अहमदाबाद: आईआईएम छात्र संगठन ने कैंपस में हुई आत्महत्या की जांच के लिए समिति बनाने की मांग उठाई

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद में 26 सितंबर को तेलंगाना के रहने वाले 24 वर्षीय अक्षित भुक्या ने अपने हॉस्टल में कथित तौर पर आत्महत्या की थी. अब छात्र परिषद ने इस घटना की पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की है.

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद. (फोटो साभार: X/@IIMAhmedabad)

नई दिल्ली: भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) अहमदाबाद में अपने छात्रावास के कमरे में कथित तौर पर आत्महत्या करने वाले अंतिम वर्ष के छात्र की मौत के कुछ सप्ताह बाद संस्थान के छात्र परिषद ने मौत के इर्द-गिर्द की परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थान के निदेशक भारत भास्कर को भेजे गए एक ईमेल में आईआईएम-ए छात्र मामलों की परिषद ने 26 सितंबर को तेलंगाना के वरंगल के 24 वर्षीय अक्षित भुक्या की मौत पर गंभीर चिंता जताई है. ईमेल में कहा गया है, ‘संस्थान द्वारा अब तक उठाए गए कदम छात्र समुदाय के बीच भरोसा जगाने में विफल रहे हैं.’

60वीं छात्र मामलों की परिषद के महासचिव आत्मान सोनी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में भुक्या की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति के गठन की मांग की गई, साथ ही छात्रों को संस्थागत सहायता प्रदान करने की मांग की गई ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मामले में जारी पुलिस जांच स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो.

मालूम हो कि भुक्या का शव संस्थान के वार्षिक प्रबंधन संगोष्ठी- रेड ब्रिक्स समिट (टीआरबीएस) की पूर्व संध्या पर नए परिसर में स्थित उनके छात्रावास के कमरे में मिला था. भुक्या टीआरबीएस के समन्वय समिति के प्रमुख थे, जिसे अंततः उनके असमय देहांत के बाद रद्द कर दिया गया था.

इसके बाद एक ईमेल में यह कहते हुए कि छात्र संगठन ने 29 सितंबर को इस घटना के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों के संबंध में फैकल्टी के समक्ष प्रासंगिक तथ्य प्रस्तुत किए थे, टीआरबीएस से संबंधित मामलों को संभालने वाले एक प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ आरोप लगाए गए थे.

बीते शनिवार को आईआईएमए निदेशक, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के अध्यक्ष पंकज पटेल, बीओजी सदस्यों और फैकल्टी तथा अनुसंधान सहयोगियों सहित अन्य को भेजे गए मेल में कहा गया है, ‘छात्र समुदाय इस घटना से पहले की परिस्थितियों और साथ ही संस्थान की प्रतिक्रिया से बहुत परेशान है.’

छात्र संगठन ने मेल में आरोप लगाया, ‘प्रारंभिक साक्ष्यों से पता चलता है कि टीआरबीएस के संचालन में आईआईएमए प्रशासन द्वारा अपनाए गए असहयोगात्मक रुख के कारण वह (भुक्या) काफी दबाव में थे. यह आशंका है कि इस तनाव ने आत्महत्या के फैसले में अहम भूमिका निभाई होगी.’

अपने पत्र में छात्रों ने पुलिस की जांच के तरीके पर भी सवाल उठाए हैं. पत्र में कहा गया है, ‘आईआईएमए प्रशासन इस मामले में गंभीरता की कमी दिखा रहा है. यह निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट होता है: 04 अक्टूबर, 2024 को जब पुलिस छात्रों के बयान दर्ज करने आई थी, तो उनकी जांच का दायरा केवल अक्षित भुक्या के पिता द्वारा दर्ज की गई शिकायत पर आधारित आईएमएस लोगो और संचार टीम तक सीमित था, जो शायद व्यापक संदर्भ से पूरी तरह अवगत नहीं थे.’

इससे पहले पुलिस ने कहा था कि जिस कंपनी से टीआरबीएस टीम ने स्पॉन्सरशिप ली थी, उसने एक अग्रिम कार्यक्रम में अपने प्रचार सामग्री में आईआईएम-ए के लोगो का कथित तौर पर इस्तेमाल किया था, जिससे संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी नाराज थे और यह टकराव का मुद्दा बन गया था.

भुक्या के पिता, जिन्होंने पहले वस्त्रपुर थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी, ने उनसे उन आरोपों की जांच करने का अनुरोध किया था कि उनके बेटे पर टीआरबीएस के संचालन को लेकर संस्थान के एक प्रशासनिक कर्मचारी द्वारा दबाव डाला गया था. उन्होंने भी जांच की प्रगति पर चिंता जताई.

मृत छात्र के पिता हेमंत भुक्या ने अखबार को बताया, ‘पुलिस या आईआईएम-ए की ओर से जांच पर कोई अपडेट नहीं है. हमने पुलिस से आखिरी बार करीब 10 दिन पहले बात की थी, जब हमने उन्हें फोन किया था. उन्होंने कहा कि वे नवरात्रि के बाद जांच शुरू करेंगे. हम केवल अपने बेटे के लिए न्याय चाहते हैं.’

छात्रों ने संस्थान द्वारा टीआरबीएस में बाहरी प्रतिभागियों को प्रवेश देने से इनकार करने के मुद्दे पर भी स्पष्टीकरण मांगा है.  बताया गया है कि ऐसा तब हुआ था जब आईआईएमए प्रशासन ने गुजरात के मुख्यमंत्री को एक गैर-आईआईएमए कार्यक्रम- वरिष्ठ नौकरशाहों से जुड़े चिंतन शिविर- के लिए परिसरके जेएसडब्ल्यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में जगह देने का फैसला किया था.

छात्रों के मेल में कहा गया है, ‘यह बाहरी कार्यक्रम था, जो वार्षिक टीआरबीएस कार्यक्रम के साथ ओवरलैप हुआ, जिससे टीआरबीएस दर्शकों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके अलावा यह गैर-आईआईएमए कार्यक्रम था, जिसे लेकर हम स्पष्टीकरण चाहते हैं कि इसे लंबे समय से चल रहे आंतरिक वार्षिक छात्र कार्यक्रम पर प्राथमिकता क्यों दी गई थी.’

गौरतलब है कि छात्र की मौत के दो दिन बाद 28 सितंबर को आईआईएम-ए में मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए चिंतन शिविर का आयोजन किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने किया.

छात्रों ने अपने पत्र में कहा, ‘चिंतन शिविर के साथ ओवरलैप होने के कारण बाहरी प्रतिभागियों को अनुमति देने से इनकार करने से अक्षित पर भारी दबाव पड़ा, जिससे उनकी दुखद मौत से पहले के दिनों में उन्हें तनाव का सामना करना पड़ा.’