नई दिल्ली: तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के बरगुर में एक फर्जी राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) शिविर में 14 वर्षीय स्कूली छात्रा के साथ बलात्कार और एक दर्जन अन्य लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मुख्य संदिग्ध ने शुक्रवार को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली और उसके पिता की भी एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई.
मालूम हो कि इस सप्ताह की शुरुआत में कृष्णागिरी में एक फर्जी राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) कैंप में कम से कम 13 लड़कियों का कथित तौर पर यौन शोषण करने और उनमें से एक का बलात्कार होने का मामला समाने आया था. इस मामले में कैंप आयोजक, स्कूल के प्रिंसिपल, दो शिक्षकों और एक कॉरेस्पॉन्डेंट (correspondent) सहित ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
एनडीटीवी रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने दावा किया है कि पहले आरोपी के पिता अशोक कुमार की गुरुवार रात को दोपहिया वाहन से गिरने के बाद मौत हो गई. इसके बाद आरोपी ने शुक्रवार की सुबह सलेम के एक सरकारी अस्पताल में आत्महत्या कर ली.
आरोपी शिवरमण, जिस पर कक्षा 8 की एक लड़की का बलात्कार करने और 12 छात्राओं का यौन शोषण करने का आरोप था – के बारे में पुलिस का कहना है कि पारिवारिक समस्याओं के कारण उसने गिरफ्तारी से पहले चूहे मारने की दवा खा ली थी. उसे इलाज के लिए कृष्णगिरी से सलेम ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 31 वर्षीय आरोपी शिवरमण 19 अगस्त को अपनी गिरफ्तारी से पहले कथित तौर पर एक जहरीला पदार्थ खा लिया था. उसके परिवार में पत्नी और तीन साल की बेटी है. इससे पहले गुरुवार को शिवरमण के पिता अशोक कुमार की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जब वह कथित तौर पर नशे की हालत में दोपहिया वाहन चला रहे थे.
कृष्णगिरी के पुलिस अधीक्षक पी. थंगादुरई ने कहा कि आरोपी पीड़िता द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद से कोयंबटूर में छिपकर गिरफ्तारी से बच रहा था और उसे सोमवार (19 अगस्त) को एक गुप्त सूचना के बाद गिरफ्तार किया गया.
उन्होंने कहा, ‘पुलिस के जाल से भागने की कोशिश करते समय कथित तौर पर गिरने से उसके एक पैर में फ्रैक्चर हो गया था, जिसके चलते उसे कृष्णागिरी के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जब डॉक्टरों ने उसके खून की जांच रिपोर्ट के बारे में उससे पूछताछ की, तो उसने गिरफ्तारी के डर से जहरीला पदार्थ खाने की बात कबूल की.’
उन्होंने आगे बताया कि आरोपी को बुधवार रात को बेहतर सुविधाओं वाले सलेम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया क्योंकि उसे ठीक होने के लिए डायलिसिस की आवश्यकता थी. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, गुरुवार देर रात उसकी हालत बिगड़ गई और शुक्रवार सुबह करीब 5.30 बजे उसकी मौत हो गई.’
घटना को लेकर राजनीतिक विवाद
भाजपा तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने शिवरमण और उनके पिता अशोक कुमार की मौत पर संदेह व्यक्त किया. एक बयान में उन्होंने दोनों मौतों को संदिग्ध बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी की हत्या शायद इसलिए की गई ताकि वह अन्य मुख्य आरोपियों की पहचान उजागर न कर सके.
अन्नामलाई ने कहा, ‘इस बात को लेकर गंभीर चिंता है कि क्या मामले में शामिल सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है या फिर किसी को बचाने के लिए पिता और पुत्र दोनों की हत्या की योजना बनाई गई थी.’
अन्नामलाई ने स्कूली छात्राओं के बलात्कार और यौन उत्पीड़न की जांच के लिए गठित एसआईटी से इन घटनाओं के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए गहन जांच करने का भी अनुरोध किया.
एआईएडीएमके के महासचिव और विपक्ष के नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी ने अपने आरोपी की आत्महत्या और पिता की आकस्मिक मौत पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इन घटनाओं ने तमिलनाडु के लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
पलानीस्वामी ने राज्य सरकार और पुलिस की आलोचना की कि उन्होंने कुछ निजी स्कूल प्रशासनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने फर्जी एनसीसी प्रशिक्षक शिवरमण को अपने संस्थानों में फर्जी एनसीसी शिविर आयोजित करने की अनुमति दी.
