नई दिल्ली: मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिरीबाम जिले में 7 नवंबर को मारी गई 31 वर्षीय आदिवासी महिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि हमलावरों ने उनके जीवित रहते हुए थर्ड डिग्री टॉर्चर किया और जला दिया, जिससे उनकी मौत हो गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पीड़िता को कील गढ़ाने और जलाने के साथ थर्ड डिग्री यातना दिए जाने की बात कही गई है.
मणिपुर पुलिस ने कहा कि वे आदिवासी महिला के जले हुए अवशेषों को पोस्टमार्टम के लिए इंफाल के बजाय जिरीबाम से 50 किमी दूर सिलचर ले गए, क्योंकि राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष के कारण शव को एनएच-37 से ले जाना बहुत असुविधाजनक था.
पड़ोसी राज्य असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज में पोस्टमार्टम किया गया, हालांकि इसमें यह पता नहीं चल सका कि ज़ैरावन गांव की आदिवासी महिला की हत्या से पहले उनसे बलात्कार किया गया था या नहीं, क्योंकि जले हुए शरीर को देखते हुए डॉक्टरों ने योनि से स्मीयर (smear) एकत्र करने की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया.
मालूम हो कि बीते 7 नवंबर को जिरीबाम जिले के ज़ैरावन हमार गांव में हथियारबंद हमलावरों ने हमला कर 31 वर्षीय आदिवासी महिला की हत्या कर दी थी. उनके परिवार का आरोप है कि उनसे बलात्कार कर फिर ज़िंदा जलाया गया. इस हमले में कम से कम 20 घरों को भी जला दिया गया था.
महिला के पति द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर जिरीबाम पुलिस ने बलात्कार का मामला भी दर्ज किया है. एफआईआर में उसके पति के हवाले से कहा गया है कि उसके साथ बलात्कार किया गया और फिर उसे उनके घर में बेरहमी से मार डाला गया.
उस रात ज़ैरावन में 17 घरों में लूटपाट करने और आग लगाने वाले अपराधियों के घाटी स्थित एक संगठन के सदस्य होने का संदेह है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दाहिनी जांघ के पिछले हिस्से में गहरी घाव और बायीं जांघ के मध्य भाग में धातु की कील धंसे होने का उल्लेख है. शव 99% जला हुआ पाया गया, यहां तक कि हड्डियों के टुकड़े भी जल गए थे.
रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए विसरा भी एकत्र नहीं कर सके, क्योंकि अधिकांश शरीर बुरी तरह जल चुका था.
अखबार के अनुसार, अन्य विवरण ऐसे हैं जिन्हें दोहराना मुश्किल है और जो महिला को दी गई यातना और दर्द का संकेत देते हैं.
वहीं, कुकी-ज़ो संगठनों ने महिला की हत्या की निंदा करते हुए इसे ‘बर्बर’ बताया और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हत्यारों की पहचान न कर पाने पर नाराजगी जताई है.
जिरीबाम और फ़ेरज़ावल जिलों में काम करने वाले कुकी-ज़ो नागरिक समाज संगठन- इंडिजिनस ट्राइबल एडवोकेसी कमेटी ने दोनों आदिवासी बहुल जिलों के कुकी-ज़ोमी-हमार लोगों की सुरक्षा के लिए केंद्र से हस्तक्षेप का अनुरोध किया. वहीं, चूड़ाचांदपुर के आदिवासी समुदायों के संगठन- इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने हमलावरों को गिरफ्तार नहीं किए जाने पर और अधिक अशांति की चेतावनी दी.
मालूम हो कि इस घटना के बाद बीते 11 नवंबर को जिरीबाम जिले के जकुराधोर और बोरोबेकरा क्षेत्र में संदिग्ध आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच बड़ी गोलीबारी हुई थी, जिसमें पुलिस ने दस उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. हालांकि, आदिवासी संगठनों दावा किया है कि वे उग्रवादी नहीं ‘गांव के स्वयंसेवक’ (village volunteers) थे.
इसके एक दिन बाद 12 नवंबर को इलाके से दो मेईतेई पुरुषों के शव बरामद किए गए. इलाके से तीन बच्चों सहित मेईतेई समुदाय के छह लोग अभी भी लापता हैं.
घटना के बाद राज्य में विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ा दी है.