नई दिल्ली: झारखंड में कई लोग अपने बैंक खातों से पैसे नहीं निकाल पा रहे हैं, क्योंकि उनके खाते तब तक फ्रीज कर दिए गए हैं, जब तक वे ‘केवाईसी’ औपचारिकताएं पूरी नहीं कर लेते, हाल ही में लातेहार और लोहरदगा जिले में स्थानीय नरेगा सहायता केंद्रों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है.
इतने बड़े पैमाने पर बैंक खाते फ्रीज करने से जो लोग पीड़ित हुए हैं उनमें वे पेंशनभोगी बुजुर्ग भी शामिल हैं जो अपनी अल्प पेंशन पर निर्भर होते हैं, छात्रवृत्ति पाने वाले बच्चे भी मौजूद हैं, और झारखंड की नई ‘मैया सम्मान योजना’ के तहत 1,000 रुपये प्रति माह पाने वाली महिलाएं भी शामिल हैं.
नए बैंक नियमों के अनुसार सभी खाताधारकों को हर दो साल में अपने केवाईसी विवरण को अपडेट करना होगा, लेकिन इससे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों, जिनमें से अधिकांश साक्षर भी नहीं हैं, के लिए नौकरशाही संबंधी परेशानियां भी बढ़ गई हैं.
नरेगा सहायता केंद्रों द्वारा लातेहार और लोहारदगा जिलों में किए गए सर्वेक्षण में सामने आया कि ग्रामीण बैंकों की भीड़भाड़ से हालात और खराब हो रहे हैं. दोनों सर्वेक्षण क्षेत्रों में स्थानीय बैंकों में लंबी कतारें लगी हुई थीं. भीड़ में ज्यादातर लोग केवाईसी पूरा करने की कोशिश कर रहे थे, या महिलाएं जो मैया सम्मान योजना के पैसे की तलाश में थीं.
सर्वेक्षण दल लातेहार जिले के मनिका ब्लॉक के तीन छोटे गांवों (दुंबी, कुटमू और उचवाबल) और लोहरदगा जिले के भंडरा और सेन्हा ब्लॉक के चार गांवों (बूटी, धनमुंजी, कांड्रा और पाल्मी) में घर-घर गए. सर्वेक्षण में शामिल इन 7 गांवों के 244 परिवारों में से 60% के पास कम से कम एक बैंक खाता था जो फ्रीज़ कर दिया गया था. कुछ घरों में सभी खाते फ्रीज थे.
उदाहरण के लिए, कांड्रा में उर्मिला उरांव के परिवार के पास 6 बैंक खाते हैं, लेकिन सभी फ्रीज हैं. वहीं, कांड्रा में ही भोला उरांव और बसंत उरांव के खाते सालों से फ्रीज हैं, क्योंकि उनके आधार कार्ड में उनके नामों की स्पैलिंग गलत है. वहीं, सर्वेक्षण के दौरान कई लोग ऐसे भी पाए गए जिन्होंने केवाईसी के लिए बार-बार आवेदन किया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली; उनमें से कुछ ने हार मान ली है और नए खाते खोल रहे हैं.
1/8 “KYC torture”: Examples from Lohardaga (Jharhand).
Case 1: Urmila Oraon. This household of 7 has 6 bank accounts, but all are frozen – mainly due to KYC issues. Urmila recently queued for two full days at the bank, only to be told it was time to close.@RBI @FinMinIndia pic.twitter.com/fmUSoqZ418
— Road Scholarz (@roadscholarz) October 22, 2024
सर्वेक्षण में धनमुंजी की रहने वालीं सोरा उरांव से भी सर्वेक्षण दल की मुलाकात हुआ, जो केवाईसी के लिए बैंक गईं तो उन्हें 27 दिसंबर 2024 को अपॉइंटमेंट के लिए ‘टोकन’ थमा दिया गया. टोकन पाने के लिए भी उन्हें पूरे दिन कतार में खड़ा रहना पड़ा!
2/8 Case 2: Sora Oraon. Three accounts are frozen in this household of 5. When Sora applied for KYC, the bank gave her a ‘token’ with an appointment for 27 December 2024. Here she explains how people like her get pushed around at the bank. pic.twitter.com/PjTvsrybtQ
— Road Scholarz (@roadscholarz) October 22, 2024
वहीं, अशोक परहैया के तीन बच्चों को तब से छात्रवृत्ति मिलना बंद हो गई है, जब से उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं, क्योंकि केवाईसी लगा हुआ है. अशोक ने सीएससी संचालक से मदद ली और केवाईसी करवाने के लिए प्रति बच्चे 150 रुपये का भुगतान किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
The “tyranny of KYC”– examples from Jharkhand.
Case 1: Ashok Parhaiya (PVTG). His three children get scholarships, but their bank accounts are frozen because “KYC laga hua hai”. He is running around and spending money to solve the problem, without success. pic.twitter.com/8LQp60tLXg
— Road Scholarz (@roadscholarz) October 14, 2024
इसी तरह, लातेहार के कुटमु की संगीता देवी हर महीने मुश्किल से गुज़ारा कर पा रही हैं. उनके पति दृष्टि बाधित हैं और उनके दो बच्चे हैं, जिनका बैंक खाता केवाईसी संबंधी समस्याओं के कारण़ फ्रीज कर दिया गया है. सीएससी संचालक को रिश्वत देने के लिए पैसे न होने के कारण उनके बच्चों के लिए आधार कार्ड बनवाना मुश्किल हो गया है. वह अपने आधार कार्ड में हुई गलती को ठीक करवाने के लिए पहले ही 1000 रुपये की भारी रिश्वत दे चुकी हैं.
Case 2: Somwati Devi explains how she had to run around for two weeks to get her KYC done after her bank account was frozen. She kept going to the bank and being sent away. pic.twitter.com/pv6tPbizuG
— Road Scholarz (@roadscholarz) October 14, 2024
सर्वे में कहा गया है, ‘केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) बैंकिंग प्रणाली में पहचान सत्यापन औपचारिकताओं को संदर्भित करता है. गरीब लोगों के लिए इन औपचारिकताओं को पूरा करना आसान नहीं है. उन्हें प्रज्ञा केंद्र पर आधार नंबर का बायोमेट्रिक सत्यापन करवाना पढ़ता है, सत्यापन प्रमाणपत्र को फिर बैंक में ले जाकर देना होता है, वहां एक फॉर्म भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ दोनों को जमा करना होता है. उसके बाद, ग्राहक खाते को फिर से सक्रिय करने के लिए बैंक की दया पर निर्भर होता है. इसमें महीनों लग सकते हैं.’
सर्वे में कहा गया है, ‘यह संकट भारतीय रिजर्व बैंक के दबाव में समय-समय पर केवाईसी पर बैंकों के बढ़ते आग्रह को दर्शाता है. एक स्थानीय बैंक मैनेजर ने बताया कि उनके पास 1,500 केवाईसी आवेदनों का बैकलॉग है, जबकि प्रतिदिन केवल 30 केवाईसी की प्रोसेसिंग क्षमता है.’
सर्वे में प्रक्रिया की समीक्षा की सिफारिश पर जोर देते हुए कहा गया है, ‘गरीब लोगों के पास आम तौर पर आधार से जुड़ा एक खाता होता है, जिसमें अधिकतम बैलेंस 1 लाख रुपये होता है. हर कुछ सालों में इतनी सख्त केवाईसी की क्या जरूरत है? इस पूरी प्रक्रिया की तत्काल समीक्षा की जरूरत है.’