नई दिल्ली: मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाकर्मियों की समस्याओं पर प्रकाश डालने वाली जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट आने के बाद अब तमिल और तेलुगु फिल्म उद्योगों की ओर भी ध्यान गया है. अनुभवी तमिल अभिनेत्री राधिका सरथकुमार ने अपने सहकर्मियों से महिला सुरक्षा के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया है.
तमिल अभिनेत्री राधिका सरथकुमार का कहना है कि शीर्ष अभिनेताओं को जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और उन महिला कलाकारों के साथ एकजुटता व्यक्त करनी चाहिए, जिनके साथ फिल्म उद्योग में गलत व्यवहार किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुपरस्टार रजनीकांत की हाल ही में की गई टिप्पणी कि उन्हें हेमा समिति की रिपोर्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं है, पर एक सवाल का जवाब देते हुए राधिका ने कहा, ‘अगर रजनीकांत ने कहा कि उन्हें इसके बारे में नहीं पता है, तो इसका मतलब है कि उन्हें नहीं पता है.’
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं आपको (इंडस्ट्री के पुरुषों को) बता दूं, आपकी चुप्पी गलत समझी जाएगी. अगर आप सोचते हैं कि ‘मैं इस बारे में क्यों बात करूं’ या ‘मैं इस बारे में कैसे बात करूं’, तो मैं आपको बता दूं कि यह कोई मुश्किल काम नहीं है. कहिए, ‘मैं महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव मदद करूंगा…’ सिर्फ यह एक बयान एक प्रभावित महिला, जो शायद आपके लिए कोई अनजान जूनियर आर्टिस्ट हो, को बड़ी राहत प्रदान करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘हर हीरो को पता होगा कि इस व्यवस्था में कौन सी हीरोइनें प्रभावित हैं. हर कलाकार और निर्देशक को यह पता है. लेकिन अगर पुरुष एकजुटता में यह एक वाक्य बोलें, तो यह सभी महिलाओं के लिए राहत की बात होगी.’
उन्होंने कहा कि तमिल सिनेमा के कई अभिनेताओं की राजनीति में जाने की महत्वकांक्षा है. उन्होंने सवाल किया, ‘आप सभी लोगों के लिए खड़े होना चाहते हैं और उनकी आवाज बनना चाहते हैं, है न? तो फिर आप अपनी महिला सहकर्मियों के लिए क्यों आवाज नहीं उठाते?’
राधिका ने कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन सुरक्षा अभी भी महत्वपूर्ण है, खासकर डांसर्स और चरित्र कलाकारों के लिए.
उन्होंने कहा, ‘निर्माताओं को उनका ख्याल रखना चाहिए. हमें उनसे कहना चाहिए कि अगर उन्हें कोई बुरा अनुभव हुआ है तो वे आकर शिकायत दर्ज कराएं. अन्यथा, पुरुषों का सबसे आम सवाल यही होगा – महिलाएं पांच साल बाद शिकायत लेकर क्यों आती हैं?’
उन्होंने आगे कहा, ‘एक महिला का दर्द कौन समझेगा? उन पांच सालों में उसने जो दर्द सहा, परिवार चलाने की ज़िम्मेदारियां… सभी क्षेत्रों की महिलाओं को – चाहे वे घरेलू नौकर हों, आईटी पेशेवर हों या शीर्ष शेफ़ हों – सभी कार्यस्थलों पर सुरक्षा मिलनी चाहिए.’
उन्होंने यह भी कहा कि कई अभिनेता इस डर के कारण मीडिया से बात करने में अनिच्छुक रहते हैं कि उनके शब्दों को गलत तरीके से उद्धृत किया जा सकता है या सुर्खियां बनाने के लिए तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है.
कुछ दिन पहले, राधिका ने एक मलयालम फिल्म के सेट से जुड़ा एक परेशान करने वाला अनुभव साझा किया था, जहां महिला कलाकारों के कपड़े बदलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वैनिटी वैन में कथित तौर पर छिपे हुए कैमरे लगाए गए थे.
उन्होंने कॉरपोरेट व्यवस्था के मानव संसाधन (एचआर) विभागों के समान मजबूत समितियों की स्थापना का आह्वान किया, जिसमें फिल्म सेट पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून से जुड़े पेशेवर शामिल हों. उन्होंने कहा, ‘हम असहाय महिलाएं नहीं हैं. हम मजबूत महिलाएं हैं. लेकिन यहां काम करने वाली सभी महिलाओं को सुरक्षा मिलनी चाहिए.’
बहरहाल, तमिल फिल्म उद्योग की अन्य हस्तियों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है. अभिनेता जीवा ने हाल ही में चिंताओं को खारिज करते हुए कहा, ‘तमिल उद्योग में कोई समस्या नहीं है, केवल केरल में है.’ वहीं, अभिनेता विशाल ने कहा कि तमिल उद्योग में महिलाओं की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी.
वहीं, तमिल सिनेमा के सबसे बड़े स्टार रजनीकांत ने हेमा समिति की रिपोर्ट के बारे में जानकारी न होने का दावा किया.
रिपोर्ट के जारी होने ने अन्य अनसुलझे आरोपों के बारे में फिर से चर्चा छेड़ दी है. गायिका चिन्मयी श्रीपदा, जो उत्पीड़न के अपने अनुभवों के बारे में मुखर रही हैं, ने तमिल सिनेमा में जारी समस्याओं को लोगों को याद दिलाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. उन्होंने आरोप लगाया कि एक प्रमुख गीतकार, जिस पर कई महिलाओं ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है, को उद्योग के भीतर शक्तिशाली लोगों द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है.
मालूम हो कि जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट आने के बाद केरल के मलयालम फिल्म उद्योग में कई नामी हस्तियों और फिल्मकारों पर यौन अपराधों के आरोप लगे हैं. इसी बीच, तेलुगु फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए अप्रैल 2019 में तेलंगाना सरकार द्वारा गठित एक उप-समिति की रिपोर्ट जारी करने की मांग उठ रही है.
तेलुगु फिल्मों की अग्रणी महिला अभिनेत्रियां, निर्माता और निर्देशक तेलंगाना सरकार पर तेलुगु फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न को लेकर दो साल पुरानी इस रिपोर्ट को जारी करने के लिए दबाव डाल रही हैं, ताकि सुरक्षित कामकाजी माहौल बनाने की दिशा में कदम उठाया जा सके.