यूपी: हाथरस के स्कूल ने प्रसिद्धि पाने के लिए 9 साल के छात्र की बलि दी, पहले भी हुईं ऐसी घटनाएं

घटना हाथरस के रसगंवा स्थित डीएल पब्लिक स्कूल की है, जहां कथित सफलता और प्रसिद्धि के लिए स्कूल निदेशक ने 9 साल के एक छात्र की बलि दे दी. पुलिस का कहना है कि स्कूल ने इससे पहले हाल ही में एक अन्य छात्र को मारने की कोशिश की थी, लेकिन तब वे सफल नहीं हो पाए थे.

डीएल पब्लिक स्कूल. (फोटो साभार: फेसबुक पेज)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में काले जादू से ‘स्कूल को मशहूर करने’ के नाम पर एक 9 साल के स्कूली छात्र की हत्या कर दी गई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये पूरा मामला जिले के थाना सहपऊ क्षेत्र के गांव रसगवां का है. पुलिस ने गुरुवार (26 सितंबर) को बताया कि इस सप्ताह की शुरुआत में स्कूल की प्रसिद्धि और सफलता के लिए डीएल पब्लिक स्कूल के कक्षा दो में पढ़ने वाले छात्र की बलि दे दी गई थी.

अब तक इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें स्कूल के निदेशक दिनेश बघेल, उनके पिता और तीन शिक्षक शामिल हैं.

पुलिस का कहना है कि इन गिरफ्तार किए गए पांचों लोगों ने हाल ही में एक और छात्र को मारने की कोशिश की थी, लेकिन तब वे अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाए थे. कई अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में इससे पहले दो छात्रों के साथ ऐसी घटना को अंजाम देने की कोशिश बताई जा रही है.

इस संबंध में हाथरस के पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल ने अखबार को बताया कि स्कूल निदेशक दिनेश बघेल, उनके पिता जशोधन सिंह और तीन शिक्षक – लक्ष्मण सिंह, वीरपाल सिंह और रामप्रकाश सोलंकी इस हत्या में शामिल थे.

उन्होंने आगे कहा, ‘स्कूल की कथित सफलता और प्रसिद्धी के लिए एक अनुष्ठान के तहत इस 9 साल के छात्र की बलि दी गई थी. हम आगे जांच कर रहे हैं कि क्या कोई अन्य व्यक्ति भी इस हत्या में शामिल था.’

वहीं, पुलिस जांच से पता चला कि निदेशक दिनेश बघेल के पिता जशोधन सिंह काले जादू और तांत्रिक अनुष्ठानों में विश्वास करते थे. उनका मानना था कि एक बच्चे की बलि देने से उनके स्कूल को सफलता और प्रसिद्धि मिलेगी. उनके परिवार की समस्याएं दूर हो जाएंगी. इसलिए उन्होंने पहले भी इसी तरह एक छात्र की जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन तब वो अपने इरादों में सफल नहीं हो सके थे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि स्कूल के एक कमरे से उन्हें रस्सी, धार्मिक तस्वीरें और चाबी भी मिली है.

एसएसपी अशोक कुमार ने बताया कि 22 सितंबर को रात करीब 12 बजे जब स्कूल के छात्र सो रहे थे, तब स्कूल के शिक्षक सोलंकी बच्चे को उसके बिस्तर से उठाकर बाहर ले गए. उन्होंने उसे एक कमरे में रखा ,जहां बलि देने की योजना बनाई गई थी, लेकिन वह बीच में ही जाग गया और रोने लगा. इसके बाद सोलंकी ने बच्चे का मुंह बंद कर दिया और उसे हॉस्टल के ग्राउंड फ्लोर पर ले जाकर उसका गला घोंट दिया.

मालूम हो कि डीएल पब्लिक स्कूल में लगभग 600 छात्र हैं और जिस छात्रावास में इस लड़के की हत्या की गई, उसमें कक्षा 1 से 5 तक के बच्चे रहते हैं. मृतक छात्र की पहचान कृष्ण कुशवाहा के बेटे के तौर पर हुई है, जो दिल्ली की एक निजी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.

अखबार के अनुसार, मृत छात्र को सोमवार (23 सितंबर) की सुबह हॉस्टल के एक स्टाफ सदस्य और अन्य छात्रों ने अपने छात्रावास के बिस्तर पर बेहोश पाया. इसके बाद मौत की तुरंत सूचना देने के बजाय निदेशक दिनेश ने लड़के के शव को अपनी कार में आगरा और अलीगढ़ में कई घंटों तक घुमाया ताकि इस अपराध को छुपाया जा सके.

