नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शनिवार (7 सितंबर) को गांदरबल विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि उन्होंने जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने के लिए कुछ क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ सौदा किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक़, शुक्रवार (6 अगस्त) को जम्मू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाजपा का घोषणापत्र जारी किया था. उस दौरान शाह द्वारा दिए गए भाषण के संदर्भ में अब्दुल्ला ने कहा कि उन्होंने अपने संबोधन के दौरान ‘अपनी पार्टी (एपी)’ और ‘पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पार्टी (पीसी) के बारे में कुछ भी नहीं कहा.
क्षेत्रीय दलों पर निशाना साधते हुए नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष अब्दुल्ला ने कहा, ‘जिन्होंने दिल्ली के साथ सौदा कर लिया हो, वह आपकी मांगें पूरी नहीं कर सकते. उन्होंने दिल्ली के साथ सौदा किया है, इस बात का सबूत अगर आपको चाहिए तो शुक्रवार को जम्मू में गृहमंत्री का संबोधन सुन लीजिए.’
अब्दुल्ला ने कहा, ‘गृह मंत्री ने उन दलों का नाम बताया जिनके साथ भाजपा सरकार नहीं बनाएगी. हालांकि, वह निर्दलियों, अपनी पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस पर चुप्पी साध गए, क्योंकि वे लोग उनके साथ मिले हुए हैं. मैंने सोचा था कि वह कम से कम इंजीनियर रशीद की पार्टी (अवामी इत्तेहाद पार्टी) का नाम लेंगे, लेकिन उन्होंने नहीं लिया.’
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शुक्रवार को जम्मू में पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए शाह ने जम्मू कश्मीर में सरकार बनने का भरोसा जताया था. उन्होंने उस दौरान कहा था, ‘वंशवाद द्वारा शासित पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस में से कोई सरकार नहीं बनाएगा. बाकी संभावनाएं भाजपा तलाशेगी.’
उमर अब्दुल्ला गांदरबल और बडगाम विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां 25 सितंबर को दूसरे चरण के दौरान मतदान होने हैं. विपक्षियों द्वारा गांदरबल में उन पर ‘बाहरी’ होने के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिन पर उनका कहना है, ‘जिन उम्मीदवारों के पास बात करने के लिए कुछ नहीं है, वे ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ जैसे मुद्दे उठाते हैं.’
अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की सरकार बनती है तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद लौट आएगा: अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार (7 सितंबर) को कहा कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में आई तो जम्मू-कश्मीर में ‘आतंकवाद लौट आएगा.’
उन्होंने कहा कि लोगों के सामने विकल्प है कि या तो वह आतंकवाद की वापसी का सामना करने को तैयार हों या फिर शांति और विकास को चुनें.
अमित शाह ने जम्मू में अपने दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह कहा.
द टेलीग्राफ के अनुसार, शाह ने दावा किया कि दोनों दल पत्थर फेंकने वालों और आतंकवाद के आरोप में जेल में बंद लोगों को रिहा करना चाहते हैं. साथ ही, आतंकवादियों की मदद के लिए नियंत्रण रेखा के उस पार (पाकिस्तान) से व्यापार को फिर से चालू करना चाहते हैं.
शाह ने पूछा, ‘उनका उद्देश्य आतंकियों को रिहा करना है और पुंछ तथा राजौरी सहित हमारे जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को वापस लाना है, जहां अब शांति है. क्या आप जम्मू, पुंछ, डोडा और राजौरी में आतंकवाद फैलाने की इजाजत देंगे?’
अमित शाह के इन बयानों के मद्देनज़र दैनिक अखबार द टेलीग्राफ ने लिखा है कि इन सभी जिलों में पिछले कुछ महीनों में कई घातक हमले हुए हैं, जिसके बाद से हमलावरों को पकड़ने के लिए सुरक्षाबलों को उन क्षेत्रों में अनगिनत अभियान चलाने पड़े हैं.
शाह ने यह भी दावा किया कि ये दोनों दल पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरू करना चाहते हैं. शाह ने कसम खाई कि जब तक क्षेत्र में शांति नहीं लौट आती, तब तक उस पार से कोई बातचीत नहीं होगी.
गृह मंत्री ने कहा कि इस बार का चुनाव इसलिए भी बेहद ख़ास है क्योंकि इस बार चुनाव पहली बार भारत के राष्ट्रीय झंडे और संविधान के अंदर हो रहा है.
द टेलीग्राफ के अनुसार, शाह ने यह भी कहा कि इस बार के चुनावों में किसकी सरकार बनेगी इसका फैसला जम्मू के लोगों के हाथ में है.
बता दें कि 2022 में एक विवादास्पद परिसीमन के तहत जम्मू की सीटों को 37 से बढ़ाकर 43 कर दिया गया था, जबकि कश्मीर की सीटें 45 से बढ़कर 47 हुईं थीं. हालांकि, कश्मीर में जम्मू से अधिक आबादी है.
जम्मू में भी हिंदू बहुल इलाकों को ही ज्यादा सीटें दी गईं.
बता दें कि 18 सितंबर से लेकर 1 अक्टूबर के बीच प्रदेश की 70 सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होने हैं. मतगणना एवं चुनावों के परिणाम 8 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव दस सालों बाद होने जा रहे हैं. प्रदेश में आखिरी बार चुनाव साल 2014 में हुए थे.
इसी बीच, साल 2019 में प्रदेश को अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को निरस्त कर दिया गया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था- जम्मू कश्मीर और लद्दाख.