रीम कोर्ट में चार रिपोर्टें जमा की थीं, लेकिन कई महीने बीत जाने के बाद भी पीड़ितों के वकीलों को उन रिपोर्टों की प्रति मुहैया नहीं कराई गई है. इसके अलावा, कोर्ट ने राज्य सरकार को जलाए गए 4,500 घरों और 3,500 चर्चों का निर्माण करने और पीड़ित समुदाय को इनका कब्ज़ा देने के लिए कहा था. लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हुआ है.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘जब सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा का स्वतः संज्ञान लिया था, तब हममें काफी उम्मीदें जगी थीं, लेकिन अब बिल्कुल भी उम्मीद शेष नहीं है.’
गोंजाल्विस ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले छह महीने से कोई सुनवाई नहीं की है.
मुख्यमंत्री से सवाल
नए खुलासे के बाद द वायर ने मुख्यमंत्री को निम्नलिखित सवाल भेजे हैं :
1) क्या आपको भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाई गईं दो कुकी महिलाओं द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोपों पर संदेह है?
2) क्या आपको लगता है कि पुरुषों के एक समूह द्वारा एक महिला को सार्वजनिक रूप से नग्न अवस्था में घुमाया जाना और उसके शरीर को छुआ जाना बलात्कार/सामूहिक बलात्कार या यौन उत्पीड़न के बराबर नहीं है?
3) क्या आपको लगता है कि भीड़ द्वारा महिलाओं को सार्वजनिक रूप से नग्न अवस्था में घुमाने में कोई यौन इरादा नहीं हो सकता है?
4) क्या आपने किसी मेईतेई नागरिक समाज समूह से ‘राष्ट्रीय जांच एजेंसी’ से यह कहने के लिए कहा कि अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों को वास्तव में पुरस्कृत किया जाना चाहिए?
5) क्या आपने किसी मेईतेई नागरिक समाज समूह से ’गर्व के साथ’ यह कहने के लिए कहा कि ये ’मेईतेई’ (भीड़ में शामिल) लोग थे जिन्होंने उन महिलाओं को बचाया, उन्हें कपड़े पहनाए और उन्हें घर भेजा, जबकि उनके चाचा और भाई को भी उसी भीड़ ने नहीं बख्शा?
6) क्या आपने किसी से प्रेस के माध्यम से जातीय संघर्ष के दौरान कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों द्वारा मारे गए दो मेईतेई बच्चों के भयावह मामले का प्रचार करने के लिए कहा, ताकि दो कुकी महिलाओं के वायरल वीडियो क्लिप के कारण दुनिया भर में मेईतेई समुदाय की हो रही शर्मिंदगी का जवाब दिया जा सके?
जवाब मिलने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)