नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में मंगलवार सुबह 15 और 18 साल की दो दलित लड़कियों के शव पेड़ से लटके पाए गए.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि कायमगंज के पास एक गांव में आम के बाग में मिले शव जिन लड़कियों के हैं, वे पड़ोसी और करीबी दोस्त थीं.
पुलिस अधीक्षक (एसपी) आलोक प्रियदर्शी ने बताया, ‘शुरुआती जांच से पता चलता है कि दोनों लड़कियां पड़ोसी और करीबी दोस्त थीं. एक शव दुपट्टे के एक छोर से और दूसरा दुपट्टे के दूसरे छोर से लटका मिला.’
पुलिस का अनुमान है कि दोनों लड़कियों की मौत आत्महत्या से हुई होगी. हालांकि, उनके परिवारों ने इस दावे का कड़ा विरोध किया है.
प्रियदर्शी ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने पेड़ से लटककर आत्महत्या की होगी, लेकिन पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है.’
उधर, मृतकाओं से एक के पिता ने का कहना है कि दोनों की हत्या कर शवों को दुपट्टे से लटका दिया गया.
कानून के जानकार भी एक ही दुपट्टे से दो लोगों के ख़ुदकुशी करने के दावे पर संशय जाहिर कर रहे हैं. वरिष्ठ आपराधिक वकील दानिश कुरैशी ने कहा, ‘दो लड़कियों का एक ही दुपट्टे का इस्तेमाल करके आत्महत्या करना बेहद असामान्य और संदिग्ध है. एक दुपट्टा आमतौर पर लगभग दो मीटर लंबा होता है और फंदा बनाने में इसकी आधी से ज़्यादा लंबाई का इस्तेमाल हो जाएगा. इसलिए, यह सवाल उठता है कि वे इसे पेड़ की डाल से लटकने के लिए कैसे इस्तेमाल कर सकतीं थीं.’
शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि दोनों लड़कियों की मौत फांसी लगाने से हुई है, लेकिन हत्या या यौन उत्पीड़न की संभावना पर विस्तृत रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. मृतक लड़कियां जाटव जाति से थीं.
अधिकारियों ने बताया कि अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है, क्योंकि पुलिस परिवार की ओर से औपचारिक शिकायत मिलने का इंतजार कर रही है.
प्रियदर्शी ने बताया कि दोनों लड़कियां गांव के मंदिर से लापता हुई थीं, जहां वे सोमवार रात करीब नौ बजे कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी देखने गई थीं और घर वापस नहीं लौटीं. एसपी ने बताया कि लड़कियों के परिजनों ने रात भर उनकी काफी तलाश की, लेकिन वे नहीं मिलीं.
एक लड़की के पिता ने बताया कि दोनों सोमवार को शाम 7.30 बजे साथ-साथ बाहर निकलीं और वापस लौटीं, फिर रात नौ बजे मंदिर गईं. जब वे वापस नहीं लौटीं, तो वह अपनी बहन के घर गए, ताकि पता लगा सके कि उनकी बेटी वहां है या नहीं. उन्हें वहां न पाकर उसने पूरे गांव और आस-पास के इलाकों में तलाश की.
उन्होंने बताया, ‘सुबह करीब पांच बजे मेरी भाभी शौच के लिए जा रही थी कि दौड़कर आई और बताया कि पेड़ से दो शव लटके हुए हैं. मैं भागकर वहां पहुंचा और पाया कि एक मेरी बेटी थी और दूसरी मेरे पड़ोसी की.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी की हत्या की गई है. दोनों परिवार किसान हैं.
घटनास्थल का दौरा करने वाले एसपी ने बताया कि पेड़ के पास से एक मोबाइल फोन मिला है और एक लड़की के सामान में सिम कार्ड मिला है. उन्होंने बताया कि मामले की जांच की जा रही है.
फर्रुखाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अवनींद्र कुमार ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि लड़कियों की मौत फांसी लगाने से हुई है. प्रारंभिक रिपोर्ट में यौन उत्पीड़न की पुष्टि नहीं हुई है और दोनों लड़कियों के शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई है.
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की संभावना की आगे की विस्तृत जांच के लिए स्लाइड तैयार की गई हैं. दोनों शवों के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की गई.
हमलावर विपक्ष
इस बीच राज्य में विपक्ष के नेताओं ने लड़कियों की मौत के पीछे की सच्चाई उजागर करने के लिए निष्पक्ष जांच की मांग की.
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘उत्तर प्रदेश के फ़र्रूख़ाबाद में जन्माष्टमी उत्सव देखने निकली दो बच्चियों की लाशें पेड़ पर लटकी मिलना, एक बेहद संवेदनशील घटना है. भाजपा सरकार इस मामले में तत्काल निष्पक्ष जांच करे और हत्या के इस संदिग्ध मामले में अपनी आख्या प्रस्तुत करे. ऐसी घटनाओं से समाज में एक भयावह वातावरण बनता है, जो नारी समाज को मानसिक रूप से बहुत गहरा आघात पहुंचाता है. ‘महिला सुरक्षा’ को राजनीति से ऊपर उठकर एक गंभीर मुद्दे के रूप में उठाने का अपरिहार्य समय आ गया है.’
यह घटनाक्रम तीन सप्ताह पहले कोलकाता में एक युवा डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद महिला सुरक्षा को लेकर देशभर में मचे हो रहे व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच हुआ है.
यह मामला साल 2014 के कुख्यात हत्याकांड की भी याद दिलाता है. तब राज्य के बदायूं में दो चचेरी बहनें पेड़ से लटकी हुई पाई गई थीं, जिसके बाद आरोप लगे थे कि उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था.
स्थानीय पुलिस की जांच को लेकर विवाद हुआ था क्योंकि आरोप लगे थे कि अधिकारी धीमी गति से काम कर रहे थे और हेट क्राइम की अटकलों के बीच मामले को छिपाने की कोशिश कर रहे थे. मामला अंततः सीबीआई को सौंप दिया गया, जिसने निष्कर्ष निकाला कि कोई सामूहिक बलात्कार नहीं हुआ था और यह आत्महत्या का मामला था. हालांकि बाद में एक अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया था.