उन्होंने इन अवैध शिविरों में भाग लेने वाले कैडेटों को जारी किए गए प्रमाणपत्रों के बारे में भी पूछताछ की और एसआईटी से यह जांच करने को कहा कि क्या राज्य भर के कई जिलों में इसी तरह के शिविर आयोजित किए गए थे.
विपक्षी नेता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या पुलिस इन घटनाओं से जुड़े प्रभावशाली व्यक्तियों को बचाने का प्रयास कर रही है और उन्होंने स्टालिन से अपनी चुप्पी तोड़ने तथा तमिलनाडु के लोगों के सामने सच्चाई उजागर करने का आग्रह किया.
पलानीस्वामी ने बीएसपी के राज्य नेता आर्मस्ट्रांग की हत्या के आरोपी से जुड़ी हाल ही की पुलिस मुठभेड़ का जिक्र किया और कहा कि स्टालिन ने उस मुठभेड़ के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री शिवरमण और अशोक कुमार की मौतों से जुड़े सवालों और चिंताओं का समाधान करें.
स्कूल ने फर्जी एनसीसी आयोजकों की पृष्ठभूमि की जांच नहीं की थी
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल ने उस समूह की कोई पृष्ठभूमि जांच नहीं की, जिसने दावा किया था कि स्कूल परिसर में उनके शिविर से उन्हें एनसीसी इकाई प्राप्त करने के लिए योग्यता प्राप्त होगी. उन्होंने शिविर की निगरानी के लिए किसी शिक्षक को भी तैनात नहीं किया. लड़कियों द्वारा उनके साथ किए गए यौन अपराधों की शिकायत करने के बाद प्रबंधन ने पुलिस को सूचित नहीं किया.
इसके बजाय, स्कूल पर छात्राओं से कथित दुर्व्यवहार को गंभीरता से न लेने के लिए कहने का आरोप लगाया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु, पुडुचेरी और अंडमान एनसीसी निदेशालय के उप महानिदेशक कमोडोर एस. राघव ने पुष्टि की कि कृष्णगिरी निजी स्कूल में कोई आधिकारिक एनसीसी शिविर आयोजित नहीं किया गया था.
पुलिस ने बताया कि आरोपियों में से एक, उसी स्कूल का चार साल से अधिक समय से शिक्षक है और उस पर जिले के अन्य हिस्सों के स्कूलों में इसी तरह के फर्जी एनसीसी शिविर आयोजित करने का आरोप है, जिसका उद्देश्य संभवतः भाग लेने वाली लड़कियों का यौन उत्पीड़न करना था.
छात्राओं की शिकायत के आधार पर यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों के अलावा शिवरमण पर एक वकील के रूप में पड़ोसी से 36 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का वित्तीय धोखाधड़ी का मामला भी चल रहा है.
एसपी ने बताया, ‘कृष्णागिरी से 31 वर्षीय शक्तिवेल ने शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि अज्ञात व्यक्तियों ने पेटलापल्ली में उनकी संपत्ति का फर्जी खरीद विलेख तैयार किया, जिसके कारण शिवरमण ने संपत्ति वापस दिलाने का वादा करके उनसे संपर्क किया. खुद को वकील बताकर उन्होंने कुल 36 लाख रुपये लेकर उन्हें धोखा दिया.’
अब एक विशेष जांच दल (एसआईटी) जांच कर रहा है कि क्या फर्जी प्रशिक्षकों ने अन्य स्कूलों के शिविरों में यौन अपराध किए थे. एक अन्य टीम इन यौन अपराधों के कारणों की पहचान करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों की सिफारिश करेगी.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के हस्तक्षेप के बाद राज्य समाज कल्याण सचिव जयश्री मुरलीधरन और वरिष्ठ महानिरीक्षक भवनेश्वरी ने फर्जी शिविर में भाग लेने वाली लड़कियों से मुलाकात की. अधिकारियों ने बताया कि प्रभावित छात्राओं और उनके परिवारों को मनोवैज्ञानिक परामर्श भी दिया गया है. शुक्रवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि हालांकि तमिलनाडु में स्कूलों में यौन अपराधों की संभावनाओं को रोकने के लिए एक सक्रिय प्रोटोकॉल है, लेकिन हालिया घटना ने स्कूलों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तंत्र की कमी को उजागर किया है.