नई दिल्ली: मेईतेई समुदाय के प्रभावशाली नागरिक समाज संगठन – कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (सीओसीओएमआई) ने मंगलवार को बांग्लादेश, म्यांमार और भारत में रहने वाले कुकी-जो लोगों के एकीकरण के लिए मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा द्वारा किए गए आह्वान का कड़ा विरोध किया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीओसीओएमआई के संयोजक थोकचोम सोमोरेंड्रो ने कहा कि मणिपुर की अखंडता की रक्षा के मामले में समिति अपने रुख पर अडिग है. मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए बयान ने राज्य में शांति बहाल करने के सभी के प्रयासों के बीच भ्रम पैदा कर दिया है.
सोमोरेंड्रो ने कहा, ‘हम किसी भी नीतिगत कार्यक्रम के तहत मणिपुर को विघटित नहीं होने देंगे. सीओसीओएमआई का हमेशा से यही दृढ़ रुख रहा है. हम भारत सरकार से भी आग्रह करना चाहेंगे कि पूर्वोत्तर, खासकर मणिपुर की भू-राजनीति के मामले में वह मूकदर्शक न बनी रहे.’
उल्लेखनीय है कि मिजोरम के मुख्यमंत्री द्वारा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान कुकी-ज़ो एकता के आह्वान का भाषण वायरल हुआ है, जिसमें लालदुहोमा ने दावा किया कि कुकी-ज़ो को विभाजित करने वाली सीमाएं थोपी गई हैं और समुदायों से कभी सलाह नहीं ली गई.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2 सितंबर को लालदुहोमा ने अपने संबोधन में कहा था, ‘1988 में ज़ोरो आंदोलन का मुख्य उद्देश्य भारत के भीतर ज़ो-पुनर्मिलन था. क्या आज भारत, बर्मा और बांग्लादेश में रहने वाले ‘ज़ो’ लोग भारत के अंतर्गत फिर से एकजुट होने की आकांक्षा रखते हैं? हमारे समय की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को देखते हुए यह सोचना दूर की कौड़ी नहीं है कि एक दिन यह संभव हो सकता है. शायद, क़िस्मत ने भविष्य में हमारे लिए यह मिलन तैयार रखा है.’
2 सितंबर के भाषण का पूरा वीडियो मिज़ोरम सरकार के सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर) की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ने 4 सितंबर को इंडियानापोलिस में एक और भाषण दिया था, जहां उन्होंने कहा कि उनके लोगों को ‘अन्यायपूर्ण तरीके से विभाजित किया गया है.’ यह 4 सितंबर का भाषण ही है जिसने एक बड़े विवाद को जन्म दिया है.
अमेरिका में ज़ो समुदाय को संबोधित करते हुए लालदुहोमा ने कहा, ‘जैसे-जैसे मैं अपने भाषण के अंत की ओर बढ़ रहा हूं, मैं यहां सभी को बताना चाहता हूं कि संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के निमंत्रण को स्वीकार करने का मुख्य कारण हम सभी के लिए एकता की दिशा में एक रास्ता तलाशना है.’
उन्होंने कहा, ‘हम एक लोग हैं, और हम एक दूसरे से विभाजित या अलग होने का जोखिम नहीं उठा सकते. मैं चाहता हूं कि हमारे पास यह दृढ़ विश्वास हो कि एक दिन, ईश्वर की शक्ति से, जिसने हमें एक राष्ट्र बनाया है, हम एक नेतृत्व के तहत एक साथ उठेंगे और राष्ट्रत्व के अपने भाग्य को प्राप्त करेंगे.’
उन्होंने कहा था, ‘एक देश की सीमाएं हो सकती हैं, एक सच्चा राष्ट्र ऐसी सीमाओं से परे होता है. हमें अन्यायपूर्ण तरीके से विभाजित किया गया है, तीन अलग-अलग देशों में तीन अलग-अलग सरकारों के अधीन रहने के लिए मजबूर किया गया है, और यह कुछ ऐसा है जिसे हम कभी स्वीकार नहीं कर सकते.’
राजनेताओं से लेकर शिक्षाविदों तक कई लोगों ने इंडियानापोलिस में लालदुहोमा के भाषण पर चिंता जताई.
इस बीच, सीओसीओएमआई ने 2 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित थाडौ सम्मेलन द्वारा मणिपुर की अखंडता को कायम रखते हुए इसकी विशिष्ट पहचान और संस्कृति को संरक्षित करने की घोषणा का स्वागत किया.
समिति ने कहा कि वह थाडौ समुदाय द्वारा अपनाए गए घोषणापत्र को अपना समर्थन देगी, जिसमें राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के कार्यान्वयन, नशीली दवाओं के खिलाफ युद्ध और मणिपुर की अखंडता की रक्षा को बरकरार रखा गया है.