नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मंगलवार (3 सितंबर) को नेटफ्लिक्स के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में वेब सीरीज़ आईसी-814: द कंधार हाईजैक में पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के चित्रण की कमी पर सवाल उठाए.
29 अगस्त को स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हुई यह वेब सीरीज विमान का अपहरण करने वालों के लिए ‘हिंदू’ कोडनेम का इस्तेमाल करने को लेकर विवादों में घिर गई है, हालांकि 6 जनवरी 2000 की एक सरकारी प्रेस विज्ञप्ति से पता चलता है कि वास्तव में विमान हाईजैक करने वालों ने उन कोडनेम का इस्तेमाल किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, यह बैठक सूचना एवं प्रसारण सचिव संजय जाजू और नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेंट वाइस-प्रेसिडेंट मोनिका शेरगिल के बीच हुई.
बैठक के बाद शेरगिल द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 के हाईजैक से अपरिचित दर्शकों की सुविधा के लिए शुरुआती डिस्क्लेमर को अपडेट कर दिया गया है, जिसमें अपहरणकर्ताओं के वास्तविक और कोडनेम शामिल किए गए हैं.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘सीरीज़ में कोडनेम वास्तविक घटना के दौरान इस्तेमाल किए गए नामों को दर्शाते हैं. भारत में कहानी कहने की एक समृद्ध संस्कृति है और हम इन कहानियों और उनके प्रमाणिक निरुपण के दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने सीरीज में आईएसआई के चित्रण पर भी सवाल उठाया कि कैसे एक एपिसोड एजेंसी को अपहरण में उसकी भूमिका से ‘मुक्त’ कर देता है. कहा जा रहा है कि बैठक में यह मुद्दा उठाया गया कि शो कुछ पहलुओं को तथ्यात्मक रूप से दर्शाने के लिए पुराने फुटेज का उपयोग करता है, लेकिन अन्य तथ्यों को छोड़ देता है.
केंद्र सरकार ने इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध अन्य विदेशी शो और फिल्मों में मौजूद ‘अश्लील’ सामग्री को भी चिह्नित किया और कहा कि ये ‘भारतीय मूल्यों’ के अनुरूप नहीं हैं.
सोमवार को नेटफ्लिक्स के प्रतिनिधियों को तलब करते हुए सरकार ने उनसे कहा था कि उन्हें जनता की धार्मिक भावनाओं और संवेदनशीलता को ध्यान में रखना चाहिए.
बता दें कि इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट में सवार दो अपहरणकर्ताओं के लिए कोडनेम ‘भोला’ और ‘शंकर’ के इस्तेमाल को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया था, कई लोगों ने शो के निर्देशक अनुभव सिन्हा पर ‘सिनेमैटिक व्हाइटवॉशिंग’ और हिंदुओं को बदनाम करने का आरोप लगाया. इन नामों के इस्तेमाल पर आपत्ति जताने वालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई नेता और दक्षिणपंथी इंफ्लुएंसर शामिल थे.
जनवरी 2000 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान से पता चलता है कि ये कोडनेम वास्तव में अपहरणकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए थे और सिन्हा द्वारा नहीं बनाए गए हैं. कैप्टन देवी शरण और श्रींजॉय चौधरी द्वारा लिखी गई ‘फ्लाइट इनटू फियर’ नामक किताब भी इन कोडनेम के इस्तेमाल की पुष्टि करती है.