नई दिल्ली: ब्रिटेन में एक नगा व्यक्ति की खोपड़ी (Naga Skull) की प्रस्तावित नीलामी को ‘अमानवीय’ और निरंतर औपनिवेशिक हिंसा बताते हुए नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 अक्टूबर को होने वाली नीलामी के लिए प्रमुख नीलामी हाउस द स्वान एट टेट्सवर्थ द्वारा बिक्री के लिए रखी गई वस्तुओं में से एक ‘19वीं सदी की सींग वाली नगा खोपड़ी’ को सूचीबद्ध किया गया था. इसकी कीमत 3,500-4,500 पाउंड आंकी गई थी.
हालांकि, इस पर आपत्ति उठने के बाद मंगलवार शाम तक इस वस्तु को नीलामी के लिए ऑनलाइन सूचीबद्ध नहीं किया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह स्पष्ट नहीं है कि नीलामी आधिकारिक तौर पर रद्द कर दी गई है या वेबसाइट से हटा दी गई है.
ऑक्सफोर्ड में पिट रिवर म्यूजियम, जिसमें विभिन्न विश्व संस्कृतियों के एंथ्रोपोलॉजी और पुरातत्व संग्रह हैं, ने एक्स पर एक अपडेट में कहा, ‘हमें सूचित किया गया है कि नगा पूर्वजों के अवशेष अब कल की नीलामी से वापस ले लिए गए हैं.’
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने जयशंकर को मंगलवार को पत्र लिखा, जिसके बाद फोरम फॉर नगा रिकॉन्सिलिएशन (एफएनआर), जो चर्च के नेताओं और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से मिलकर बना एक संगठन है, ने सोमवार को इस मुद्दे के बारे में उन्हें पत्र लिखा था.
अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा कि प्रस्तावित नीलामी को नगालैंड में समाज के सभी वर्गों द्वारा ‘नकारात्मक तरीके से’ लिया गया है क्योंकि यह हमारे लोगों के लिए अत्यधिक भावनात्मक और पवित्र मुद्दा है.
The Hon’ble Chief Minister of Nagaland, Shri @Neiphiu_Rio writes to the Hon’ble External Affairs Minister of India, @DrSJaishankar with regard to the proposed auction of Naga human remains in the UK. pic.twitter.com/El9BD2yKsC
— CMO Nagaland (@CmoNagaland) October 8, 2024
रियो ने लिखा, ‘आप इस बात से सहमत होंगे कि किसी भी मृत व्यक्ति के मानव अवशेष उस व्यक्ति और उसकी भूमि के हैं. इसके अलावा मानव अवशेषों की नीलामी लोगों की भावनाओं को बहुत आहत करती है, यह अमानवीय कृत्य है और इसे हमारे लोगों पर निरंतर औपनिवेशिक हिंसा माना जाता है.’
विदेश मंत्रालय से ब्रिटेन में भारतीय उच्चायोग के समक्ष इस मामले को उठाने और नीलामी को रोकने का आग्रह करते हुए उन्होंने लिखा, ‘हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह हमारे लोगों के अधिकारों और भावनाओं की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करे.’
उल्लेखनीय है कि नगा समुदाय इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में पिट्स रिवर म्यूजियम से अपने पूर्वजों के नगा मानव अवशेषों को वापस लाने के लिए वर्षों से प्रयास कर रहा है. ये अवशेष, लगभग 6,500 नगा वस्तुओं के एक संग्रह का हिस्सा हैं, जिन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार और औपनिवेशिक शासन के दौरान प्राप्त किया गया था और एक सदी से भी अधिक समय से संग्रहालय में रखा गया है.
यह प्रक्रिया साल 2020 में शुरू की गई थी और एफएनआर इस चल रही प्रक्रिया में एक प्रमुख सूत्रधार रहा है.
सीएम रियो को लिखे पत्र में एफएनआर ने अपने प्रयासों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘नगा पूर्वजों के अवशेषों को वापस लाने की प्राथमिकता को पहले से कहीं ज़्यादा महसूस किया जा रहा है.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एफएनआर ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, ‘ये मानव अवशेष ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता द्वारा नगाओं पर की गई हिंसा का प्रतीक हैं. ब्रिटिश शासन की पूरी अवधि के दौरान नगा लोगों को ‘बर्बर’ और ‘शिकारी’ के रूप में परिभाषित किया गया था, जो अपमानजनक शब्द हैं और आज भी जारी हैं.’
एफएनआर के संयोजक डॉ. वाटी ऐयर ने कहा, ‘हम नाराज हैं और बहुत दुखी हैं….. नीलामी यूरोपीय उपनिवेशवादियों के वंशजों की दंडमुक्ति को सामने लाती है, क्योंकि वे नगा लोगों के नस्लवादी, औपनिवेशिक और हिंसक चित्रण को जारी रखे हुए हैं. यह नगा लोगों की गरिमा के विपरीत है…’
फोरम ने यह भी कहा कि इस तरह का कृत्य स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र (यूएनडीआरआईपी) के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि ‘स्वदेशी लोगों को अपनी संस्कृतियों, परंपराओं, इतिहास और आकांक्षाओं की गरिमा और विविधता का अधिकार है, जिसे शिक्षा और सार्वजनिक तौर पर उचित रूप से प्रतिबिंबित किया जाना चाहिए.’