साहित्य आलोचना से स्त्री स्वर नदारद क्यों है
वीडियो: हिंदी साहित्य में आलोचना विधा में चंद स्त्रियों के नाम ही सामने आते है, साथ ही उनकी आलोचना का दायरा समकालीन लेखिकाओं को बमुश्किल ही छूता है. इसकी क्या वजह है? वरिष्ठ आलोचक डॉ. रश्मि रावत और युवा समीक्षक अदिति भारद्वाज के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
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