राजस्थान: सरकारी स्कूलों से गोधरा कांड पर पाठ वाली किताब समेत चार पुस्तकें वापस लेने का आदेश

राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने कागज़ और छपाई की गुणवत्ता जांच का हवाला देते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी स्कूलों से कक्षा 9 से 12 तक की चार पाठ्यपुस्तकों की सभी प्रतियां वापस मंगाएं. इनमें से एक किताब में 2002 के गोधरा कांड से जुड़ा अध्याय शामिल है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: भाजपा शासित राजस्थान में 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं पर आधारित एक पाठ्यपुस्तक उन चार पुस्तकों में शामिल है जिन्हें कथित तौर पर विद्यालयों से वापस मंगाया जा रहा है. एक महीने पहले ही इन्हें राज्य के सरकारी स्कूलों में वितरित किया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ने 21 अक्टूबर को जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे स्कूलों से कक्षा 9 से 12 तक की – ‘जीवन की बहार’ और ‘चिट्टी’ – ‘एक कुत्ता और उसका जंगल फार्म’, तथा कक्षा 11 और 12 की ‘अदृश्य लोग’ – ‘उम्मीद और साहस की कहानियां’ और ‘जीवन की बहार’ पाठ्यपुस्तकों की सभी प्रतियां वापस मंगाने को कहें.

स्कूल के प्रधानाचार्यों को सभी चार पुस्तकों की प्रतियां अपने-अपने ब्लॉक स्तर के कार्यालयों में एकत्र करके जमा करानी होंगी. आदेश में कहा गया है कि कागज और छपाई की गुणवत्ता का परीक्षण करने के लिए ‘जीएसएम जांच’ की जाएगी, तथा कथित तकनीकी कमियों के कारण इसे वापस मंगाया गया है.

अखबार के अनुसार, एक निजी संगठन ने 2023-24 में पुस्तकालय अनुदान के माध्यम से सभी चार पुस्तकों को प्रकाशित किया. इन किताबों में अदृश्य लोग-उम्मीद और साहस की कहानियां के अध्यायों में से एक- ‘नौ लंबे साल’ शीर्षक से है, जो गोधरा नरसंहार की प्रतिक्रिया पर दोबारा गौर करता है.

इसमें कहा गया है, ‘गुजरात सरकार ने दावा किया था कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड में आतंकवादी साजिश थी, लेकिन यह कभी साबित नहीं हुआ. उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय और यहां तक ​​कि विशेष अदालतें भी इस निष्कर्ष पर पहुंचीं कि घटना में कोई आतंकवादी साजिश नहीं थी और तीनों संदिग्धों (जिन्होंने नौ साल जेल में बिताए) ने कोई अपराध नहीं किया है.’

अध्याय में यह भी उल्लेख किया गया है कि कारसेवकों के नरसंहार के बाद ‘चेहरे ढके हुए सिविल ड्रेस में पुलिस मालिन बस्ती में गई…और परिवारों को कोई स्पष्टीकरण दिए बिना 14 युवकों को गिरफ्तार कर लिया.’

मालूम हो कि गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को अयोध्या से ‘कारसेवकों’ को लेकर लौट रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगा देने के कारण 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे, जिसमें 1,200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के थे.

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘राजस्थान में शिक्षा के नाम पर ‘नफरत फैलाने, जहर फैलाने’ और ‘नफरती भाषा’ सिखाने के लिए कौन जिम्मेदार है? शिक्षा मंत्री बच्चों में नफरत फैलाने के लिए अधिकारियों पर दबाव बना रहे हैं और जनता की गाढ़ी कमाई के 30 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नियमों के खिलाफ किताबें खरीद रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा की जगह अनैतिकता की हदें पार की जा रही हैं. मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा से अपेक्षा है कि बच्चों में बांटी जा रही इस सामग्री की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.