गौरी लंकेश हत्या: ज़मानत पर बाहर निकले आरोपियों का हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया

एक विशेष अदालत ने बीते हफ्ते को पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले के तीन आरोपियों को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद कर्नाटक में हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने लंकेश की हत्या के दो आरोपियों का गृहनगर विजयपुरा लौटने पर भव्य स्वागत किया और फूलमालाएं पहनाईं.

जमानत पर रिहा हुए गौरी लंकेश की हत्या के आरोपियों का कर्नाटक के विजयपुरा में स्वागत किया गया. (स्क्रीनग्रैब साभार: x/@PREMIUMERZA)

नई दिल्ली: कर्नाटक में हिंदुत्व कार्यकर्ताओं ने 11 अक्टूबर को जेल से जमानत पर रिहा हुए पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के दो आरोपियों को रविवार को माला पहनाकर उनका भव्य स्वागत किया.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, विजयपुरा में अपने गृहनगर लौटने पर स्थानीय हिंदुत्व समर्थकों ने माला, भगवा शॉल देकर नारे लगाते हुए उनका स्वागत किया. दोनों को फिर छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के पास ले जाया गया, जिस पर उन्होंने माला चढ़ाई. इसके बाद वे कालिका मंदिर में पूजा-अर्चना करने गए.

आरोपियों के समर्थकों ने दावा किया कि उन्हें गलत तरीके से जेल में कैद किया गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, परशुराम वाघमोरे (33) ने कथित तौर पर गौरी लंकेश पर गोली चलाई थी और सह-आरोपी मनोहर एडावे (40) हत्या के आरोपी दक्षिणपंथी अपराध गिरोह के लिए भर्ती करने वाले शख्स थे, जो विजयपुरा के रहने वाले हैं. एक विशेष अदालत ने 10 अक्टूबर को इन दोनों को एक अन्य आरोपी राजेश बंगेरा (52)के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था.

उत्तरी कर्नाटक के विजयपुरा के इन दो लोगों के लिए सम्मान समारोह दक्षिणपंथी समूहों श्रीराम सेना और अन्य हिंदुत्व समर्थक संगठनों द्वारा आयोजित किया गया था और इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो रविवार को वायरल हुए.

एक प्रमुख हिंदू समर्थक नेता ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज विजयादशमी है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. हमने परशुराम वाघमोरे और मनोहर एडावे का स्वागत किया, जिन्हें गौरी लंकेश की हत्या से संबंधित आरोपों में छह साल तक गलत तरीके से जेल में रखा गया था. असली दोषियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इन लोगों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू समर्थक कार्यकर्ता हैं. उनके परिवारों को पीड़ा झेलनी पड़ी है और इस अन्याय पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है.’

ज्ञात हो कि 55 वर्षीय पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वह अपनी धारदार लेखनी और बेबाक विचारों के लिए कर्नाटक में पाठकों के बीच एक लोकप्रिय नाम थीं. वह साप्ताहिक ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक थीं. इस पत्रिका को ‘सरकार विरोधी’ माना जाता था. गौरी लंकेश कर्नाटक में संघ परिवार की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ अपने मुखर विचारों के चलते लगातार दक्षिणपंथी ताकतों के निशाने पर थीं.

उनकी हत्या के मामले में दाखिल आरोपपत्र में कहा गया था कि लंकेश की हत्या एक कट्टर दक्षिणपंथी हिंदुत्व संगठन सनातन संस्था से जुड़े लोगों द्वारा किया गया एक ‘संगठित अपराध’ था.

गौरतलब है कि इस मामले में एसआईटी को जांच में पता चला था कि गौरी लंकेश की हत्या की साजिश उसी दक्षिणपंथी गुट के सदस्यों ने रची थी जिन पर तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या का आरोप है.

एसआईटी द्वारा बेंगलुरु कोर्ट में दी गई फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया था कि कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या में इस्तेमाल की गई बंदूक एक ही थी. नवंबर 2018 में एसआईटी ने प्रधान दीवानी एवं सत्र अदालत में 9,235 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें 18 आरोपियों का नाम लिया था.