देहरादून: प्रतिष्ठित स्कूल के परिसर में घुसकर दक्षिणपंथियों ने कथित मज़ार को ध्वस्त किया

देहरादून के नामी दून स्कूल में बुधवार को सनातन संस्कृति नाम के संगठन से जुड़े लोग दीवार फांदकर घुसे और कथित तौर पर मज़ार जैसी संरचना को ध्वस्त कर दिया. संगठन ने इसके लिए सरकारी अनुमति होने का दावा किया है, पर ज़िला प्रशासन का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया.

दून स्कूल, देहरादून (फोटोः दून वेबसाइट)

नई दिल्ली: देहरादून के प्रतिष्ठित ‘दून स्कूल’ के परिसर में मौजूद ‘एक मजार’ को एक ‘दक्षिणपंथी’ संगठन के लोगों ने धवस्त कर दिया. बताया गया है कि उपद्रवी स्कूल की बाउंड्री कूदकर परिसर के अंदर दाखिल हुए. 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार, सनातन संस्कृति नाम के संगठन ने यह दावा किया कि उन्होंने इस संरचना, जिसे मजार कहा जा रहा है, को धवस्त करने के लिए सरकारी अधिकारियों से अनुमति ली थी. उन्होंने बुधवार (13 नवंबर) को इस घटना का सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम भी किया था. 

देहरादून जिला प्रशासन ने इस बात से इनकार कर दिया कि उसने किसी तरह के ध्वंस के लिए कोई आदेश जारी किया था. 

डीएम सविन बंसल ने कहा, ‘जब हमें इस घटना के बारे में सूचित किया गया, तब हमारी टीम ने घटनास्थल का दौरा किया. स्थानीय लोगों से बात करने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि संरचना स्कूल के परिसर में ही थी.’

उन्होंने कहा कि इस घटना में प्रशासन की कोई भूमिका नहीं थी और प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि इस घटना के बाद क्षेत्र में क़ानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न न हो. 

उधर, सनातन संस्कृति की अध्यक्ष राधा धोनी ने दावा किया है कि यह मजार हाल ही में स्कूल के परिसर के भीतर बनाई गई और यह सार्वजनिक संस्थानों में धार्मिक संरचनाओं को प्रतिबंधित करने वाले मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना थी. 

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत के दौरान धोनी ने कहा, ‘जब हमने स्कूल के अधिकारियों से संपर्क किया, तो उन्होंने दावा किया कि यह एक पुरानी संरचना थी, जो पहले किसी निर्माण कार्य के दौरान क्षतिग्रस्त हो गई थी और स्कूल प्रशासन बस इसकी मरम्मत करवा रहा था. लेकिन यह स्पष्ट रूप से नई बनी लग रही थी.’ 

उन्होंने कहा, ‘मैं सड़क के पार अपने घर की छत से देखती थी कि निर्माण हाल ही में शुरू हुआ था और मजार जैसा दिखता था. स्कूल परिसर के अंदर इसकी अनुमति क्यों दी गई? और जब हमने उनसे पूछताछ की, तो स्कूल के कर्मचारियों ने हमें अंदर भी नहीं जाने दिया.’ 

दून स्कूल में देश के नामचीन लोगों के बच्चे पढ़ते हैं.  अधिकारियों ने बताया है कि स्कूल प्रशासन ने इस कृत्य को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है. 

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में आए दिन दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मस्जिदों और मजारों को गिराने की मांगे सामने आ रही हैं. 

पिछले महीने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक मस्जिद गिराने की मांग को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा निकाली गई रैली के हिंसक हो जाने के कारण पांच पुलिसकर्मी समेत 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे. 

उस ‘जन आक्रोश रैली’ का आयोजन संयुक्त सनातन धर्म रक्षक दल के बैनर तले किया गया था. इसमें बजरंग दल, देवभूमि रक्षा अभियान समेत अन्य दक्षिणपंथी संगठन और स्थानीय व्यापारी शामिल हुए थे. प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मस्जिद अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाई गई है, और  उनकी मांग थी कि इसे जल्द से जल्द यहां से हटाया जाए.

हालांकि, उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट मेहरबान सिंह बिष्ट ने एक संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया था कि मस्जिद के पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं और यह वक्फ बोर्ड द्वारा पंजीकृत भी है.

इसी महीने एक अन्य मामले में पिथौरागढ़ में मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया था. दक्षिणपंथी समूह के कई सदस्यों ने कुछ स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर एक रैली निकाल कर मांग की थी कि एक घर के अंदर अवैध रूप से बनाई गई मस्जिद को हटाया जाना चाहिए.