अलग राज्य की मांग: अधिक स्वायत्तता पर केंद्र के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया को तैयार नगालैंड सरकार

पूर्वी नगालैंड के छह ज़िलों को मिलाकर अलग राज्य बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. बताया गया है कि हितधारकों और केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठकों में राज्य के भीतर ही ‘फ्रंटियर नगा टेरिटरी’ बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. अब राज्य सरकार इसे लेकर केंद्र को जवाब देने को तैयार हुई है.

नगालैंड मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो. (फाइल फोटो: एएनआई)

नई दिल्ली: पूर्वी नगालैंड के छह जिलों द्वारा अधिक स्वायत्तता की मांग को लेकर लोकसभा चुनाव में मतदान से दूर रहने के महीनों बाद नगालैंड सरकार ने इस सप्ताह कहा कि वह समझौता ज्ञापन के मसौदे पर अपनी टिप्पणियां केंद्र को भेजने के लिए तैयार है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, नगालैंड के छह पूर्वी जिलों – किफिरे, लॉन्गलेंग, मोन, नोकलाक, शामटोर और तुएनसांग – को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की मांग एक लोकप्रिय और लंबे समय से चली आ रही मांग है. पिछले साल नगालैंड विधानसभा चुनावों से पहले यह मांग फिर से उठी थी और तब से अधिक स्वायत्तता पर चर्चा चल रही है.

इस साल अप्रैल में पूर्वी नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) द्वारा मतदान से ‘दूर रहने’ के आह्वान के बाद पूर्वी नगालैंड के छह जिलों में लोकसभा चुनाव के लिए कोई मतदान नहीं हुआ. पिछले साल से ईएनपीओ और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें नगालैंड सरकार के प्रतिनिधियों के साथ त्रिपक्षीय चर्चा भी शामिल है.

इन बैठकों में शामिल सूत्रों के अनुसार, चर्चा नगालैंड राज्य के भीतर ‘फ्रंटियर नगा टेरिटरी’ (एफएनटी) नामक एक ‘अनूठी व्यवस्था’ की ओर बढ़ रही है, जिसमें पृथक विधायिका, कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां होंगी. केंद्र ने राज्य सरकार को टिप्पणी के लिए समझौता ज्ञापन का मसौदा भेजा था, लेकिन तब से कोई प्रगति नहीं हुई, जिसके कारण चुनाव बहिष्कार का आह्वान किया गया.

हाल ही में हुई चर्चाओं के बारे में बात करते हुए नगालैंड के संसदीय मामलों के मंत्री केजी केन्ये ने कहा कि सरकार द्वारा ईएनपीओ और पूर्वी नगालैंड विधायक संघ (जिसमें क्षेत्र के 20 विधायक शामिल हैं) से परामर्श मांगे जाने के बाद बातचीत रुक गई थी. लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों में चर्चा हुई जिसके बाद सरकार अपना मामला केंद्र के पास भेजने के लिए तैयार है.

उनके अनुसार, यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 371 ए के प्रावधानों के अंतर्गत होगी, जिसमें नगालैंड के लिए विशेष प्रावधान हैं. इसमें तत्कालीन तुएनसांग जिले के लिए एक ‘क्षेत्रीय परिषद’ का प्रावधान शामिल है – जिसे बाद में छह जिलों में विभाजित कर दिया गया.

केन्ये ने कहा, ‘वे शुरू से ही बहुत स्पष्ट रहे हैं कि वे नगालैंड राज्य और नगालैंड के 371 (ए) के प्रावधानों से बाहर नहीं होंगे… हमारे लिए देरी करने और इस मामले को लंबित रखने का कोई कारण नहीं है. इस सप्ताह हमारी कैबिनेट बैठक में जो भी चर्चा हुई है, हम उसे ईएनएलयू और ईएनपीओ के पास वापस ले जाएंगे, और हमारे पास एक आयोग है जो इस मुद्दे को संभालेगा, जो इसे अंतिम रूप देगा.’

सरकारी प्रवक्ता सीएल जॉन ने शक्तियों के प्रस्तावित विभाजन की व्याख्या करते हुए कहा कि सरकार अभी भी कोहिमा में ही केंद्रित रहेगी.

उन्होंने कहा, ‘कुछ तरीके सामने आएंगे. पर्यावरण और वनों के मामले में, राज्य जिला स्तर पर काम करेगा और ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक आरक्षित क्षेत्रों और सामुदायिक संरक्षित क्षेत्रों की देखभाल एफएनटी करेगा. इसी तरह, राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों को पीडब्ल्यूडी और स्थानीय और ग्रामीण सड़कों को एफएनटी परिषद द्वारा संभाला जाएगा.’