नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को भाजपा से झारखंड को लंबित कोयला रॉयल्टी और अन्य केंद्रीय फंड्स के 1.4 लाख करोड़ रुपये जारी करने में देरी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा.
साथ ही, कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पार्टी पर आरोप लगाया कि वह राज्य से बदला ले रही है, क्योंकि उसने 2019 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को वोट नहीं दिया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि केंद्र सरकार पर झारखंड का कोयला रॉयल्टी और केंद्रीय योजना लाभ के लाखों करोड़ रुपये बकाया हैं.
उन्होंने कहा, ‘झारखंड में कोयला खदानें कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं, जिन पर राज्य सरकार का काफ़ी ज़्यादा पैसा बकाया है. भूमि मुआवज़े के 1,01,142 करोड़ रुपये, कॉमन कॉज के तहत 32,000 करोड़ रुपये और धुले हुए कोयले की रॉयल्टी के 2,500 करोड़ रुपये का बकाया है.’
उन्होंने कहा, ‘नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री ने इन फंड्स को जारी क्यों नहीं किया है? क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देने पर झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है? राज्य भाजपा नेतृत्व राज्य के लिए कोई फंड सुनिश्चित करने में असमर्थ क्यों है?’
उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता से एक भी वोट मांगने से पहले भाजपा को राज्य को 1.36 लाख करोड़ रुपये जारी करने में हुई इस देरी का हिसाब देना होगा.
इसके अलावा पार्टी ने महाराष्ट्र की भाजपा सरकार पर किसानों से किए गए अपने वादों को पूरा करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया.
कांग्रेस ने महाराष्ट्र में भाजपा के महायुति गठबंधन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार किसानों के साथ ‘विश्वासघात’ करके बनाई गई है, जिनसे बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया, जैसे कि मराठवाड़ा से प्रत्येक गांव तक पाइप से पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल ग्रिड बनाने का वादा.
जयराम रमेश ने कहा, ‘किसान इनके राज में सबसे ज़्यादा उपेक्षित रहे हैं. सरकार ने उन्हें सिर्फ बड़े-बड़े वादे दिए हैं, हासिल कुछ भी नहीं हुआ है. वर्ष 2019 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठवाड़ा से एक जल ग्रिड बनाने के लिए 20,000 से 25,000 करोड़ के पैकेज का वादा किया था. कहा गया था कि इससे हर गांव में पाइप से पीने का पानी पहुंचाया जाएगा. इस साल गर्मियों में इस वादे के पांच साल पूरे हो गए – और यह मराठवाड़ा में सबसे अधिक पानी की कमी वाले वर्षों में से एक था. ‘
उन्होंने आगे कहा, ‘मराठवाड़ा में 600 से अधिक गांव और 178 बस्तियां पीने के पानी की भारी कमी के कारण पानी के टैंकरों पर निर्भर थे. पिछले वर्ष के 40% की तुलना में जलाशयों में केवल 19% पीने का पानी बचा था. मराठवाड़ा की जीवन रेखा गोदावरी नदी का भी गला घोंट दिया गया है. कथित तौर पर 2022 में इसकी सफाई के लिए 88 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन पानी की गुणवत्ता में कोई सार्थक सुधार नहीं हुआ.’
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने जलयुक्त शिवार का वादा किया था, उन्होंने केवल जलमुक्त शिवार ही दिया है. महाराष्ट्र उन्हें माफ़ नहीं करेगा.