नई दिल्ली: मणिपुर के जिरीबाम जिले में शनिवार (7 सितंबर) को ताजा हिंसा भड़क उठी, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई. शुक्रवार को हुए हिंसा में 70 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई और कम से कम पांच लोग घायल हो गए. इससे पहले बिष्णुपुर जिले के गांवों पर निकटवर्ती पहाड़ियों से रॉकेट दागे गए.
यह घटना पश्चिम इंफाल के गांवों पर ड्रोन से बम गिराने की घटना के कुछ दिनों बाद हुई है, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.
रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि एक व्यक्ति की सोते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि अन्य मृतकों में चार हथियारबंद लोग भी शामिल हैं, जो बाद में हुई गोलीबारी में मारे गए.
यह घटना उस समय हुई जब हथियारबंद लोग अकेले रहने वाले व्यक्ति के घर में घुसे और उसे सोते समय गोली मार दी. गोलीबारी की जगह जिला मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर एक सुनसान इलाका है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि व्यक्ति की हत्या के बाद पहाड़ियों में संघर्षरत समुदायों के हथियारबंद लोगों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें तीन पहाड़ी उग्रवादियों सहित चार हथियारबंद लोगों की मौत हो गई.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक मारे गए लोगों में कुकी और मेईतेई दोनों समुदायों से हैं.
अधिकारियों ने बताया कि विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है.
बिष्णुपुर जिले के गांवों पर पहाड़ियों से रॉकेट दागे गए
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले शुक्रवार (6 सितंबर) को बिष्णुपुर जिले के गांवों पर निकटवर्ती पहाड़ियों से रॉकेट दागे गए. इस घटना के बाद तनाव बढ़ने पर बड़ी संख्या में लोग रात में इंफाल पश्चिम में द्वितीय मणिपुर राइफल्स और इंफाल पूर्व में सातवीं मणिपुर राइफल्स के बाहर एकत्र हुए, कथित तौर पर परिसर से हथियार जब्त करने का प्रयास किया.
बिष्णुपुर जिले के त्रोंगलाओबी में तड़के करीब 4:30 बजे इन अत्याधुनिक रॉकेटों से हमले शुरू हुए, जिससे वहां दो इमारतें नष्ट हो गईं.
पुलिस के अनुसार, निकटवर्ती कुकी-ज़ोमी बहुल चूड़ाचांदपुर जिले में ऊंचे स्थानों से त्रोंगलाओबी के निचले आवासीय क्षेत्र की ओर रॉकेट दागे गए.
उसी दिन दोपहर को, उसी जिले के मोइरंग मैरेनबाम लेइकाई में लगभग 3.30 बजे ऐसे ही प्रोजेक्टाइल दागे गए, जिसमें एक निवासी की मौत हो गई. मृतक की पहचान 70 वर्षीय आरके रबेई सिंह के रूप में हुई है.
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री मैरेनबाम कोइरेंग के आवास पर रॉकेट दागा गया था. प्रत्यक्षदर्शी मैरेनबाम केल्विन ने बताया कि रॉकेट दिवंगत मुख्यमंत्री के आवास की दीवार से टकराया और तुरंत फट गया, जिससे रबेई सिंह की मौके पर ही मौत हो गई.
केल्विन ने बताया कि यह घटना उस समय हुई जब दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री का परिवार अपने एक सदस्य के अंतिम संस्कार समारोह की तैयारी कर रहा था. उन्होंने बताया, ‘यह बहुत तेज़ी से हुआ. विस्फोट से पहले चीखने की आवाज़ सुनाई दी. जब हमें लगा कि विस्फोट हुआ है, तो हमने देखा कि रबेई खून से लथपथ फर्श पर पड़ा हुआ था.’
पुलिस ने रॉकेट के अवशेष भी बरामद किए हैं, जिसका पिछला हिस्सा सुरक्षित है. घायलों को इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (आरआईएमएस) अस्पताल ले जाया गया है.
एक सुरक्षा सूत्र ने बताया कि ये ‘रॉकेट’ विस्फोटकों से जुड़े गैल्वनाइज्ड लोहे के पाइपों का उपयोग करके बनाए गए इंस्टेंट प्रोजेक्टाइल जैसे होते हैं.
