नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (4 नवंबर) को केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के मामले में ज़मानत की शर्त में ढील दी, जिसके तहत उन्हें हर सोमवार को उत्तर प्रदेश के एक थाने में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी थी.
ज्ञात हो कि मलयालम समाचार पोर्टल ‘अझीमुखम’ के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव सिद्दीक कप्पन और तीन अन्य को 5 अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था, जब वह उत्तर प्रदेश के हाथरस में सामूहिक बलात्कार मामले की रिपोर्ट करने के लिए जा रहे थे.
हाथरस में 14 सितंबर, 2020 को एक दलित किशोरी के साथ चार ‘उच्च’ जाति के पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक बलात्कार करने के साथ उसके साथ बेरहमी से मारपीट की गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी.
रिपोर्ट के अनुसार, ज़मानत की शर्त में ढील की मांग करते हुए कप्पन द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार करते हुए जस्टिस पीएस नरसिम्हा और संदीप मेहता की पीठ ने 1 नवंबर को कहा, ‘9 सितंबर 2022 के आदेश को संशोधित किया जाता है और याचिकाकर्ता के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना ज़रूरी नहीं होगा. वर्तमान आवेदन में की गई अन्य प्रार्थनाओं को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है.’
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, मलप्पुरम जिले में अपने पारिवारिक घर में रहने वाले कप्पन को अब हर सोमवार को स्थानीय वेंगारा पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना होगा.
हालांकि, अदालत ने पासपोर्ट वापस करने की कप्पन की याचिका पर कोई आदेश पारित करने से परहेज़ किया. पीठ ने बिना विस्तार से बताए कहा, ‘मौजूदा आवेदन में की गई दूसरी प्रार्थना को स्वतंत्र रूप से उठाया जा सकता है.’
सितंबर 2022 में कप्पन को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी थी कि उन्हें हर सोमवार को स्थानीय थाने में रिपोर्ट करना होगा और उस संबंध में रखे गए रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कप्पन और उनके साथियों पर सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ने और दंगे भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था. अपने खिलाफ लगाए गए देशद्रोह, मनी लॉन्ड्रिंग और साजिश के आरोपों के बारे में बात करते हुए कप्पन ने पहले कहा था कि सरकार ने हाथरस मामले में अपनी विफलता को छिपाने के लिए उन्हें जेल में डाल दिया.
उन्होंने कहा था, ‘शर्मिंदगी से बचने के लिए सरकार ने मुझे बलि का बकरा बनाया और बलात्कार और हत्या की भयावह घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की.’ कप्पन के मुताबिक, उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.