नई दिल्ली: देशभर के 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षण पदों पर रिक्तियों को लेकर हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेतृत्व वाली मोदी सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि मोदी सरकार का ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सामाजिक न्याय की लड़ाई को ठेंगा दिखाकर मख़ौल उड़ाता है.
अब इसके जवाब में अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस पर पलटवार किया है.
द हिंदू की खबर के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार समाज के हर वर्ग को साथ लेकर रिक्त पदों को तेजी से भर रही है. उन्होंने कहा कि 2014 में कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 16,217 स्वीकृत पद थे, जिसमें 6042 पद यानी, कुल 37 फीसदी पद खाली पड़े थे. इसमें अनुसूचित जाति (एससी) के 57 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 63 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 60 फीसदी आरक्षित पद खाली थे.
धर्मेंद्र प्रधान ने दावा किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान मिशन मोड पर 6,890 से अधिक शिक्षण पदों पर भर्ती की गई है, जिनमें 939 (13.6%) अनुसूचित जाति (एससी), 464 (6.7%) अनुसूचित जनजाति (एसटी), 1,535 (22.27%) अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 348 (5.05%) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से हैं.
प्रधान ने आगे ये भी बताया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती एक सतत प्रक्रिया है जो अभूतपूर्व गति से चल रही है और यही कारण है कि 2014 की तुलना में 2024 में स्वीकृत पदों की संख्या 18,940 में बढ़ोतरी होने के बाद भी कुल रिक्त पदों की संख्या 37 फीसदी से घटकर अब 26.8 फीसदी हो गई है.
मालूम हो कि इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने एक्स पर अपने पोस्ट में कहा था कि 46 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के करीब 19 हजार स्वीकृत पदों में 27 फीसदी खाली पड़े हुए हैं, जिसमें 38 फीसदी से ज़्यादा एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पद खाली पड़े हैं. इसमें एससी (32.1%), एसटी (40.3%) ओबीसी (41.8%) के पद शामिल हैं.
जो केंद्रीय विश्विद्यालय में अध्यापकों का आरक्षण का हक़ छीन रहें हैं, वो दूसरों को जन-कल्याण का पाठ पढ़ा रहें हैं !
RTI से पता चला है कि —
🔹46 केंद्रीय विश्विद्यालयों के 18,940 स्वीकृत पदों में से 27% शिक्षकों के पद ख़ाली हैं।
🔹इनमें 38% से ज़्यादा SC, ST, OBC आरक्षित पद… pic.twitter.com/vYuupsY9bg
— Mallikarjun Kharge (@kharge) November 2, 2024
अपने जवाब ने प्रधान ने कांग्रेस से पूछा कि पार्टी को बताना चाहिए कि 60 वर्षों तक देश पर शासन करने के बावजूद उसने दलितों, पीड़ितों और पिछड़े वर्गों को उनके अधिकारों से वंचित क्यों रखा? क्या कारण था कि उन्हें देश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में प्रतिनिधित्व नहीं मिला?
धर्मेंद्र प्रधान ने लंबे से पोस्ट में कहा है कि 2014 में कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 16,217 स्वीकृत पद थे, जिसमें 6042 पद यानी, कुल 37 फीसदी पद खाली पड़े थे. एससी, एसटी और ओबीसी के 57 फीसदी , 63 फीसदी और 60 फीसदी पद खाली थे.
कांग्रेस पार्टी की आदत सिर्फ झूठ बोलने की है। एक झूठ जब इनका टिकता नहीं है तो दूसरा झूठ लेकर निकल पड़ते हैं। जबकि, सच शीशे की तरह बिल्कुल साफ है। 2014 में कांग्रेस की यूपीए सरकार के समय केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 16,217 स्वीकृत पद थे जिसमें 6042 पद, कुल 37% पद रिक्त थे। SC, ST… https://t.co/LkFhtEYplz
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) November 4, 2024
गौरतलब है कि बीते साल केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य धर्मेंद्र कश्यप द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब देते हुए ये जानकारी दी थी कि देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और विकलांगों के लिए लगभग 4,000 पद खाली हैं.
शिक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया था कि समग्र आंकड़ों में 549 आरक्षित पद खाली हैं, क्योंकि विश्वविद्यालयों ने ‘पिछले पांच वर्षों के दौरान किसी को भी उपयुक्त नहीं पाया’ घोषित किया है.
जिन पांच केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने खाली आरक्षित पदों के लिए यह कारण बताया है, उनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय भी शामिल थे.