नई दिल्ली: मणिपुर के जिरीबाम में सुरक्षा बलों द्वारा हमार समुदाय के 10 संदिग्ध उग्रवादियों को मार गिराए जाने के एक दिन बाद मंगलवार सुबह इलाके से दो मेईतेई पुरुषों के शव बरामद किए गए. इलाके से तीन बच्चों सहित मेईतेई समुदाय के छह लोग अभी भी लापता हैं.
मालूम हो कि इससे पहले पड़ोसी हमार बहुल फेरजावल जिले की पहाड़ियों के नजदीक जिरीबाम जिले के जकुराधोर और बोरोबेकरा क्षेत्र में सोमवार (11 नवंबर) दोपहर संदिग्ध आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच बड़ी गोलीबारी हुई थी, जिसमें पुलिस ने दस उग्रवादियों को मारने का दावा किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार की सुबह पुलिस ने जकुराधोर के घरों से लैशराम बरेल सिंह (61) और माईबाम केशवो सिंह (75) के शव बरामद किए. स्थानीय लोगों के अनुसार, ये दोनों लोग बोरोबेकरा थाने के राहत शिविर में रहने वाले 10 लोगों में से थे, जो सोमवार की हिंसा के बाद लापता हो गए थे.
युरेम्बाम निवासी संजय सिंह के अनुसार, वे उन 118 लोगों में से थे जो इस साल जून में हिंसा और आगजनी की चपेट में आने के बाद आस-पास के गांवों के निवासियों के लिए बनाए गए राहत शिविर में रह रहे थे. इस क्षेत्र से विस्थापित हुए बाकी मेईतेई लोग 20 किलोमीटर से कुछ ज़्यादा दूर जिरीबाम जिला मुख्यालय में राहत शिविरों में रह रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘दिन के समय राहत शिविर में रहने वाले लोग बाहर निकल जाते हैं. कल जब गोलीबारी और आगजनी शुरू हुई तो लोग इधर-उधर भागने लगे और जब यह घटना शांत हुई तो हमने पाया कि राहत शिविर से 10 लोग लापता हैं. आज सुबह दो शव बरामद हुए और दो अन्य लोग घायल अवस्था में मिले. लेकिन छह लोग – तीन महिलाएं और तीन बच्चे – अभी भी लापता हैं और हमें इस बात का डर है कि वे कहां हो सकते हैं या उनके साथ क्या हुआ होगा.’
पुलिस ने बताया कि हमले के बाद शुरू में 13 लोग लापता थे, लेकिन असम राइफल्स और पुलिस ने तीन लोगों को बचा लिया. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि हिंसा के बाद छह लोग लापता हैं और कहा कि तलाशी अभियान जारी है.
राहत शिविरों में रहने वाले एक अन्य निवासी एन राजेंद्र सिंह ने बताया कि सभी छह लोग एक ही परिवार से हैं – एक दादी, उनकी दो बेटियां और तीन पोते-पोतियां जिनकी उम्र आठ, दो और एक साल से कम उम्र का बच्चा है.
उन्होंने कहा, ‘गोलीबारी बंद होने के बाद हमने लापता लोगों की तलाश की और हम रात 1 बजे ही राहत शिविर में वापस लौटे. हमने आज सुबह भी सेना के साथ उनकी तलाश की, लेकिन हम उन्हें नहीं ढूंढ पाए. अब हम इस क्षेत्र से दूर मुख्य जिरीबाम शहर जाना चाहते हैं, जहां सुरक्षित है क्योंकि हम यहां पूरी तरह से खुले और असुरक्षित हैं. लेकिन हम यहां फंस गए हैं क्योंकि सड़क मार्ग से शहर तक यात्रा करना बहुत असुरक्षित है क्योंकि हमें आदिवासी क्षेत्रों को पार करना पड़ता है और हम रास्ते में हमले की चपेट में आ सकते हैं.’
मेईतेई संगठन ने अपहरण का आरोप लगाया
मेईतेई समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जिरीबाम के एक समूह जिरी अपुनबा लूप ने एक बयान में आरोप लगाया कि सोमवार की हिंसा के दौरान छह लोगों का अपहरण कर लिया गया है.
बयान में कहा गया है, ‘सरकार को 24 घंटे के भीतर लोगों को बचाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए. अपहरणकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और उन्हें उचित सजा दी जानी चाहिए. अन्यथा, जिरीबाम के लोगों द्वारा विभिन्न प्रकार के सशक्त आंदोलन शुरू किए जाएंगे.’
सोमवार को हुई घटना में हताहतों की संख्या राज्य में चल रहे हिंसा में इस साल एक दिन में सर्वाधिक है. यह घटना जिला मुख्यालय के पास एक गांव में रहने वाली हमार समुदाय की 31 वर्षीय महिला की पिछले सप्ताह उसके गांव पर हुए हमले में हत्या के कुछ दिनों बाद हुई है.
