यूपी: ‘बैड टच’ से बचाव के लिए महिला आयोग ने दिया पुरुष दर्ज़ी और हेयरड्रेसर बैन करने का प्रस्ताव

महिलाओं को संभावित उत्पीड़न से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश के राज्य महिला आयोग ने कई सिफ़ारिशें दी हैं, जिसमें महिलाओं के लिए दर्ज़ी से लेकर हेयरड्रेसर और जिम ट्रेनर तक के रूप में महिलाओं को ही रखने की सुझाव दिया गया है.

(फोटो साभार: फेसबुक/@mahilaayog.up)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने महिलाओं को ‘बैड टच’ यानी गलत तरीके से छूने के इरादे और संभावित उत्पीड़न से बचाने के लिए कई अहम सिफारिशें की हैं, जिसमें महिलाओं के लिए टेलर से लेकर हेयरड्रेसर और जिम ट्रेनर तक के रूप में केवल महिलाओं को ही रखने की सुझाव दिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, 28 अक्टूबर को हुई एक बैठक में महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में कई सिफारिशें की गईं, जिसमें सुझाव दिया गया कि केवल महिला दर्जियों को ही कपड़े सिलने के लिए महिलाओं का माप लेना चाहिए. वहीं, सैलून में भी महिलाओं के बाल की स्टाइलिंग या कटाई के लिए महिला हेयरड्रेसरों को ही रखा जाना चाहिए. इसके साथ ही कहा गया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सिलाई की दुकानों और सैलून में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए.

टेलीग्राफ के अनुसार, महिला आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने बताया कि इस पहल की शुरुआत आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने की थी, जिसके बाद बैठक में मौजूद अन्य सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया.

मीडिया से बात करते हुए बबिता चौहान ने कहा, ‘मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आपको पार्लर में लड़कों को भी रखना चाहिए, जो चाहे वे  लड़कों से सेवा ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अपनी रजामंदी लिखित में देनी होगी. इसके साथ ही सभी कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूर किया जाना चाहिए.’

बबिता चौहान के जिम में भी जेंडर विशेष नीतियों पर विचार करने की बात कही, खासकर वहां जहां महिलाओं के साथ नजदीकी शारीरिक संपर्क हो सकता है.

इस संबंध में आयोग की सदस्य हिमानी अग्रवाल ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से कहा कि यह प्रस्ताव उत्पीड़न और कथित अनुचित व्यवहार की घटनाओं पर आयोग की चिंताओं को लेकर सामने आया है. उन्होंने कहा, ‘हमारा विचार है कि इस प्रकार के पेशे में पुरुषों के होने के कारण ही महिलाओं से छेड़छाड़ होती है. वे गलत तरह से छूने की कोशिश करते हैं. कुछ पुरुषों के इरादे भी अच्छे नहीं होते हैं.’ हिमानी ने जोड़ा कि हालांकि सभी पुरुष बदनीयत नहीं होते हैं.

गौरतलब है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध कुल 65,743 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए थे. फ्रंटलाइन ने इस साल की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि ये आंकड़े 2021 में 56,083 मामलों और 2020 में 49,385 मामलों में हुई बढ़ोत्तरी को दर्शाते हैं.

उत्तर प्रदेश महिलाओं के अपहरण (14,887 मामले), दहेज से संबंधित मौतों (2,138 मामले), और पतियों और रिश्तेदारों द्वारा उत्पीड़न के मामलों (20,371 मामले) की घटनाओं में देशभर में सबसे आगे है.

वहीं, ये राज्य 3,690 घटनाओं के साथ बलात्कार के मामलों में दूसरे स्थान पर है और 62 मामलों के साथ “सामूहिक बलात्कार के बाद हत्याओं” के मामले में सबसे ऊपर है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने पिछले साल महिलाओं के खिलाफ अपराध की 28,811 शिकायतें दर्ज की थीं, जिनमें से लगभग 55% (16,109) मामले उत्तर प्रदेश से थे.

हालांति, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा है कि पारंपरिक रूप से भारतीय दर्जियों का एक बड़ा वर्ग मुस्लिम है.

ज्ञात हो कि आयोग इस प्रस्ताव को राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने की योजना बना रहा है, जिससे ये सुझाव भविष्य के कानूनी उपायों को प्रभावित कर सकते हैं.