मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी फरमान के अनुसार, स्कूली बच्चों के अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों और सहायकों के पास भी आधार कार्ड होना ज़रूरी है.
देशभर में बच्चों को स्कूलों तक लाने के प्रयास के तहत शुरू हुई मिड डे मील योजना का लाभ लेने के लिए अब आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा. 28 फरवरी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करके यह सूचना दी गई है.
इसके अनुसार स्कूली बच्चों के अलावा मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों और सहायकों के पास भी आधार कार्ड होना ज़रूरी है. मंत्रालय का कहना है कि आधार कार्ड के प्रयोग से इस योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आएगी, साथ ही इसका लाभ लेने वालों को आसानी होगी. हालांकि जम्मू कश्मीर, असम और मेघालय में आधार कार्ड की अनिवार्यता नहीं है.
आधार कार्ड बनवाने के लिए 30 जून तक का समय दिया गया है. उसके बाद आधार कार्ड नहीं होने की स्थिति में मिड डे मील लेने के लिए आधार कार्ड की रजिस्ट्रेशन स्लिप दिखानी होगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा मिड डे मील योजना 2007 में शुरू की गई थी, जिसके तहत शैक्षिणिक रूप से पिछड़े इलाकों में बच्चों को स्कूल लाने के लिए पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल में ही दोपहर का भोजन दिया जाता है. साल 2008 में इस योजना का विस्तार करते हुए इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया.
केंद्र सरकार द्वारा पिछले काफी समय से कई योजनाओं को आधार से जोड़ा जा रहा है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा साफ़ निर्देश दिए गए थे कि आधार कार्ड न होने की स्थिति में किसी नागरिक को सरकारी सुविधा का लाभ लेने से वंचित नहीं रखा जा सकता. फिलहाल वह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.
इससे पहले सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और मनरेगा जैसी योजनाओं को भी आधार से जोड़ा गया है. ख़बर रेलवे आरक्षण में आधार को अनिवार्य करने की भी है. आधार कार्ड को मिड डे मील लेने के लिए अनिवार्य करने से सामाजिक कार्यकर्ता ख़ुश नहीं हैं.
एनडीटीवी के अनुसार सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक ऐसा करने से बहुत से ज़रूरतमंद, गरीब बच्चे इस योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे. उनका कहना है, ‘फर्जीवाड़ा रोकने का यह तरीका नहीं है. फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सरकार को योजना को और अच्छे तरीके से लागू करना चाहिए ताकि ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे विद्यालयों तक पहुंचें. हमने देखा है कि जहां लोगों की योजना में भागीदारी है और वहां वह योजना अच्छी तरह से चल रही है. वहां किसी गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं रह जाती. जहां तक आधार का सवाल है तो यह तो हमने देखा है कि किस तरह पीडीएस और मनरेगा जैसी योजनाओं का फायदा लोगों को नहीं मिल रहा क्योंकि कई बार उनके फिंगर प्रिंट ही मैच नहीं करते.’