नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) पर आरोप है कि वह अपने द्वारा संचालित संस्थानों के फैकल्टी सदस्यों को ड्यूटी समय के दौरान सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए मजबूर कर रही है, ताकि गणमान्य व्यक्तियों को खुश करने के लिए प्रतिभागियों की संख्या बढ़ाई जा सके.
द टेलीग्राफ के मुताबिक, 18 जुलाई को एनसीईआरटी के तहत कार्यरत एक क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान (आरआईई) के फैकल्टी सदस्यों और कर्मचारियों को एक ईमेल प्राप्त हुआ था, जिसमें उन्हें अगले दिन शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी के साथ एक वीडियो कांफ्रेंसिंग संवाद में ‘सकारात्मक’ रूप से’ शामिल होने के लिए कहा गया था.
19 जुलाई को प्रोफेसर सुबह 10 बजे के करीब आरआईई के निर्दिष्ट कमरों में एकत्र हुए. चौधरी को ऑनलाइन बातचीत के लिए सुबह 11 बजे दिल्ली स्थित एनसीईआरटी मुख्यालय में पहुंचना था, लेकिन वे दोपहर करीब 12 बजे वहां पहुंचे. एनसीईआरटी और देश भर के पांच आरआईई के कई फैकल्टी सदस्यों ने कहा कि अधिकारी मंत्री को खुश करने के लिए ऑनलाइन भीड़ जुटाना चाहते थे.
एक शिक्षक ने नाम न बताने की शर्त पर पूछा,’मंत्री के कार्यक्रम के लिए फैकल्टी सदस्यों को भीड़ बनने के लिए कहा गया था ताकि वह खुश हो सकें. सभी ने अपने महत्वपूर्ण कामों को छोड़कर इसका पालन किया, जिसमें आरआईई की कक्षाएं भी शामिल थीं. एनसीईआरटी एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है. क्या फैकल्टी सदस्यों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए?’
उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें स्कूल के पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने वाले स्वतंत्र संस्थान को शोभा नहीं देतीं.
प्रोफेसर ने कहा, ‘में कार्यक्रम में सकारात्मक रूप से शामिल होने के लिए कहा गया था. हमने तीन घंटे बिताए, जिसमें दो घंटे प्रतीक्षा करना भी शामिल था. बातचीत एक नियमित बातचीत की तरह थी.’
एक अन्य फैकल्टी सदस्य ने कहा कि प्रोफेसरों को गणमान्य व्यक्तियों के लिए भीड़ जुटाने की आदत हो गई है.
फैकल्टी सदस्य ने कहा, ‘वे न तो ऐसे आयोजनों से दूर रह सकते हैं और न ही उन्हें बीच में छोड़ सकते हैं, क्योंकि उन्हें सोशल मीडिया और सरकार के साथ साझा करने के लिए आयोजन स्थल से ली गईं तस्वीरों और वीडियो से पहचाना जा सकता है.’
छात्र भी इससे अछूते नहीं हैं. जुलाई में शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के निर्माण की चौथी वर्षगांठ मनाने के लिए 22 से 28 तारीख तक ‘शिक्षा सप्ताह’ मनाने का फैसला किया था. इस दौरान स्कूलों में हर दिन कार्यक्रम आयोजित किए गए.
छात्र भी इससे अछूते नहीं हैं. जब भी शिक्षा मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबोधित ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम आयोजित करता है तो केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), नवोदय विद्यालय समिति और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के छात्रों को कार्यक्रम स्थल पर बुलाया जाता है. स्कूल अपने परिसर में ऐसे कार्यक्रमों की स्क्रीनिंग भी आयोजित करते हैं.
केवीएस स्कूल के एक शिक्षक ने कहा कि स्कूलों में अब वास्तविक शिक्षण और सीखना-सिखाना सरकार की प्राथमिकता में नहीं रहा है. छात्रों और शिक्षकों से चीयरलीडर्स बनने की उम्मीद की जाती है. कुछ स्कूली शिक्षक इससे खुश रहते हैं क्योंकि वे न तो पढ़ाई पर ध्यान देते हैं और न ही नतीजों पर.
द टेलीग्राफ के मुताबिक, उच्च शिक्षण संस्थानों को योग दिवस, विकसित भारत के लिए दौड़, स्वच्छ भारत मिशन, राष्ट्रीय एकता दिवस, सुशासन दिवस और सर्जिकल स्ट्राइक दिवस जैसे कार्यक्रमों की देखरेख करने के लिए कहा जाता है.
संस्थानों को स्थानीय आरएसएस नेताओं की वार्ता आयोजित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है, जो ज़्यादातर शिक्षा नीति पर बोलते हैं.