सुप्रीम कोर्ट ने अंत समय में नीट-पीजी परीक्षा पैटर्न बदलने पर केंद्र, बोर्ड से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट में नीट-पीजी 2024 को लेकर दायर एक याचिका में कहा गया है कि 11 अगस्त को हुई परीक्षा का पैटर्न अंतिम समय में बदल दिया गया. याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि परीक्षा के लिए न तो कोई नियम थे और न ही स्पष्टता. तीन दिन पहले परीक्षा को दो भागों में बांट दिया गया.

(प्रतीकात्मक तस्वीर साभार: Unsplash)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (20 सितंबर) को अंतिम समय में नीट पीजी 2024 परीक्षा पैटर्न में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार और नेशनल बोर्ड ऑफ एजुकेशन फॉर मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) से सवाल पूछा है.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले को 27 सितंबर को सूचीबद्ध करते हुए बोर्ड और केंद्र सरकार से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है.

सुनवाई के दौरान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यह बहुत असामान्य है…परीक्षा से तीन दिन पहले (परीक्षा पैटर्न बदल दिया गया)…छात्र निराश हो जाएंगे.’

सीजेआई ने सवाल किया, ‘वे कह रहे हैं कि आपने इसके लिए कोई नियम नहीं बनाए हैं, सब कुछ ब्रोशर के अनुसार होता है और परीक्षा से तीन दिन पहले परीक्षा का पूरा पैटर्न बदल दिया जाता है. आप यह सब कैसे कर सकते हैं?’

इस पर परीक्षा बोर्ड के वकील ने जवाब दिया कि उन्होंने कुछ भी नया या असामान्य नहीं किया है, लेकिन पीठ सहमत नहीं हुई और पीठ ने छात्रों की ओर से पैरवी कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा और अधिवक्ता तन्वी दुबे की दलीलों पर ध्यान दिया.

वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि 11 अगस्त को हुई नीट पीजी का पैटर्न अंतिम समय में बदल दिया गया. अंकों के सामान्यीकरण, उत्तर कुंजी जारी नहीं की गई. उन्होंने कहा कि परीक्षा के लिए न तो कोई नियम थे और न ही स्पष्टता . तीन दिन पहले परीक्षा को दो भागों में बांट दिया गया.

मखीजा ने आगे कहा कि इस मामले में एक मानकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है.यह सुनिश्चित करने के लिए कोई नियम नहीं हैं कि परीक्षा कैसे आयोजित की जानी है. सब कुछ एक सूचना बुलेटिन पर निर्भर था जिसे अधिकारियों की इच्छानुसार संशोधित किया जा सकता था.

मालूम हो कि नीट पीजी परीक्षा एमबीबीएस और बीडीएस के बाद के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है. 23 अगस्त को एनबीई द्वारा घोषित किए गए नतीजों ने अप्रत्याशित रूप से कम रैंकिंग को लेकर छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी.

इस साल नीट पीजी की परीक्षा एकल-पाली प्रारूप के बजाय दो पालियों में आयोजित की गई थी. एनबीईएमएस के अनुसार, उसने उस प्रक्रिया को अपनाया जो वर्तमान में एम्स-नई दिल्ली द्वारा नीट-पीजी 2024 के परिणामों की तैयारी में आईएनआई-सीईटी सहित एक से अधिक पाली में आयोजित विभिन्न परीक्षाओं के लिए उपयोग की जा रही है.

इस मामले में एमबीबीएस डॉक्टर इशिका जैन और अन्य द्वारा दायर याचिका पर आखिरी सुनवाई 13 सितंबर को हुई थी. इसमें नीट-पीजी, 2024 की आंसर-की (उत्तर कुंजी), प्रश्न पत्र और अंकों के मानकीकरण का खुलासा करने की मांग की गई है क्योंकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा को दो भागों में विभाजित किया गया था.

लाइव लॉ की खबर के अनुसार, इस परीक्षा के आयोजन को लेकर याचिकाकर्ताओं ने पारदर्शिता की कमी और मनमाने ढंग से अंतिम समय में पैटर्न बदलाव के मुद्दे उठाए हैं. याचिका में कहा गया है कि परीक्षा पैटर्न को निर्धारित तिथि से सिर्फ एक महीने पहले बदल दिया गया था और परीक्षा को प्रत्येक सत्र के लिए अलग-अलग पेपर के साथ दो (2) सत्र की परीक्षा में बदल दिया गया, जो एनबीई के एक सामान्य परीक्षा के दिशानिर्देशों के खिलाफ है.

याचिका में परीक्षा के प्रश्न-उत्तरों का खुलासा न करने के मुद्दे पर विस्तार से कहा गया है, ‘नीट-पीजी 2024 की परीक्षाओं के संचालन में पारदर्शिता की स्पष्ट कमी है, क्योंकि कोई भी दस्तावेज़ जिससे छात्र अपने प्रदर्शन की जांच कर सकें, उन्हें दिया नहीं गया है. उन्हें केवल सही-गलत जवाब के साथ एक स्कोर कार्ड दिया गया, जिसमें छात्रों पाया कि इसमें कुल प्रश्नों की संख्या गड़बड़ थी. इस मामले में ये एक बुनियादी दोष नज़र आता है.’

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि एनबीई को रिस्पॉन्स शीट, रॉ और प्री-नॉर्मलाइज्ड स्कोर, हर पारी के लिए सामान्य परिणाम और आंसर-की जारी करनी चाहिए. इसके साथ ही पारदर्शिता बनाए रखने के लिए याचिकाकर्ताओं की मांग है कि परीक्षा के प्रश्नपत्रों और आंसर-की का वितरण नियमित किया जाना चाहिए.

याचिका में एम्स के सिस्टम पर आधारित नए अंक सामान्यीकरण पद्धति के खिलाफ भी शिकायत की गई है, जो बोर्ड द्वारा पहले और दूसरे सत्र के उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों की गणना के लिए शुरू की गई थी. इसे टाई ब्रेकिंग के लिए 7 वें दशमलव तक गिने जाने की व्यवस्था थी, जिसे पूरी तरह से मनमाना बताया गया है क्योंकि इसमें उम्मीदवारों के दो वर्गों को बिना किसी उचित संबंध के जोड़ा गया हैं.

मालूम हो कि इस साल नीट पीजी की परीक्षा को दो पालियों में आयोजित करने के चलते बोर्ड को अंक सामान्यीकरण प्रक्रिया लागू करनी पड़ी, जिसमें बोर्ड का दावा है कि उसने वही प्रक्रिया अपनाई है, जिसका उपयोग वर्तमान में एम्स, नई दिल्ली द्वारा एक से अधिक शिफ्ट में आयोजित अपनी विभिन्न परीक्षाओं के लिए किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में हर पाली के परिणाम कच्चे स्कोर और प्रतिशत के रूप में तैयार किए गए थे.

इस संबंध में प्रोवेजिनल आंसर-की०  के साथ अंकों की तुलना करने के बाद कई छात्रों ने रैंकिंग प्रक्रिया में गड़बड़ी के बारे में बताया. एनबीई से आधिकारिक उत्तर कुंजी जारी करने और मुद्दों के समाधान के लिए एक शिकायत पोर्टल स्थापित करने की अपील की गई है.

इससे पहले अधिवक्ता मखीजा ने कहा था कि एनबीई ने न तो प्रश्न पत्र जारी किए और न ही आंसर-की. सही उत्तर जाने बिना उम्मीदवार अपने प्रदर्शन का आकलन नहीं कर पाएंगे.