अधिकारी ने बताया कि इस तरह के प्रोजेक्टाइल या रॉकेट की आवाज सबसे पहले शाम करीब साढ़े चार बजे बिष्णुपुर जिले के मोल्फेइतामपाक के उत्तर-पश्चिम में सुनी गई, जिसके बाद सुरक्षा बल सक्रिय हो गए और उस स्थान की ओर बढ़ने लगे.
अधिकारी ने कहा, ‘मोइरंग के पश्चिम में लाइकामोलसौ नाम की जगह पर हमें पत्थरों और पेड़ों की रुकावटों का सामना करना पड़ रहा था. इसे साफ करते समय सेना गोलीबारी की चपेट में आ गई और जवाबी कार्रवाई की. इसके बाद जब वे आगे बढ़े तो रॉकेट त्रोंगलाओबी में पहले ही गिर चुका था.’
सुबह 10:30-11 बजे मोइरांग के बुंगलों और मौलसांग में सुरक्षा बलों पर फिर से पहाड़ियों से गोलीबारी की गई. अधिकारी ने कहा, ‘बिष्णुपुर और चूड़ाचांदपुर दोनों जगहों से पुलिस बल अभियान चलाने के लिए आए और पुलिस और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में इलाके की तलाशी ली.’
हालांकि, गोलीबारी और हिंसा पूरे दिन जारी रही. मोइरांग मैरेनबाम लेइकाई में हुई हिंसा के बाद भी, जिसमें एक मौत हुई थी, टेराखोंगशांगबी और ट्रोंगाओबी दोनों जगहों पर रात 8 बजे के बाद गोलीबारी की खबरें आईं.
बढ़ते हिंसा के बीच शैक्षणिक संस्थान बंद
हिंसा के इस बढ़ते प्रकोप के चलते मणिपुर शिक्षा विभाग ने 7 सितंबर को राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया.
घाटी स्थित नागरिक समाज संगठन कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई) ने अनिश्चितकालीन ‘सार्वजनिक आपातकाल’ की घोषणा की है और लोगों से कुकी उग्रवादियों द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों का हवाला देते हुए घरों में रहने को कहा है.
सीओसीओएमआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि आपातकाल उन लोगों की सुरक्षा के लिए लगाया गया है, जिनकी जान लगातार हो रहे हमलों के कारण खतरे में है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति में सुधार होने तक आपातकाल लागू रहेगा.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच सीओसीओएमआई ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के इस्तीफे की मांग करते हुए कहा है कि राज्य में बढ़ते सुरक्षा खतरों के सामने वे कथित तौर पर निष्क्रियता हैं.
संगठन ने डीजीपी की आलोचना करते हुए कहा कि वे नागरिकों को ड्रोन बम विस्फोटों और ‘अप्रवासी सशस्त्र चिन-कुकी नार्को-आतंकवादी समूहों’ द्वारा किए जाने वाले हवाई हमलों सहित मौजूदा खतरों से पर्याप्त रूप से बचाने में विफल रहे हैं.
संगठन के पत्र में राज्य की आबादी की सुरक्षा और संरक्षण को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि वे सभी इन निरंतर हमलों के कारण लगातार भय में जी रहे हैं.
सीओसीओएमआई ने इन आतंकवादी तत्वों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बार-बार की गई अपीलों को नज़रअंदाज़ किए जाने के बाद इस्तीफ़े की मांग की है. संगठन का तर्क है कि मौजूदा नेतृत्व राज्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ज़रूरी समझ और प्रभावशीलता दिखाने में विफल रहा है.
मालूम हो कि 3 मई, 2023 को कुकी और मेईतेई जातीय समुदायों के बीच भड़की हिंसा में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. सीमावर्ती राज्य में कम से कम 60,000 लोग तब से विस्थापित हो चुके हैं, उनमें से एक बड़ा हिस्सा अभी भी राहत शिविरों में रह रहा है. इसके बाद से कई लोग अपने इलाके छोड़कर मिजोरम, असम और मेघालय चले गए हैं.