असम: सीएम शर्मा बोले- जिन्होंने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया था, उनके आधार कार्ड नहीं बनेंगे

असम सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) आवेदन नंबर अनिवार्य कर दिया है, जो असम के लोगों को 2015 में एनआरसी के लिए आवेदन करते समय प्रदान किया गया था.

हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो साभार: X/@himantabiswa)

नई दिल्लीः असम के मुख्यमंत्री (सीएम) हिमंता बिस्वा शर्मा ने शनिवार (7 सितंबर) को सरकार के एक फैसले की घोषणा की, जिसमें यह निर्णय लिया गया है कि जिन्होंने साल 2014 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हिस्सा बनने के लिए आवेदन नहीं किया था, उन लोगों को आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि आधार कार्ड जारी नहीं करने का फैसला एक बड़े सरकारी अभियान का हिस्सा है, इसके साथ उन्होंने  धुबरी, बारपेटा और मोरीगांव जिलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जिलों में जारी किए गए आधार कार्डों की कुल संख्या इन जिलों की अनुमानित आबादी से अधिक है. 

सीएम शर्मा ने कहा कि ये तीनों जिले- धुबरी, बारपेटा और मोरीगांव मुस्लिम बहुल हैं, और यहां की अनुमानित जनसंख्या के आंकड़ों के मुकाबले आधार कार्ड जारी करने का प्रतिशत क्रमशः 103%, 103% और 101% है. सरमा कहते हैं कि इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ‘संदिग्ध विदेशियों’ को भी इन जिलों में आधार कार्ड जारी किया गया है. 

उन्होंने कहा कि यही वजह है जिसके चलते सरकार ने भविष्य में आधार कार्ड जारी करने के लिए एनआरसी आवेदन नंबर देना अनिवार्य कर दिया है, जो असम के लोगों को 2015 में एनआरसी के लिए आवेदन करते समय प्रदान किया गया था. 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया साल 2019 में अंतिम एनआरसी के प्रकाशन के बाद से आधर में है. यह प्रक्रिया साल 2015 में शुरू हुई थी, जिसका लक्ष्य यह निर्धारित करना था कि आवेदक ने साल 1971 से पहले भारत में प्रवेश लिया है या नहीं. अगर हां, तो उन्हें एनआरसी में शामिल किया जाना था, और उन्हें भारत के नागरिक के रूप में मान्यता दी जानी थी. और अगर नहीं, तो वे एनआरसी से बाहर थे और उन्हें राज्य की विदेशी न्यायाधिकरण प्रणाली में मुकदमे का सामना करना था. 

इस प्रक्रिया के लिए आवेदन साल 2015 में मार्च से लेकर अगस्त के महीने में किए गए थे. कुल 3,30,27,661 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था. अगस्त 2019 में प्रकाशित अंतिम एनआरसी में कुल आवेदकों में से 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर पाए गए. हालांकि, उस एनआरसी को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया है. 

शर्मा ने बताया कि जो लोग एनआरसी के लिए आवेदन करने वाले 3.3 करोड़ लोगों में से नहीं हैं, उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. 

सीएम कहते हैं, ‘व्यक्ति का नाम एनआरसी में आया या नहीं ये अलग बात है, लेकिन उसे इस प्रक्रिया का आवेदक होना ही चाहिए. यदि आपने आवेदन नहीं किया था तो इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आप असम में साल 2014 के बाद दाखिल हुए हैं.’

शर्मा ने कहा, ‘1 अक्टूबर से, असम में आधार कार्ड बनवाना एक कठिन प्रक्रिया हो जाएगी. हम अगले  10-15 दिनों में इसके लिए एक कठोर एसओपी जारी करेंगे,’ सरमा ने कहा.  

हालांकि, उन्होंने यह भी बताया की चाय बागान समुदाय के लोगों को इस प्रक्रिया में छूट दी जाएगी, क्योंकि राज्य सरकार अभी तक इस समुदाय के बहुत से लोगों को आधार कार्ड उपलब्ध नहीं करा पाई है. 

उन्होंने कहा कि हालांकि आधार केंद्र सरकार जारी करती है, लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा इसने संबंधित अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करना आवश्यक बनाकर राज्य सरकार को कुछ शक्तियां दी गईं हैं.