मध्य प्रदेश: दलित महिला और उनके पोते से मारपीट के मामले में छह रेलवे पुलिसकर्मी निलंबित

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में कटनी में जीआरपी की एक थाना प्रभारी एक महिला और एक लड़के की पिटाई करती दिखाई दे रही हैं. बाद में कुछ अन्य पुलिसकर्मी भी महिला और लड़के की पिटाई करते दिखते हैं.

महिला और नाबालिग से मारपीट करतीं थाना प्रभारी. (फोटो साभार: सोशल मीडिया वीडियोस्क्रीनग्रैब)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कटनी जिले में एक महिला और उनके पोते की पिटाई के मामले में एक थाना प्रभारी समेत छह सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) कर्मियों को निलंबित कर दिया.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी कांग्रेस ने एक दिन पहले घटना का वीडियो साझा करते हुए दावा किया था कि पीड़ित दलित समुदाय से हैं.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘थाना जीआरपी कटनी के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा मारपीट का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मेरे संज्ञान में आने पर तुरंत आज सुबह डीआईजी रेल को जांच हेतु मौके पर भेजने का निर्देश दिया गया था। प्रारंभिक जांच के अनुसार, तत्कालीन थाना प्रभारी जीआरपी कटनी सहित एक प्रधान आरक्षक और चार आरक्षक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए हैं. साथ ही, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया है कि यह सुनिश्चित हो कि भविष्य में इस तरह के कदाचार की पुनरावृत्ति नहीं हो.’

इससे पहले दिन में, एक वरिष्ठ जीआरपी अधिकारी ने कहा था कि पिछले साल अक्टूबर में हुई इस घटना के सिलसिले में पांच पुलिसकर्मियों को फील्ड ड्यूटी से हटा दिया गया था.

पुलिस अधीक्षक (जीआरपी) सिमाला प्रसाद ने पीटीआई को बताया, ‘दीपक वंशकार नाम का एक व्यक्ति था जिसके खिलाफ 19 मामले दर्ज थे और वह फरार था. उसे जिले से भी निकाल दिया गया था. उसके परिवार के सदस्यों को पिछले अक्टूबर में इसी संबंध में पूछताछ के लिए थाने बुलाया गया था.’

एसपी प्रसाद ने कहा, ‘पूछताछ का वीडियो वायरल हो गया. महिला और नाबालिग के खिलाफ कटनी में मामला भी दर्ज किया गया है. वीडियो में दिख रहे सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर (फील्ड ड्यूटी से हटाना) कर दिया गया है.’

एसपी प्रसाद ने आगे कहा कि इस बात की जांच चल रही है कि महिला और उनके पोते के साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया गया और घटना का आधिकारिक फुटेज कैसे सार्वजनिक हुआ.

सूत्रों ने बताया कि रेलवे की उपमहानिरीक्षक मोनिका शुक्ला गुरुवार को जांच करने कटनी पहुंचीं.

इस बीच, मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी भी पीड़ितों से मिलने कटनी पहुंचे. एक पुलिस अधिकारी ने कांग्रेस नेताओं के दौरे के मद्देनजर शहर में सुरक्षा बढ़ाए जाने की बात कही.

उल्लेखनीय है कि एक्स पर प्रदेश कांग्रेस द्वारा साझा किए गए वीडियो में सादे कपड़ों में एक महिला – थाना प्रभारी- एक कमरे में एक महिला और एक लड़के की पिटाई करती दिखाई दे रही है. बाद में वर्दी में कुछ अन्य पुलिसकर्मी भी महिला और लड़के की पिटाई करते हुए दिखाई दिए.

वीडियो में नाबालिग को कहते सुना जा सकता है कि ‘पुलिस हमें कटनी जीआरपी थाने लेकर आई और मेरे पापा के बारे में पूछताछ की, जो एक गरीब मजदूर हैं, लेकिन उन्हें चोरी के झूठे मामलों में फंसाया गया है.’

वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस ने इस मामले में राज्य सरकार पर निशाना साधा और मोहन यादव सरकार पर अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रति असंवेदनशील होने का आरोप लगाया.

एक्स पर पोस्ट में विपक्षी दल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, क्या आप हमें बताएंगे कि मध्य प्रदेश में क्या हो रहा है? कानून-व्यवस्था बनाए रखने के बहाने आपका पुलिस विभाग गुंडागर्दी कर रहा है और लोगों की जान लेने पर आमादा है.’

इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कांग्रेस ने कहा, ‘जिस क्रूरता के साथ कटनी शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) की थाना प्रभारी ने दलित परिवार के 15 वर्षीय लड़के और उसकी दादी की पिटाई की, वह पीड़ादायक है. उन्हें ऐसा करने की इतनी हिम्मत कहां से मिली? क्या यह आपकी लापरवाही के कारण है? क्या आपने उन्हें इस तरह के कृत्य करने की अनुमति दी है?’

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने एएनआई से कहा, ‘एक 60 वर्षीय महिला को पुलिस स्टेशन के अंदर सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि वह दलित है? एक 15 वर्षीय लड़के के साथ इसलिए मारपीट की गई क्योंकि वह दलित परिवार से था. यह मध्य प्रदेश के बारे में क्या बताता है? यह दलितों के खिलाफ अत्याचार का केंद्र बन गया है.’

उन्होंने कहा, ‘सीएम मोहन यादव जो राज्य के गृह मंत्री भी हैं, उन्हें इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि ये बाबासाहेब अंबेडकर और दलितों के दमन के खिलाफ भाजपा के रुख को खराब तरीके से दर्शाते हैं. अगर उस व्यक्ति के खिलाफ चोरी का मामला था तो उसकी बूढ़ी मां का क्या दोष था? अगर मामला है तो क्या पुलिस और प्रशासन कोर्ट का काम करेगा?… इस पर सीएम और सरकार चुप क्यों हैं? गृह मंत्री की क्या जिम्मेदारी है?’

उन्होंने आगे जोड़ा कि घटना को अंजाम देने वाली महिला (जीआरपी थाने की प्रभारी) के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी, सीसीटीवी वीडियो है और किसी अन्य सबूत की जरूरत नहीं है.