नई दिल्ली: अमेरिकी वित्तीय शोध संस्थान हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर लगे गंभीर आरोपों का मामला अब तक शांत नहीं हुआ है. शनिवार (27 अक्टूबर) को कांग्रेस ने सवाल उठाया कि आखिर उन्हें (माधवी पुरी बुच को) संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से कौन रोक रहा है.
कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने एक बयान में पूछा, ‘माधबी बुच संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष सवालों का जवाब देने से क्यों कतरा रही हैं? उन्हें पीएसी के प्रति जवाबदेह होने से बचाने की योजना के पीछे कौन है? क्या करोड़ों छोटे-मझोले निवेशकों की मेहनत की कमाई को जोखिम में डालकर मोदी जी के प्रिय मित्र अडानी को लाभ पहुंचाने की कोई सोची-समझी साजिश है?’
खेड़ा ने कहा, ‘कांग्रेस ने लगातार सेबी की स्वतंत्रता और शक्तियों के क्षरण पर अपनी चिंता व्यक्त की है. मीडिया कॉन्फ्रेंस की एक श्रृंखला के माध्यम से, हमने सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके परिवार से जुड़े हितों के टकराव के कई मामलों को उजागर किया है. इन गंभीर खुलासों ने भारत के 11.5 करोड़ पंजीकृत निवेशकों के भरोसे को हिला दिया है, जो पारदर्शी और निष्पक्ष वित्तीय माहौल बनाए रखने के लिए सेबी पर भरोसा करते हैं. इस सरकार ने भारत के निवेशकों को असुरक्षित छोड़ दिया है, जिस संस्था का उद्देश्य उनकी जीवन भर की बचत और आकांक्षाओं की रक्षा करना है, उस सरकार ने उस संस्था के मामले में समझौता किया है.’
दरअसल, बुच व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए गुरुवार (24 अक्टूबर) को पीएसी के समक्ष प्रस्तुत नहीं हुई थीं. 26 अक्टूबर को कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बुच को पीएसी के समक्ष जवाब देने से रोक रही है.
राहुल गांधी ने जारी किया वीडियो
26 अक्टूबर को राहुल गांधी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसका कैप्शन है- बुच बचाओ सिंडिकेट. वीडियो में राहुल गांधी को खेड़ा से बात करते हुए देखा जा सकता है, जिसमें वह उनसे खुदरा निवेशकों को ‘जोखिम के दायरे’ के प्रति सावधान करने के लिए तरीका विकसित करने का आग्रह कर रहे हैं.
राहुल ने खेड़ा से यह भी कहा कि वे छोटे निवेशकों की मदद करने के लिए पार्टी के संचार अभियान में शामिल होने के लिए तैयार हैं.
इसी वीडियो को एक्स पर दोबारा शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कुछ सवाल भी उठाए. उन्होंने लिखा, ‘पीएसी को जवाब देने से बचाओ, सेबी से इस्तीफ़े से बचाओ, अडानी पर जांच से बचाओ. कौन है ये सिंडिकेट जो ‘बुच को बचा’ रहा है? और सबसे ज़रूरी, वो क्यों बचा रहा है? सबका जल्द ही पर्दाफाश होगा – देखते जाइए!’
माधबी बुच पर क्या आरोप हैं?
कुछ माह पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी का आरोप लगाया था. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद माधबी बुच ने एक बयान जारी कर आरोपों का खंडन किया था, हालांकि यह स्वीकार किया था कि ‘रिपोर्ट में जिस फंड का ज़िक्र है उसमें हमने साल 2015 में निवेश किया था. तब हम दोनों आम नागरिक थे और सिंगापुर में रहते थे.’
माधबी के खंडन पर प्रतिक्रिया देते हुए 11 अगस्त को हिंडनबर्ग ने एक्स पर लिखा था, ‘बुच की प्रतिक्रिया अब सार्वजनिक रूप से एक अस्पष्ट बरमूडा/मॉरीशस फंड संरचना में उनके निवेश की पुष्टि करती है, साथ ही विनोद अडानी द्वारा कथित रूप से गबन किए गए धन की भी पुष्टि करती है. उनकी प्रतिक्रिया बड़े पैमाने पर हितों के टकराव का संकेत देती है.’
इससे पहले हिंडनबर्ग की जनवरी 2023 की रिपोर्ट में गौतम अडानी द्वारा संचालित अडानी समूह पर ‘कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ी धोखाधड़ी’ करने का आरोप लगाया गया था, जिसे अडानी समूह ने नकार दिया था. इसके बाद सेबी को अडानी समूह की जांच करने का काम सौंपा गया था.