नई दिल्ली: पिछले साल भ्रष्टाचार की सबसे ज़्यादा शिकायतें रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ की गई हैं. इसके बाद दिल्ली के स्थानीय निकायों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का नंबर है. यह जानकारी केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की एक रिपोर्ट में सामने आई है.
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) भारत का एक शीर्ष सरकारी संस्थान है. संस्थान की वेबसाइट से उसके उद्देश्य की जानकारी मिलती है, जहां लिखा है ‘सीवीसी देश के सार्वजनिक प्रशासन में ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है.’
साल 1964 में सीवीसी की स्थापना भ्रष्टाचार निवारण को लेकर बनी संथानम समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप हुई थी. लोग भ्रष्टाचार की संबंधित शिकायत सीवीसी को भेजते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2023 में सभी श्रेणियों के अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ 74,203 भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 66,373 का निपटारा कर दिया गया और 7,830 लंबित हैं.
किसके ख़िलाफ़ कितनी शिकायतें
हाल ही में सार्वजनिक की गई सीवीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक 10,447 शिकायतें रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ मिलीं, इनमें से 9,881 का निपटारा कर दिया गया और 566 लंबित हैं.
रेलवे के बाद दिल्ली का नंबर रहा. राष्ट्रीय राजधानी में जीएनसीटीडी (Government of National Capital Territory of Delhi) को छोड़कर स्थानीय निकायों के कर्मचारियों के खिलाफ 7,665 शिकायतें की गईं.
स्थानीय निकायों में दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम, दिल्ली परिवहन निगम, दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, इंद्रप्रस्थ विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड, दिल्ली नगर निगम और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद शामिल हैं.
दिल्ली में स्थानीय निकायों के खिलाफ शिकायतों का ब्योरा देते हुए, इसमें कहा गया कि कुल शिकायतों में से 7,278 का निपटारा कर दिया गया तथा 387 लंबित हैं.
और कौन–कौन इस सूची में?
2023 में सीवीसी को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारियों के खिलाफ 7,004 भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हुईं. इनमें से 6,667 का निपटारा कर दिया गया और 337 लंबित हैं.
दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की 6,638 शिकायतों में से 6,246 का निपटारा कर दिया गया.
दिल्ली पुलिस कर्मियों के खिलाफ मिली 5,313 शिकायतों में से 3,325 का निपटारा कर दिया गया.
आवास एवं शहरी मामलों के कर्मचारियों के खिलाफ 4,476 शिकायतें की गईं, जिनमें से 3,723 का निपटारा कर दिया गया.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोयला मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ कुल 4,420 भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हुईं, श्रम मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 3,217, पेट्रोलियम मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 2,749 और गृह मंत्रालय के कर्मचारियों (दिल्ली पुलिस को छोड़कर) के खिलाफ 2,309 शिकायतें प्राप्त हुईं.
रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,861 भ्रष्टाचार की शिकायतें प्राप्त हुईं, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के कर्मचारियों के खिलाफ 1,828 शिकायतें, दूरसंचार कर्मचारियों के खिलाफ 1,457 शिकायतें तथा केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के कर्मचारियों के खिलाफ 1,205 शिकायतें प्राप्त हुईं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के खिलाफ 960 भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं, बिजली मंत्रालय के तहत 930, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण के तहत 929 और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत 889 शिकायतें थीं.