नई दिल्ली: पंजाब के पटियाला के राजीव गांधी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (आरजीएनयूएल) के कुलपति पर बिना किसी पूर्व सूचना के छात्राओं के हॉस्टल में प्रवेश करने और आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा है. फिलहाल, यूनिवर्सिटी को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया, लेकिन विद्यार्थी कुलपति के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे है.
छात्रों का आरोप है कि इस साल मार्च के महीने में जब से कुलपति डॉक्टर जयशंकर सिंह आए हैं, उनके कामों से केवल छात्रों का मनोबल ही नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. हालांकि, डॉक्टर सिंह ने अपने अलग-अलग मीडिया बयानों में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है.
मालूम हो कि सोमवार (23 सितंबर) विश्वविद्यालय बंद करने के आदेश के बावजूद छात्र कैंपस को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि जब तक वीसी को नहीं हटाया जाएगा, तब तक वे अपना प्रदर्शन खत्म नहीं करेंगे.
क्या है पूरा मामला?
छात्रों द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक ज्ञापन में कहा गया है कि पूर्व में भी कुलपति सिंह द्वारा छात्रों के प्रति असंवेदनशील टिप्पणियों के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन ताज़ा विरोध रविवार (22 सितंबर) की घटना को लेकर है, जब कुलपति बिना किसी पूर्व जानकारी के लड़कियों के हॉस्टल में दाखिल हो गए और वहां कथित तौर पर लड़कियों पर अभद्र टिप्पणियां भी कीं.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने विश्वविद्यालय के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि लड़कियों के छात्रावास परिसर में किसी को जाने की अनुमति नहीं है. यहां तक कि छात्रों के माता-पिता को भी प्रवेश से मना किया गया है. ऐसे में कुलपति का रात में औचक निरीक्षण उनकी मंशा पर कई सवाल खड़े करता है.
छात्रों के लिखित बयान के मुताबिक, कुलपति ने अपने हॉस्टल दौरे की सूचना पूर्व में न तो ने हॉस्टल वार्डन को दी और नही छात्राओं को. बाद में उन्हें इसकी जानकारी दी गई. निरीक्षण के समय कुलपति के साथ कोई महिला फैकल्टी या गार्ड भी नहीं थीं.
छात्रों को कहना है कि कुलपति सिंह कथित तौर पर छात्राओं के कमरे में अचानक घुस गए, जिसके चलते वहां मौजूद छात्राओं को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा. कथित तौर पर एक छात्रा नहाकर तुरंत बाहर ही आईं थी कि कुलपति को उन्होंने सामने देखा. उन्हें ठीक से कपड़े पहनने का समय भी नहीं दिया गया और इसके बाद उनसे सवाल-जवाब किए गए.
छात्रों ने कुलपति के इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि कुलपति अगर मेस और प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए अपर्याप्त हॉस्टल सुविधा को लेकर निरीक्षण करने गए थे, तो उन्होंने पहले साल के बजाय तीसरे वर्ष वाले छात्रों के कमरे में क्यों पहुंचे.
छात्रों का ये भी कहना है कि सिंह ने छात्राओं पर अनुचित टिप्पणियां भी कीं, जिनमें उनके कपड़ों, व्यक्तिगत गतिविधियों और शैक्षणिक प्रयासों पर की गईं टिप्पणियां शामिल हैं.
इस संबंध में आरजीएनयूएल छात्र समुदाय ने छात्रावास में रहने वाली लड़कियों की निज़ता और गरिमा के अस्वीकार्य उल्लंघन की कड़ी निंदा की है. उनका कहना है कि अगर निरीक्षण ही करना उद्देश्य था तो ये महिला कर्मचारियों द्वारा भी किया जा सकता था.
उधर, कुलपति सिंह ने मीडिया में यह कहकर अपना बचाव किया कि वह लड़कियों के छात्रावास में आधी रात के बाद धूम्रपान और शराब पीने वाले छात्राओं की पहचान करने के उद्देश्य से गए थे, क्योंकि इसे लकेर उन्हें कई शिकायतें आ रही थीं.
वहीं, छात्रों का दावा है कि ये डॉक्टर सिंह के व्यवहार में है और वो पूर्व में भी कई बार छात्रों को लेकर असभ्य बातें कह चुके हैं.
छात्रों ने आरोप लगाया कि उनसे बातचीत के दौरान कुलपति सिंह उनके करिअर विकल्पों और यहां तक कि उनके नोट्स लेने के तरीकों को लेकर भी अपमानित करते रहे हैं. उन्होंने कथित तौर पर उन्हें इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने, प्रतियोगिताओं की तैयारी करने, विश्वविद्यालय से संबद्ध केंद्रों पर काम करने या किसी अन्य सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों में शामिल होने से भी हतोत्साहित किया है.
विश्वविद्यालय अधिकारियों को भेजे गए अभ्यावेदन के अनुसार वीसी सिंह ने कथित तौर पर एक छात्र से कहा था कि अगर औकात नहीं थी, तो इतने हाईलेवल के विश्वविद्यालय में प्रवेश क्यों लिया? एक दूसरे छात्र से उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘तुम जैसे बच्चे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति जान के भी इतने उच्च स्तरीय पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लेते हो.‘ इसके अलावा एक अन्य छात्रा से वीसी द्वारा कथित तौर पर कहा गया, ‘आप एक लड़की हैं; घरेलू हिंसा या विवाह जैसा विषय चुनें और आराम से घर पर कोर्स करें. क्यों इतना कठिन और नया विषय लेती हैं?’
छात्रों का यह भी आरोप है कि हाल के सप्ताहों में जिस तरह से कुलपति ने कक्षाओं का निरीक्षण किया है, उसे लेकर फैकल्टी सदस्यों ने भी शैक्षणिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के बारे में चिंता भी जताई थी.
छात्रों का कहना है कि हालांकि, कुलपति के पास चल रही कक्षाओं की जांच करने का विशेषाधिकार है, लेकिन उनके द्वारा अपनाया गया तरीका समाधान नहीं बल्कि समस्या का रास्ता है और इसकी तस्दीक हाल के दिनों में ईमेल की एक श्रृंखला में प्रोफेसरों द्वारा उठाई गई चिंताओं से भी होती है.
आरजीएनयूएल छात्र समुदाय ने कुलपति जयशंकर सिंह से तत्काल इस्तीफे और लिखित रूप में बिना शर्त माफी की मांग की है. इसके साथ ही छात्रों ने आरजीएनयूएल छात्र समुदाय की मौजूदा और भविष्य की चिंताओं को दूर करने के लिए 19 मार्च, 2019 को हस्ताक्षरित आपसी समझौते की शर्तों के अनुसार तत्काल प्रभाव से आरजीएनयूएल स्टूडेंट बार एसोसिएशन के संविधान की भी मांग की है.
इसके अलावा उपरोक्त चिंताओं के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति के गठन की भी मांग की गई है.
गौरतलब है कि इस संबंध में विरोध बढ़ने पर रजिस्ट्रार प्रोफेसर आनंद पवार ने शिकायतों की जांच के लिए 9 सदस्यीय समिति का गठन किया था और सोमवार दोपहर छात्रों को चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन इसमें किसी छात्र ने भाग नहीं लिया क्योंकि उनका कहना है कि वे सिर्फ कुलपति से बात करेंगे और जब तक वह इस्तीफा नहीं दे देते, तब तक पीछे नहीं हटेंगे या घर नहीं जाएंगे.
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