गोवा: मुख्यमंत्री के ओएसडी को राज्य सूचना आयुक्त बनाया गया, विरोध में उतरी कांग्रेस

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के कार्यालय के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) आत्माराम बार्वे को इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है. कांग्रेस ने उनके भाजपा कार्यकर्ता होने का भी दावा किया है और कहा है कि उनकी नियुक्ति सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: गोवा में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी की राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) के रूप में नियुक्ति में ‘हितों के टकराव’ का मुद्दा उठाया है और आरोप लगाया है कि वह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के कार्यालय के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) आत्माराम बार्वे को इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया था. यह पद मार्च में खाली हुआ था.

गोवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष सुनील कावथंकर ने आरोप लगाया कि बार्वे मुख्यमंत्री कार्यालय में ओएसडी के पद पर कार्यरत होने के अलावा भाजपा के एक सक्रिय सदस्य और जमीनी कार्यकर्ता हैं. बार्वे ने इस दावे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

कावथंकर ने मंगलवार को पणजी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत यह प्रावधान है कि इस पद पर नियुक्त व्यक्ति का कोई राजनीतिक जुड़ाव होना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘यह हितों के टकराव का स्पष्ट मामला है. उनकी नियुक्ति पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों से समझौता करती है, जो सूचना के अधिकार अधिनियम की नींव हैं. अगर हम मुख्यमंत्री कार्यालय के भीतर भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो क्या हम उसे प्राप्त कर पाएंगे?’

कावथंकर ने सावंत से बार्वे की नियुक्ति पर पुनर्विचार करने और उसे वापस लेने का आग्रह किया और ऐसे उम्मीदवार को चुनने का आग्रह किया जो स्वतंत्र, निष्पक्ष हो और जिसका पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने का पुराना रिकॉर्ड रहा हो.

वहीं, मुख्यमंत्री सावंत ने बार्वे की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि यह कानून के अनुसार है.

सावंत ने मीडिया से कहा, ‘राज्य सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन करने के मानदंड बहुत स्पष्ट हैं. उम्मीदवार के पास पीजी (स्नातकोत्तर) डिग्री होनी चाहिए और उसे लोक प्रशासन में काम करने का अनुभव होना चाहिए. नियुक्ति एलओपी (नेता विपक्ष) सहित तीन सदस्यीय समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार की गई थी.’

अखबार के अनुसार, बार्वे ने टिप्पणी के लिए किए गए फ़ोन कॉल का जवाब नहीं दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी नियुक्ति हितों के टकराव का मामला है, क्या वे भाजपा से जुड़े हैं और क्या वे मुख्यमंत्री के ओएसडी के रूप में काम करना जारी रखेंगे, बार्वे ने टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए कहा: ‘इस समय कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.’

पद के मानदंडों संबंधी सावंत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस मीडिया सेल के अध्यक्ष अमरनाथ पंजिकर ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह बताते समय कि कैसे बार्वे एसआईसी के लिए निर्धारित योग्यता मापदंडों को पूरा करते हैं, प्रमोद सावंत आरटीआई अधिनियम 2005 के अध्याय IV के उप-खंड 6 का उल्लेख करना भूल गए. इस खंड में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य मुख्य सूचना आयुक्त या राज्य सूचना आयुक्त संसद का सदस्य या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विधानमंडल का सदस्य नहीं होगा… या कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा या किसी राजनीतिक दल से जुड़ा नहीं होगा या कोई व्यवसाय नहीं करेगा या किसी पेशे में नहीं होगा.’

पंजिकर ने आगे कहा, ‘कुछ दिन पहले, भाजपा (प्रदेश) अध्यक्ष ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए बधाई संदेश में कहा था कि बर्वे भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता हैं. इससे भाजपा के साथ उनके जुड़ाव का पता चलता है.’