असम विधानसभा में मुस्लिम नेताओं को शुक्रवार को मिलने वाले ‘नमाज़ ब्रेक’ पर रोक

असम विधानसभा ने ब्रिटिश काल से चली आ रही उस प्रथा को ख़त्म कर दिया, जिसके तहत मुस्लिम नेता शुक्रवार को नमाज़ अदा कर सकते थे. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि यह निर्णय विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: असम विधानसभा ने शुक्रवार को कार्यवाही के दौरान ब्रिटिश काल से चली आ रही उस प्रथा को खत्म कर दिया, जिसके तहत मुस्लिम नेता नमाज अदा कर सकते थे.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा ने कार्यवाही के दौरान प्रक्रिया और आचरण के नियमों के नियम 11 में संशोधन किया, जो सदन की बैठकों से संबंधित है. नियम के अनुसार, शुक्रवार और शनिवार को छोड़कर सभी कार्यदिवसों पर सुबह 9:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक बैठकें होती थीं.

शुक्रवार को सदन सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक और दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक बैठता था. इस दौरान दो घंटे का ब्रेक मिलता था. हालांकि, नियमों में यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि शुक्रवार को यह ब्रेक नमाज अदा करने के लिए है, लेकिन मुस्लिम विधायक दशकों से इसका इस्तेमाल कार्यवाही में शामिल होने से पहले नमाज अदा करने के लिए करते आ रहे हैं.

मामले से अवगत अधिकारियों के अनुसार, यह मुद्दा राज्य विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने उठाया था, जिन्होंने माना कि संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को देखते हुए विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार को किसी भी अन्य दिन की तरह ही होनी चाहिए. जिसके बाद सदन की नियम समिति के समक्ष एक प्रस्ताव रखा गया, जिस पर समिति ने सर्वसम्मति से नियम को हटाने पर सहमति व्यक्त की और मौजूदा नियम में संशोधन करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिससे शुक्रवार को किसी भी अन्य दिन की तरह कार्यवाही आयोजित की जा सके.

चूंकि शुक्रवार को विधानसभा सत्र का अंतिम दिन था, इसलिए नया नियम अगले शीतकालीन सत्र से लागू होगा.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक्स पर लिखा कि असम विधानसभा की उत्पादकता को बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य के औपनिवेशिक बोझ को हटाने के लिए प्रति शुक्रवार सदन को जुमे के लिए दो घंटे तक स्थगित करने के नियम को रद्द किया गया है.

उन्होंने आगे लिखा, ‘यह प्रथा मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह द्वारा 1937 में शुरू की गई थी. भारत के प्राचीन धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कायम रखने के इस प्रयास के लिए असम विधानसभा के सभापति बिस्वजीत दैमारी और माननीय सदस्यों को मेरा आभार.

विपक्ष ने मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया

इस संबंध में, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के एक मुस्लिम विधायक ने कहा कि यह नियम कई दशकों से चला आ रहा है. उन्होंने इसे बदलने की आवश्यकता पर सवाल उठाया.

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा परंपरा को बदलने की क्या आवश्यकता थी? असम में हिमंता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व वाली मौजूदा भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) सरकार 2026 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है.’

वहीं, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा पर ‘सस्ती लोकप्रियता’ हासिल करने का आरोप लगाया.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पटना में तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘असम के मुख्यमंत्री सस्ती लोकप्रियता के लिए ऐसा कर रहे हैं. वह कौन हैं? उन्हें बस सस्ती लोकप्रियता चाहिए. भाजपा ने मुसलमानों को आसान निशाना बनाया है.’

राजद नेता ने कहा, ‘वे किसी न किसी तरह से मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं और समाज में नफरत फैलाना चाहते हैं. भाजपा को समझना चाहिए कि मुसलमानों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति दी थी.’

उन्होंने एक्स पर मीडियाकर्मियों से बातचीत का एक वीडियो क्लिप भी पोस्ट किया और लिखा, ‘सस्ती लोकप्रियता हासिल करने और ‘योगी का चाइनीज वर्जन’ बनने के प्रयास में असम के मुख्यमंत्री जानबूझकर मुसलमानों को परेशान करने वाले कृत्य करते रहते हैं.’

उन्होंने कहा कि आरएसएस को छोड़कर सभी धर्मों के लोगों का देश की आज़ादी में हाथ है. हमारे मुस्लिम भाइयों ने देश को आज़ादी दिलाने में कुर्बानियां दी हैं और जब तक हम यहां हैं, कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता.

द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने इस कदम के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को ‘मुस्लिम विरोधी’ कहा.

पठान का मानना ​​है कि यह कदम ‘असंवैधानिक है और धर्म के पालन के अधिकार का उल्लंघन है.’  एक वीडियो संदेश में पठान ने पूछा, ‘यह परंपरा 1937 से चली आ रही है, अचानक आपको क्या हो गया?’

उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा है, और मैं इसे फिर से कहता हूं कि भाजपा सरकार और हिमंता बिस्वा शर्मा जैसे सीएम मुस्लिम विरोधी हैं.’

उन्होंने कहा, ‘उन्हें हमारे खाने-पीने से नफ़रत है, हमारे कपड़ों से नफ़रत है, हमारे मदरसों से नफ़रत है, अब वे नमाज़ से नफ़रत करते हैं.’

पठान ने कहा, ‘इससे साफ़ पता चलता है कि भाजपा सरकार विकास और रोज़गार के मुद्दों पर विफल रही है, इसलिए वे इस मुद्दे को लेकर आगे आए हैं… ध्रुवीकरण करो और अपनी सियासत चमकाते रहो.’