मध्य प्रदेश: नगर निगम अधिकारी को बल्ले से पीटने के मामले में भाजपा नेता आकाश विजयवर्गीय बरी

मध्य प्रदेश के पूर्व भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय पर 2019 में नगर निगम अधिकारी से मारपीट का आरोप लगा था और घटना के वीडियो वायरल हुए थे. अब उक्त अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि उन्हें नहीं पता कि पीछे से बल्ला मारने वाला कौन था.

इंदौर में नगर निगम के अधिकारी को बल्ले से पीटते आकाश विजयवर्गीय.

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के शहरी विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे और पूर्व भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय को सोमवार को एक विशेष अदालत ने नगर निगम अधिकारी पर हमले के मामले से बरी कर दिया. इस मामले में उन पर और 10 अन्य पर 2019 में इंदौर नगर निगम के भवन निरीक्षक पर क्रिकेट बैट से हमला करने का आरोप था.

मालूम हो कि 26 जून 2019 को इंदौर के गंजी कंपाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के दौरान विवाद के बाद आकाश विजयवर्गीय ने नगर निगम के भवन निरीक्षक धीरेंद्र सिंह बायस को क्रिकेट के बल्ले से पीट दिया था.

आकाश तब विधायक थे और इस घटना को लेकर उनके और 10 अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 294 (अपमानजनक भाषा), 323 (हमला), 506 (आपराधिक धमकी), 147 (दंगा) और 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के मुताबिक, अब बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि कथित तौर पर मारपीट वाले वीडियो की प्रामाणिकता साबित नहीं की जा सकी, जिसके बाद विशेष अदालत एमपी/एमएलए अदालत ने आरोपियों को मारपीट और आपराधिक धमकी समेत कई आरोपों से बरी कर दिया.

बचाव पक्ष के वकील उदयप्रताप सिंह कुशवाह ने संवाददाताओं से कहा, ‘अभियोजन पक्ष अदालत में आरोपों को साबित नहीं कर सका. इस वजह से अदालत ने विजयवर्गीय और नौ अन्य को बरी कर दिया. मामले के एक अन्य आरोपी की (मुकदमे के दौरान) हत्या कर दी गई.’

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस देव कुमार की अध्यक्षता वाली एक विशेष अदालत एमपी/एमएलए ने 10 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष मारपीट और आपराधिक धमकी के आरोपों को साबित करने में विफल रहा है.

घटना के कई वीडियो क्लिप भी वायरल हुए थे, जिनमें आकाश कथित तौर पर क्रिकेट बैट पकड़े हुए थे. हालांकि, अदालत में उनकी प्रामाणिकता साबित नहीं हो सकी. शिकायतकर्ता अधिकारी का पीछे हटना भी आरोपी के पक्ष में काम आया.

नवभारत टाइम्स के अनुसार,  पीड़ित अधिकारी ने कहा कि उनके पीछे कौन था, किसने बल्ला मारा, उन्होंने नहीं देखा. बल्ला मारने वाले आकाश तो नहीं थे.

मालूम हो कि घटना के वीडियो क्लिप इंटरनेट पर वायरल हुए थे, जिसकी पूरे देश में आलोचना हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर अपनी नाराजगी जताई थी.

राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आकाश और उनके 10 समर्थकों की गिरफ्तारी का आदेश दिया था. बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. आकाश को 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का टिकट नहीं दिया गया और उनकी जगह उनके पिता को मैदान में उतारा गया.