उधर, पीड़ित परिवारको सूचना दी गई कि उनका बच्चा ‘बीमार’ है. हालांकि, स्कूल पहुंचने पर परिवार को उनका बेटा नहीं मिला, जिसके बाद लड़के के पिता को कुछ गलत होने का एहसास हुआ और उन्होंने स्थानीय पुलिस थाने सहपऊ में एफआईआर दर्ज करवाई.

पिता ने शिकायत में कहा, ‘निदेशक बघेल ने 23 सितंबर की सुबह हमें फोन किया और कहा कि मेरे बेटे की तबीयत ठीक नहीं है और वह उसे तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जा रहे हैं. फिर उन्होंने हमें बताया कि वह मेरे बेटे को आगरा ले जा रहे हैं, क्योंकि उसकी हालत खराब हो गई है.  हमें शक हुआ तो हमने स्थानीय पुलिस को सूचित किया. हमने बघेल से भी इंतजार करने के लिए कहा और फिर उनका पीछा किया, इसके बाद उनकी कार में बेटे का शव मिला.’

इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘परिवार द्वारा शोर मचाने के बाद निदेशक की कार में बच्चे का शव पाया गया. हमने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, जिसमें पता चला कि बच्चे की रविवार रात गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी. हत्या का मामला दर्ज किया गया है. पांचों आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 103(1)  लगाई गई है.’

पुलिस ने एक बयान में कहा कि बघेल को हिरासत में लेने के बाद जांच शुरू की गई और रसगवा गांव में उनके और उसके परिवार के कई करीबी लोगों से पूछताछ की गई, जिसके बाद पता चला कि उनके पिता जसोधन सिंह जादू-टोने में विश्वास करते हैं और उन्होंने अपने बेटे को दो महीने पहले एक नाबालिग लड़के की बलि देने की सलाह दी थी, लेकिन यह योजना सफल नहीं हो सकी थी. इसके बाद  पिता से पूछताछ की गई और तब मामला सामने आया.’

पहले भी हुए थे प्रयास

लाइव हिंदुस्तान के अनुसार, उस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के कुछ अभिभावकों ने बताया कि उनके बच्चों के साथ भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की गई थी. लेकिन वे बच गए. बहरदोई के रहने वाले एक व्यक्ति ने अखबार को बताया कि उनके बच्चा भी इसी स्कूल में कक्षा एक में पढ़ता है और उसकी भी गला दबाकर हत्या करने की कोशिश की गई थी. बच्चे की अचानक आंख खुलने से उसकी जान बच गई.

वहीं, उसी गांव के रहने वाले एक अन्य शख्स ने बताया कि स्कूल में उनके बच्चे के भी गले में रस्सी डालकर खींचने की कोशिश की गई थी. हालांकि, उनका बच्चा भी भाग्यशाली रहा और उसकी जान बच गई.

इंडिया टुडे ने बलि से बाल-बाल बचे एक छात्र के हवाले से बताया है कि उसे भी उस स्कूल में मारने की कोशिश की गई थी.

यूपी पुलिस से सेवानिवृत्त सब-इंस्पेक्टर और पीड़ित लड़के के दादा ने बताया कि उन्होंने बच्चे के गर्दन पर निशान देखे थे और उसकी आंखें लाल थीं. वहीं, बच्चे का कहना है कि स्कूल निदेशक के पिता ने उसकी नाक दबाकर उसका गला घोंटने का प्रयास किया था. इस बच्चे की पहचान सुरक्षा कारणों से गुप्त रखी गई है.

अनियमतताओं के आरोप

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हाथरस जिले के रसगवां गांव में डीएल पब्लिक स्कूल उस पंचायत का एकमात्र अंग्रेजी मीडियम प्राइवेट बोर्डिंग स्कूल है, जिसे साल 2020 में बनाया गया था. हालांकि इस स्कूल की इमारत भी पुरानी और मात्र दो कमरे की संरचना भर है.

जांच में सामने आया है कि बिना मान्यता के इस विद्यालय में छह से आठवीं तक की कक्षाएं संचालित थीं. बिना अनुमति के विद्यालय परिसर में छात्रावास का संचालन किया जा रहा था.

अमर उजाला की खबर के अनुसार, विद्यालय प्रबंधक दिनेश बघेल बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के विभागीय निर्देशों की अवहेलना करते हुए अवैध रूप से कक्षा एक से आठवीं तक के आवासीय विद्यालय का संचालन कर रहे थे.

इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि पर्याप्त मूलभूत सुविधाओं के अभाव और संचालक द्वारा बरती गई लापरवाही से आवासीय विद्यालय में पढ़ रहे छात्र की मृत्यु की घटना घटित हुई है.