भ्रष्टाचार के क़रीब सात हज़ार सीबीआई केस अदालतों में लंबित, सैकड़ों 20 साल से पुराने: सीवीसी

केंद्रीय सतर्कता आयोग की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 दिसंबर, 2023 तक देश की विभिन्न अदालतों में सीबीआई द्वारा जांच किए गए कम से कम 2,100 मामले 10 साल या बीस साल से अधिक समय तक लंबित थे, जबकि 20 साल से अधिक समय के 361 मामले लंबित पड़े थे.

(फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की हालिया वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 31 दिसंबर 2023 तक भ्रष्टाचार से जुड़े केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच वाले 6,900 से अधिक मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 361 मामले 20 सालों से अधिक पुराने हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भ्रष्टाचार के 658 मामले सीबीआई जांच के लिए लंबित हैं. वहीं, इनमें से 48 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं.

सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, अदालतों में सीबीआई द्वारा जांच किए गए कम से कम कुल 2,100 मामले 10 साल या 20 साल से अधिक समय से लंबित हैं, जबकि 20 साल से अधिक समय से लंबित मामलों की संख्या 361 है. इसमें यह भी दावा किया गया कि पिछले साल 31 दिसंबर तक 6,903 मामलों की सुनवाई लंबित थी. यह चिंता का विषय है कि 2023 के अंत में 2,461 मामले 10 से अधिक सालों से लंबित थे.

आयोग की रिपोर्ट की मानें तो सीबीआई और आरोपियों द्वारा दायर 12,773 अपील या पुनर्विचार याचिकाएं विभिन्न हाईकोर्ट और उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं.

हाल ही में सार्वजनिक की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 501 मामले 20 वर्ष से अधिक समय से, 1138 मामले 15 वर्ष से अधिक लेकिन 20 वर्ष से कम समय से, 2558 मामले 10 वर्ष से अधिक लेकिन 15 वर्ष से कम समय, 3850 मामले पांच वर्ष से अधिक लेकिन 10 वर्ष से कम समय, 2172 मामले दो वर्ष से अधिक लेकिन पांच वर्ष से कम समय और 2554 मामले दो वर्ष से कम समय से लंबित हैं.

रिपोर्ट में सीबीआई की जांच के लिए लंबित 658 मामलों का ब्योरा देते हुए कहा गया है कि 48 मामले पांच साल से अधिक समय से लंबित थे, जबकि 74 मामले तीन साल से अधिक लेकिन पांच साल से कम समय से लंबित थे.  75 मामले दो साल से अधिक लेकिन तीन साल से कम समय से लंबित थे, 175 मामले एक साल से अधिक लेकिन दो साल से कम समय से लंबित थे और 286 मामले एक साल से कम समय से लंबित थे.

आयोग का कहना है कि सीबीआई से मामला दर्ज होने के एक साल के भीतर जांच पूरी करने की अपेक्षा की जाती है. जांच पूरी होने का मतलब यह होता है कि यदि जरूरी हो तो सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी प्राप्त करने के बाद, जहां भी आवश्यक हो, न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया जाए.

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मामलों में जांच पूरी होने में कुछ देरी का पता चला है. जांच पूरी होने में देरी के कारणों में ‘अत्यधिक काम की वजह से देरी’, ‘अपर्याप्त श्रमशक्ति’, ‘अनुरोध पत्रों में जवाब प्राप्त करने में देरी’ और ‘सक्षम प्राधिकारियों द्वारा अभियोजन की स्वीकृति देने में देरी’ शामिल हैं.

मानव संसाधन की कमी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 31 दिसंबर 2023 तक की स्थिति को देखें तो सीबीआई में 1,610 खाली पद थे, जबकि इसमें स्वीकृत पदों की संख्या 7,295 थी. इनमें से 1,040 कार्यकारी रैंक के हैं. वहीं, 84 कानून अधिकारी, 53 तकनीकी अधिकारी, 388 मंत्रालयीन कर्मचारी और 45 कैंटीन कर्मचारी हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 4सी के साथ पठित केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 की धारा 26 के तहत पुलिस अधीक्षक और उससे ऊपर (निदेशक को छोड़कर) के स्तर के पदों पर नियुक्ति के लिए अधिकारियों की सिफारिश करने के लिए एक समिति का प्रावधान है और निदेशक से परामर्श करने के बाद दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना में ऐसे अधिकारियों के कार्यकाल के विस्तार या कटौती की सिफारिश भी करती है.

इसमें यह भी कहा गया कि चयन समिति ने विभिन्न नियुक्तियों, कार्यकाल के विस्तार के प्रस्तावों आदि के संबंध में केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें दीं. यह समिति केंद्रीय सतर्कता आयुक्त की अध्यक्षता में कार्य करती है और सतर्कता आयुक्त, सचिव, गृह मंत्रालय और सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग इसके सदस्य हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 के दौरान सीबीआई ने 876 नियमित मामले या एफआईआर पूछताछ के लिए केस दर्ज किए थे. एजेंसी ने साल 2023 के दौरान रिश्वत के मामलों का पता लगाने के लिए 198 जाल बिछाए गए और आय से अधिक संपत्ति रखने के 37 मामले दर्ज किए गए. वहीं, 876 मामलों में से 91 मामले संवैधानिक अदालतों के आदेश पर लिए गए और 84 मामले राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों से मिले.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2023 के दौरान सीबीआई ने 873 मामलों में जांच पूरी की. इनमें 755 नियमित मामले और 118 प्रारंभिक जांच के मामले शामिल थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि साल 2023 के अंत में कुल 1,028 मामले लंबित थे, जिनमें से 72 प्रारंभिक जांच के अलावा 956 नियमित मामले थे. 510 नियमित मामले एक वर्ष से अधिक समय से लंबित थे और 58 प्रारंभिक जांचें 2023 के अंत में तीन तीन महीने से अधिक समय से लंबित थीं.

सीवीसी का कहना है कि सीबीआई ने 2023 के दौरान 674 लोक सेवकों (195 राजपत्रित अधिकारियों) से जुड़े 552 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए. इसमें मुकदमे और दोषसिद्धि (भ्रष्टाचार निरोधक कानून से इतर के मामलों सहित) का ब्योरा देते हुए कहा गया कि 636 अदालती मामलों में फैसले हो चुके हैं, जिसमें से 411 मामलों में दोष सिद्ध हुआ. वहीं, 140 मामलों में दोषमुक्त करार दिया गया, 24 को आरोप मुक्त कर दिया गया और 61 मामलों को अन्य कारणों से छोड़ दिया गया.

रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2023 के दौरान दोषसिद्धि की दर 71.47 प्रतिशत थी, जबकि साल 2022 में ये दर 74.59 प्रतिशत थी. वर्ष 2023 के अंत में विभिन्न अदालतों में 10,959 मामले विचाराधीन थे.