वहीं, हमार समूहों ने दावा किया है कि सोमवार को मारे गए लोग ‘गांव के स्वयंसेवक’ (village volunteers) थे जो महिला की हत्या का ‘प्रतिशोध’ ले रहे थे, न कि उग्रवादी थे.
मंगलवार को इंफाल में मीडिया को संबोधित करते हुए आईजीपी (ऑपरेशन) आईके मुइवा ने कहा कि सुरक्षा बलों ने उनके खिलाफ अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल के कारण गोलीबारी की. मुठभेड़ के बाद पुलिस ने बताया कि तीन एके-47 राइफलें, चार एसएलआर, दो इंसास राइफलें और एक रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड बरामद किया गया है.
मुइवा ने कहा, ‘हमारे सशस्त्र बल हमेशा उन्हें अपनी गोलीबारी सीमित रखने के लिए सावधान करने की कोशिश करते हैं. यह हमारी मानक प्रथाओं में से एक है. लगभग सभी स्थितियों में हम उन्हें अपनी गोलीबारी सीमित रखने के लिए कहते हैं, लेकिन जब उन पर अत्याधुनिक हथियारों, रॉकेट लांचर आदि से गोलीबारी की जाती है, तो जवाबी कार्रवाई भी हमारे आदेश का हिस्सा है. और इसी आदेश के तहत वे 10 सशस्त्र आतंकवादी मारे गए. हमने एक प्राथमिकी दर्ज की है और अतिरिक्त बल वहां भेजा गया है. असम राइफल्स, सीआरपीएफ और सिविल पुलिस के अतिरिक्त बल वहां भेजे गए हैं और हम जाकुरधोर क्षेत्र में तलाशी अभियान चला रहे हैं.’
कुकी-ज़ो समूहों ने सीआरपीएफ पर ज्यादती का आरोप लगाया
घटना के बाद कुकी-ज़ो समूहों ने सीआरपीएफ पर ज्यादती का आरोप लगाया है. मंगलवार को कुकी छात्र संगठन ने एक नोटिस जारी किया कि कुकी-ज़ो बहुल इलाकों में ‘सीआरपीएफ के किसी भी कर्मी को अपने कैंप परिसर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.’
केएसओ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘जब तक केंद्रीय बल जिरीबाम में अपनी बर्बर कार्रवाई को सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करता और माफ़ी नहीं मांगता, तब तक किसी भी सीआरपीएफ सदस्य को उनके शिविर परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. जो लोग निर्देश का उल्लंघन करेंगे, उन्हें अपने जोखिम और जिम्मेदारी पर ऐसा करना होगा.’
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, संगठन ने कहा कि इस निर्देश को कुकी बहुल क्षेत्रों में सीआरपीएफ के खिलाफ असहयोग के बड़े आंदोलन का हिस्सा माना जाना चाहिए.
हत्याओं की निंदा करते हुए प्रमुख कुकी-जो संगठनों ने दावा किया है कि मृतक गांव के वालंटियर्स थे, जो जिरीबाम जिले में हमारी पैतृक भूमि और लोगों की रक्षा और सुरक्षा के लिए नियमित ड्यूटी पर थे.
संगठनों ने सीआरपीएफ के खिलाफ कई विरोधात्मक कदमों की भी घोषणा की, जिसे 3 मई, 2023 को कुकी-जो और मेईतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू होने के बाद से मणिपुर में तैनात किया गया है.
वहीं, मंगलवार रात को पुलिस ने इन आरोपों के जवाब में एक बयान जारी किया कि गोलीबारी जवाबी कार्रवाई थी.
मणिपुर पुलिस ने कहा कि कई संगठनों ने सीआरपीएफ और पुलिस के खिलाफ ‘निराधार दावे’ करते हुए मीडिया विज्ञप्ति जारी की है. पुलिस ने कहा, ‘सशस्त्र उग्रवादियों पर घात लगाकर हमला नहीं किया गया था, बल्कि सुरक्षा बलों की जवाबी फायरिंग में वे मारे गए. अगर सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई नहीं की होती, तो नुकसान बहुत अधिक हो सकता था.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बयान में पुलिस ने यह भी कहा कि सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए लोगों की पहचान इस क्षेत्र के स्थानीय लोगों के रूप में नहीं की गई है.
बयान में कहा गया है, ‘यह पाया गया है कि सशस्त्र आतंकवादी दूरवर्ती चूड़ाचांदपुर और फेरजावल जिलों से थे, तथा इन हमलों की योजना बनाने/अमल करने के लिए वे लंबी दूरी तय करके जिरीबाम जिले में आए थे.’
कुकी संगठनों ने घटना की केंद्रीय एजेंसियों से जांच और सीआरपीएफ को हटाने की मांग की
तीन जिलों में कुकी जनजातियों के शीर्ष संगठन कुकी इंपी जिरीबाम, तामेंगलोंग और नोनी (केआईजेटीएन) ने मंगलवार को एक केंद्रीय जांच एजेंसी से जांच कराने और जिरीबाम के प्रत्येक कुकी-जो गांव से सीआरपीएफ को तत्काल हटाने की मांग की. उनका मानना है कि सीआरपीएफ की उपस्थिति से ग्रामीणों में असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है.
