पेंटिंग ज़ब्ती पर कस्टम अधिकारियों को हाईकोर्ट की फटकार, कहा- हर न्यूड पेंटिंग अश्लील नहीं होती

2022 में मुंबई के एक व्यवसायी ने स्कॉटलैंड और लंदन में हुई नीलामी से प्रसिद्ध कलाकारों- एफएन सूजा और अकबर पदमसी की सात कलाकृतियां खरीदी थीं, जिन्हें कस्टम विभाग ने अश्लीलता का हवाला देते हुए ज़ब्त कर लिया था. हाईकोर्ट ने विभाग के आदेश को मूर्खतापूर्ण बताते हुए रद्द कर दिया है.

अकबर पदमसी की एक कृति. (साभार: akbar-padamsee.com)

नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को प्रसिद्ध कलाकारों- एफएन सूजा और अकबर पदमसी की जब्त की गई सात कलाकृतियों को वापस देने का आदेश दिया है. अधिकारियों ने इन्हें साल 2022 में ‘अश्लील सामग्री’ मानकर जब्त किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, अदालत ने कस्टम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि हर नग्न (न्यूड) पेंटिंग या यौन संभोग की मुद्राओं को दर्शाने वाली कलाकृति को अश्लील नहीं कहा जा सकता.

मालूम हो कि पिछले साल अप्रैल में मुंबई कस्टम विभाग ने अश्लीलता का हवाला देते हुए सात पेंटिंग्स जब्त कर ली थीं. इसमें चार कामुक (erotic) चित्रों का एक फोलियो भी शामिल था, जिसमें सूजा की ‘लवर्स’ पेंटिंग भी थी, जिसे ‘अश्लील’ कहा गया था. तीन अन्य कलाकृतियां, जिन्हें इसी कारण से रोका गया, उन में ‘न्यूड’ शीर्षक वाली एक चित्रकारी और अकबर पदमसी की दो तस्वीरें थी.

क्या है पूरा मामला?

साल 2022 में मुंबई के व्यवसायी मुस्तफा कराचीवाला ने स्कॉटलैंड में हुई एक नीलामी से कलाकृतियां खरीदी थीं. इस साल उन्होंने लंदन के रोज़बेरीज़ से भी एक अलग नीलामी में पेंटिंग्स खरीदीं. इसमें मशहूर कलाकार पदमसी की नग्न अवस्था में एक महिला से जुड़ी तीन कलाकृतियां शामिल थीं. इस पेंटिंग्स को जब मुंबई लाया गया, तो कस्टम विभाग ने अश्लीलता का हवाला देते हुए इसे जब्त कर लिया.

विभाग ने कराचीवाला पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

कोर्ट का फैसला

इस मामले में अदालत ने मुंबई कस्टम के सहायक आयुक्त द्वारा पारित जुलाई 2024 के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह ‘मूर्खतापूर्ण और अतार्किकता (unreasonableness) से ग्रस्त है.’

बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस एमएस सोनक और जस्टिस जितेंद्र जैन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर सूजा के चित्रों को कस्टम विभाग द्वारा जब्त किया जा सकता है, तो यूरोप और अमेरिका के महान विद्वानों के चित्रों को क्यों नहीं? अदालत ने यह भी सवाल किया कि इन कलाकृतियों की तुलना में भारत के अपने खजुराहो और कोणार्क मंदिरों के बारे में क्या कहा जाएगा.

कराचीवाला के वकीलों ने तर्क दिया कि कलाकृतियां राष्ट्रीय धरोहर हैं और इन्हें अश्लील नहीं माना जा सकता. उन्होंने यह भी बताया कि लंदन के कस्टम ने भारत में निर्यात के लिए कलाकृतियों को मंजूरी दे दी है.

अदालत के फैसले को भारत में कला प्रेमियों और संग्रहकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीत के रूप में देखा जा रहा है. सुनवाई के दौरान पीठ ने मुंबई कस्टम को इन कलाकृतियों को नष्ट करने से भी रोक दिया और इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कस्टम विभाग ने इन्हें किस हाल में रखा होगा.