नई दिल्ली: अहमदाबाद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े कथित धोखाधड़ी के आरोपों में 7 अक्टूबर को गिरफ्तार वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा को बुधवार (9 अक्टूबर) को दस दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. अब उनके वकील ने कहा है कि लांगा के नाम से कोई हस्ताक्षर या लेन-देन नहीं हुआ है.
ध्यान रहे द हिंदू में वरिष्ठ सहायक संपादक लांगा का नाम पुलिस की एफआईआर में नहीं है.
द हिंदू से बात करते हुए लांगा के वकील वेदांत राजगुरु ने कहा कि उनका मुवक्किल डीए एंटरप्राइज कंपनी का न तो निदेशक है और न ही प्रमोटर, जिनका नाम इस मामले से जुड़ी एफआईआर में लिखा है.
डीए एंटरप्राइज का स्वामित्व लांगा के रिश्तेदार मनोज के पास है. लांगा की पत्नी इस कंपनी में साइलेंट पार्टनर हैं. अखबार के मुताबिक, पुलिस के रिमांड आवेदन में दावा किया गया है कि लांगा अपने रिश्तेदार मनोज और उनकी पत्नी के नाम पर कंपनी चला रहे थे.
राजगुरु ने कहा, ‘पुलिस का मामला मनोज लांगा के बयान पर टिका है कि उसने महेश लांगा के निर्देश पर लेन-देन किया था. महेश के नाम पर कोई लेन-देन या हस्ताक्षर नहीं है.’
पुलिस ने लांगा की 14 दिनों की हिरासत मांगी थी, लेकिन अहमदाबाद की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन्हें और तीन अन्य आरोपियों को दस दिनों की पुलिस हिरासत में भेजा है.
बता दें कि मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 200 फर्जी फर्मों का एक नेटवर्क एक ही पैन का उपयोग करके सरकार को जीएसटी में धोखा देने के लिए काम कर रहा था. इंडियन एक्सप्रेस ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में बताया था कि न तो मनोज और न ही लांगा की पत्नी को गिरफ्तार किया गया है.
लांगा की गिरफ्तारी से मीडिया समुदाय में संदेह उत्पन्न हो गया, कई पत्रकारों ने उनकी ईमानदारी की वकालत की, जबकि अन्य ने गुजरात के हीरा उद्योग पर रूसी मूल के हीरों पर प्रतिबंध के प्रभाव पर उनकी हाल की स्टोरी पर ध्यान खींचा. हालांकि द हिंदू ने कहा है कि लांगा की गिरफ्तारी का इन रिपोर्ट्स से कोई संबंध नहीं लग रहा है.
गुरुवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने एक बयान जारी किया, जिस पर तीन अन्य पत्रकार संगठनों ने भी हस्ताक्षर किए थे, जिसमें लांगा के वकील द्वारा दिए गए बयानों का जिक्र किया गया और कहा गया कि उनसे हिरासत में की गई पूछताछ ‘प्रक्रियागत अतिक्रमण’ के समान है.
Press bodies — @PCITweets, @iwpcdelhi, DUJ and Press Association, express concern at arrest of Mahesh Langa (@LangaMahesh), a journalist with The Hindu in #Gujarat
“… We feel that the custodial interrogation of Mr Langa is a procedural overreach … to harass him.” pic.twitter.com/T3IUGHNMrF
— Press Club of India (@PCITweets) October 10, 2024
बयान में कहा गया है, ‘हालांकि कानून को अपना काम करने दिया जाना चाहिए, लेकिन हमें लगता है कि महेश लांगा से हिरासत में पूछताछ प्रक्रियागत अतिक्रमण है और शायद यह उस व्यक्ति को परेशान करने का एक तरीका है जिसका नाम प्राथमिक एफआईआर में भी नहीं है.’
इसमें आगे कहा गया, ‘हालांकि मामले की तह तक पहुंचना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारा मानना है कि उचित प्रक्रिया से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और आरोपी व्यक्तियों को लंबी हिरासत में पूछताछ के बहाने अनुचित रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए.’
द हिंदू के अनुसार, इस मामले में मुख्य आरोपी ध्रुवी एंटरप्राइजेज नाम की कंपनी है, जबकि डीए एंटरप्राइज एफआईआर में नामजद फर्मों में से एक है.
अहमदाबाद की अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त अजीत राजियन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि पुलिस ने लांगा के घर से 20 लाख रुपये की ‘बेहिसाबी नकदी’ बरामद की थी. लेकिन लांगा के वकील राजगुरु ने द हिंदू को बताया कि यह नकदी वित्तीय जरूरतों के लिए थी और इसका कथित कर धोखाधड़ी मामले से कोई संबंध नहीं है.
मामले के अन्य आरोपियों में तलाला के भाजपा विधायक भगवान बराड के बेटे अजय के साथ-साथ उनके भतीजे विजयकुमार कलाभाई बराड और रमेश कलाभाई बराड शामिल हैं.