केआईजेटीएन ने दावा किया कि हमार गांव के वालंटियर्स ने सोमवार को सीआरपीएफ कर्मियों को बताया था कि 7 नवंबर को ज़ैरावन गांव में आगजनी के अपराधी कथित तौर पर जकुराधोर पुलिस स्टेशन में शरण लिए हुए हैं और मणिपुर पुलिस कमांडो और सीआरपीएफ की सुरक्षा में हैं.
उन्होंने सीआरपीएफ कर्मियों से कहा था कि वे मेईतेई उग्रवादियों को उन्हें सौंप दें और उनका किसी भी केंद्रीय सुरक्षा बल को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था.
कुकी इंपी ने कुकी-ज़ो के निवास वाले क्षेत्रों में मंगलवार को किए गए पूर्ण बंद का समर्थन करते हुए दावा किया, ‘सीआरपीएफ कर्मियों के साथ सफलतापूर्वक बातचीत करने के बाद गांव के वालंटियर्स पर उस समय अंधाधुंध गोलीबारी की गई, जब वे आराम कर रहे थे, जिसके कारण कई लोगों की जान चली गई.’
हमार छात्र संघ ने कहा कि उसे यह ‘भयावह’ लगा कि केंद्रीय और राज्य बलों ने ‘शांति बनाए रखने के बजाय हिंसा को बढ़ावा देने वालों के साथ मिलकर काम किया है.
इसने सोमवार की ‘हत्याओं’ और 7 नवंबर की आगजनी की सीबीआई के नेतृत्व में जांच, कुकी-ज़ो क्षेत्रों से सीपीआरएफ और मणिपुर पुलिस को तत्काल वापस बुलाने और हमार और अन्य आदिवासी गांवों को सुरक्षित करने के लिए तटस्थ शांति सेना की तैनाती की मांग की है.
उधरस ज़ोमी छात्र संघ ने सीआरपीएफ की कार्रवाइयों के मद्देनजर तत्काल सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है और फर्जी मुठभेड़ की अदालत की निगरानी में जांच और सीआरपीएफ के सभी मेईतेई अधिकारियों के तत्काल स्थानांतरण की मांग की है.
वहीं, इस घटना की निंदा करते हुए हमार इनपुई ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ‘इस तरह का नरसंहार दोहराया नहीं जाएगा.’
हमार इनपुई ने कहा, ‘हमार विलेज वालंटियर्स दुश्मनों के हाथों नहीं मरे, बल्कि सुरक्षा बलों के हाथों मरे, जिन्हें हमारी रक्षा करनी थी…
उनके बयान में कहा गया है कि सीआरपीएफ ने मेईतेई उग्रवादियों और अरमबाई तेंगोल का साथ देकर नाजुक और अस्थिर राजनीतिक क्षेत्र में खोखली ईमानदारी जाहिर कर दी है.
मालूम हो कि सीआरपीएफ से पहले असम राइफल्स पर मेईतेई संगठनों ने राज्य में चल रहे हिंसा के दौरान कुकी-ज़ो का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया था. इसके अलावा 40 मेईतेई विधायकों ने प्रधानमंत्री से असम राइफल्स को हटाने की मांग की थी.
जिरीबाम में कथित अपहरण के विरोध में इंफाल घाटी में पूर्ण बंद
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर की इंफाल घाटी के पांच जिलों में मंगलवार शाम तेरह नागरिक समाज संगठनों ने 24 घंटे के पूर्ण बंद का आह्वान किया है. उन्होंने जिरीबाम में कथित रूप से अपहृत छह लोगों को छुड़ाने की मांग की है और क्षेत्र में नागरिकों पर ‘समन्वित हमलों’ का विरोध किया है.
विरोध में अग्रणी नागरिक निकायों में से एक इंटरनेशनल पीस एंड सोशल एडवांसमेंट (आईपीएसए) के अनुसार, बंद शाम 6 बजे शुरू हुआ और बुधवार शाम तक जारी रहेगा.
आईपीएसए ने कहा, ‘हम अपहृत छह लोगों को तत्काल छुड़ाने की मांग करते हैं. कुकी उग्रवादी बिना किसी कारण के असहाय मेईतेई लोगों पर हमला कर रहे हैं. राज्य में कानून का कोई शासन नहीं है, और सरकार कोट्रुक, सेनजाम चिरांग और कडांगबैंड में उग्रवादियों द्वारा समन्वित हमलों से नागरिकों की रक्षा करने में विफल रही है.’
बंद का समर्थन करने वाले नागरिक समाज समूहों में ऑल क्लब्स ऑर्गेनाइजेशन एसोसिएशन और मीरा पैबी लूप (ACOAM लूप), इंडिजिनस पीपुल्स एसोसिएशन ऑफ कांगलीपाक (आईपीएके) और कांगलीपाक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (केएसए) शामिल हैं.