नई दिल्ली: केंद्र ने शुक्रवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया. यह घोषणा करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करने के दृष्टिकोण के तहत लिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शाह ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का ‘अद्वितीय स्थान’ रहा था. वीडी सावरकर ने अंडमान की सेलुलर जेल में कई साल बिताए थे और नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने द्वीप पर तिरंगा फहराया था.
शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्त करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर, आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर ‘श्री विजयपुरम’ करने का फैसला किया है. ‘श्री विजया पुरम’ नाम स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है.’
उन्होंने कहा, ‘इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है. चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है. यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा मां भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है.’
पोर्ट ब्लेयर का नाम ब्रिटिश नौसेना सर्वेक्षक और बॉम्बे मरीन में लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था, जो 1770 के दशक के अंत में अंडमान द्वीप समूह का गहन सर्वेक्षण करने वाले पहले अधिकारी थे.
श्रीविजय एक साम्राज्य का प्राचीन नाम था जिसका आधार सुमात्रा में था, जिसका प्रभाव पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में था. यह बौद्ध धर्म के विस्तार में भी सहायक रहा था. माना जाता है कि चोलों द्वारा इसके बंदरगाहों पर कई नौसैनिक हमलों के बाद 11वीं शताब्दी ई. के आसपास इस साम्राज्य का पतन हो गया था.
कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि 11वीं शताब्दी के चोल सम्राट राजेंद्र प्रथम ने श्रीविजय पर हमला करने के लिए अंडमान द्वीप समूह को एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया था.
जगहों के नाम बदलना भाजपा के उन दावों का एक प्रमुख साधन रहा है, जिसके तहत वह ‘गुलामी’ के अवशेषों को खत्म करना और देश को उपनिवेशवाद से मुक्त करना चाहती है. मोदी सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों द्वारा ऐसे प्रयासों के कई उदाहरण हैं.
चूंकि भाजपा मध्ययुगीन भारत को ‘गुलामी’ का समय मानती है, इसलिए मोदी सरकार का एक प्रारंभिक निर्णय नई दिल्ली में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड रखना था. इसके बाद 2018 में उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था. इसी प्रकार, रेसकोर्स रोड, जहां प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास स्थित है, का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया.