कनाडा-भारत विवाद: वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार जांच अधिकारियों ने अमित शाह का नाम लिया

सेवानिवृत्त भारतीय राजनयिकों ने केंद्रीय गृह मंत्री की ‘ऑपरेशनल मामलों’ में कथित भागीदारी पर आश्चर्य व्यक्त किया है. 

/
(फोटो साभार: फेसबुक/@HMOfficeIndia/Wikimedia)

नई दिल्ली: भारत और कनाडा के गिरते राजनयिक संबंध एकदूसरे के राजनयिकों के निष्कासन तक सीमित नहीं हैं. कहा जा रहा है कि कनाडा की पुलिस ने संभवतः अमेरिका के सहयोग से बहुत सारे सबूत एकत्र किए हैं. 14 अक्टूबर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा, ‘रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के असिस्टेंट कमिश्नर ने कहा है कि उनके पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैंजो सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं.’

 वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार कनाडा के अधिकारियों ने कहा है कि जिन भारतीय राजनयिकों को देश से बाहर जाने का आदेश दिया गया है, उनकी बातचीत और मैसेज में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारत की खुफिया एजेंसीरिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (रॉ) के एक वरिष्ठ अधिकारी का जिक्र मिलता है, जिन्होंने सिख अलगाववादियों पर हमले की अनुमति दी थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, यह जानकारी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को भी दी गई थी, जब उन्होंने 12 अक्टूबर को सिंगापुर में कनाडा के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइन के साथ बैठक की थी. उस बैठक में कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन और रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे.

अमित शाह या रॉ के अधिकारी का नाम जिस भी ‘संदर्भ’ में आ रहा (अगर कनाडाई अधिकारियों का दावा सच है) हो, उसके बारे में स्पष्ट कुछ भी नहीं है. ऐसा लग रहा है कि कनाडाई जांचकर्ताओं ने भारतीय राजनयिकों से पूछताछ करना चाहता था ताकि जिन लोगों के नाम इंटरसेप्ट किए गए फोन कॉल या मैसेज में सामने आए, उनकी भूमिका के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सके. कनाडा चाहता था भारत अपने राजनयिकों के विशेषाधिकार हटा ले, ताकि उनसे पूछताछ हो सके. भारत ने इसकी इजाजत नहीं दी, जिसके बाद भारत के उच्चायुक्त समेत छह राजनयिकों को कनाडा ने निष्कासित कर दिया.

इसके बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का नाम जुड़े से मामला और गंभीर हो गया है.

अमेरिकी अख़बार  वाशिंगटन पोस्ट ने एक कनाडाई अधिकारी के हवाले से लिखा है कि भारतीय राजनयिकों की बातचीत और संदेशों में ‘केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी’ का उल्लेख है, जिन्होंने कनाडा में खुफिया जानकारी जुटाने वाले मिशन और सिख अलगाववादियों पर हमले’ की अनुमति दी थी.

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का दावा है किअब उनकी पुलिस के पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल थे और हैं.कनाडाई दावे के मुताबिक़, इन गतिविधियों में गुप्त सूचना एकत्र करना, दक्षिण एशियाई कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाकर उन पर दबाव डालना, हत्या और एक दर्जन से अधिक धमकी और हिंसा के मामले शामिल हैं.

सितंबर 2023 में जब ट्रूडो ने पहली बार सार्वजनिक रूप से हरदीप सिंह निज्जर (खालिस्तानी अलगाववादी) की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप लगाए थे, तब उन्होंने केवलविश्वसनीय खुफिया जानकारीकी बात की थी.

तब से कनाडाई पुलिस ने संभवत: अमेरिका के सहयोग से बहुत से सबूत जुटाए हैं. अमेरिका ने भी न्यूयॉर्क स्थित एक अन्य खालिस्तान समर्थक (गुरपतवंत सिंह पन्नू) के हत्या के प्रयास में भारत सरकार के शामिल होने का दावा किया है. ट्रूडो ने 14 अक्टूबर को मीडिया के सामने अपनी टिप्पणी में उस साजिश का भी स्पष्ट संदर्भ दिया था:

मेरा मानना ​​​​है कि भारत ने कनाडाई लोगों पर हमला करने के लिए अपने राजनयिकों का इस्तेमाल कर बड़ी गलती की है. उन्होंने हमारे लोगों को अपने घर में ही असुरक्षित कर दिया. न सिर्फ हिंसा बल्कि हत्या तक को अंजाम दिया. यह अस्वीकार्य है.

हमने अपने फ़ाइव आईज़ पार्टनर के साथ मिलकर काम किया है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के साथ. अमेरिका में भी कनाडा की तरह की भारत द्वारा एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग के प्रयास का पैटर्न मिलता है.

फाइव आईज चंद देशों का एक खुफिया गठबंधन है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका शामिल हैं.

गौरतलब है कि निखिल गुप्ता नामक एक भारतीय नागरिक वर्तमान में गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के प्रयास के मामले में अमेरिका में हिरासत में हैं. इस केस में हत्या के प्रयास की साजिश में भारत सरकार के एक अधिकारी की कथित भूमिका का भी उल्लेख किया गया हैजिसकी पहचान पहले केवलसीसी1’ के रूप में की गई थी. बाद में वाशिंगटन पोस्ट ने बताया किसीसी1’ विक्रम यादव हैं.

हालांकि, विदेश मंत्रालय या गृह मंत्रालय ने वाशिंगटन पोस्ट की खबर और शाह की संलिप्तता के आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन सेवानिवृत्त भारतीय राजनयिकों ने  वायर से बात करते हुए एक कैबिनेट मंत्री के इस तरह केऑपरेशनल मामलोंमें कथित भागीदारी पर आश्चर्य व्यक्त किया है.

एक खुफिया एजेंसी के पूर्व प्रमुख ने वायर को बताया कि अमित शाह के आधिकारिक कार्यक्षेत्र में इस प्रकार की गतिविधियों में भागीदारी नहीं है, जैसा कि कनाडाई लोग कह रहे हैं.

वैसे यह कोई पहली बार नहीं है, जब अमित शाह का नाम न्यायेतर हिंसा से जुड़ा हो. एक दशक पहले सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) ने उन पर सोहराबुद्दीन, उनकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को फर्जी पुलिस मुठभेड़ों में मारने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था. तब शाह गुजरात के गृह मंत्री हुआ करते थे. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया और सीबीआई ने अपील नहीं करने का फैसला किया.

गौरतलब है कि अब रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने भारत सरकार पर कनाडा में सिखों को निशाना बनाने का काम लॉरेंस बिश्नोई गैंग को सौंपने का आरोप लगाया है. बिश्नोई को फिलहाल गुजरात की जेल में रखा गया है, लेकिन कथित तौर पर वह बिना किसी रोकटोक के वहीं से अपना काम चला रहा है.

बिश्नोई पंजाब और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हत्या के मामले में वांछित है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय (जिसकी कमान अमित शाह के पास है) के आदेश की वजह से बिश्नोई को अहमदाबाद की साबरमती जेल से दूसरे राज्यों में नहीं भेजा जा सकता है. 

पिछले साल गृह मंत्रालय ने एक नियम के अंतर्गत सुनिश्चित किया कि बिश्नोई गुजरात की जेल में रहें. यह आदेश अगस्त 2024 तक प्रभावी थालेकिन अब एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया है.

मार्च 2023 में बिश्नोई ने (पंजाब में) पुलिस हिरासत में होने के बावजूद एक टेलीविज़न इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘मैं राष्ट्रविरोधी नहीं हूं. मैं एक राष्ट्रवादी हूं. मैं खालिस्तान के खिलाफ हूं. मैं पाकिस्तान के खिलाफ हूं.