मणिपुर: जिरीबाम में महिला और दो बच्चों के शव मिले, लापता लोगों में से होने की आशंका

मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिरीबाम की एक नदी में शुक्रवार शाम को एक महिला और दो बच्चों के शव मिले हैं. माना जा रहा है कि ये 11 नवंबर से लापता छह लोगों में से कुछ के हो सकते हैं. अधिकारियों के अनुसार, शवों का का विवरण लापता लोगों में से तीन से मेल खा रहा है.

(प्रतीकात्मक फोटो: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: मणिपुर के हिंसाग्रस्त जिरीबाम के जिरी नदी में शुक्रवार शाम को एक महिला और दो बच्चों के शव तैरते मिले. माना जा रहा है कि ये शव सोमवार (11 नवंबर) से लापता छह लोगों में से हो सकते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम पुलिस ने बताया कि शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया है.

बीते 11 नवंबर को इलाके में हिंसा के बाद जिरीबाम के बोरोबेकरा से एक ही परिवार के छह लोग – तीन महिलाएं और तीन बच्चे, जिनमें एक शिशु भी शामिल है – लापता हो गए थे. सभी छह मेईतेई समुदाय से हैं और जून में इलाके में हिंसा भड़कने के बाद बोरोबेकरा थाने में बनाए गए एक राहत शिविर में रह रहे थे.

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, हालांकि परिवार के सदस्य अभी तक शवों की पहचान नहीं कर पाए हैं, लेकिन उनका विवरण लापता लोगों में से तीन से मेल खाते हैं.

एक अधिकारी के अनुसार, उन्हें सूचना मिली थी कि नदी में शव तैरते हुए देखे गए हैं, जिसके बाद असम राइफल्स के जवानों ने उन्हें बरामद किया. जिस इलाके से उन्हें बरामद किया गया है, उसे जीरीमुख कहते हैं, जहां जिरी नदी बराक नदी से मिलती है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्र ने कहा, ‘हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि ये शव लापता पीड़ितों के हैं, हम पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं. हालांकि, शव उस जगह के नज़दीक पाए गए, जहां से अपहरण हुआ था.’

पुलिस के एक सूत्र ने कहा कि शव सड़ी-गली हालत में थे, जिससे संकेत मिलता है कि उनकी हत्या कुछ दिन पहले की गई थी.

जिन लोगों का अपहरण किया गया था, उनमें एक 25 वर्षीय महिला और उनके दो बच्चे- एक आठ महीने का बच्चा और एक दो साल का लड़का, एक 31 वर्षीय महिला और उनकी आठ वर्षीय बेटी और एक 60 वर्षीय महिला शामिल हैं. ये सभी छह लोग एक ही परिवार से हैं.

लैशाराम हीरोजीत एक पुलिसकर्मी हैं और लापता बच्चों में से दो के पिता हैं. उन्होंने द हिंदू को बताया कि सितंबर में उन्होंने अपने परिवार को उनकी सुरक्षा के लिए जिरीबाम में अपनी मां के घर भेज दिया था क्योंकि वह दूसरे अस्थिर क्षेत्र में तैनात हैं. हीरोजीत ने वरिष्ठ पुलिसकर्मियों की मदद से शुक्रवार (15 नवंबर) को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, हालांकि वह जिरीबाम नहीं जा सके.

हीरोजीत ने कहा, ‘मैंने आखिरी बार 11 नवंबर को दोपहर करीब 3:30 बजे अपनी पत्नी से बात की थी. जब वे (सशस्त्र उग्रवादी) घर में घुसे तो वह बच्चों के साथ बिस्तर के नीचे छिपी हुई थी. हमने 30 से 40 सेकंड तक बात की और फिर कॉल डिस्कनेक्ट हो गई. तबसे उनसे कोई बात नहीं हुई.’

उधर, मेईतेई समूह आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें हथियारबंद हमार लोगों ने अगवा किया है, जो कथित तौर पर उग्रवादी हैं और जिन्होंने सोमवार की सुबह इलाके पर हमला किया था.

ज्ञात हो कि राहत शिविर में हुई हिंसा के बाद सुरक्षा बलों ने 10 हथियारबंद लोगों को मार गिराया था, जिन्हें लेखर उनका दावा था कि वे उग्रवादी थे. इस सप्ताह की शुरुआत में राहत शिविर में रहने वाले दो बुजुर्ग लोगों के शव इलाके में मिले थे, जो मेईतेई समुदाय से थे.

छह लापता लोगों की तलाश के लिए इलाके में तलाशी अभियान चलाया जा रहा था, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. उनके कथित अपहरण से जिरीबाम और राज्य की मध्य मेईतेई बहुल घाटी में आक्रोश फैल गया, समूहों ने प्रदर्शन किए और उनकी रिहाई की मांग की.

कथित मुठभेड़ में दस लोगों के मारे जाने के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 11 नवंबर को जिरीबाम में हुई मुठभेड़ में 10 कथित सशस्त्र उग्रवादियों के मारे जाने के बाद सीआरपीएफ और मणिपुर पुलिस के खिलाफ आक्रोश शुक्रवार को चूड़ाचांदपुर तक फैल गया – जहां सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को याचिकाएं दी गईं और न्यायिक जांच के लिए अभियान चलाया गया.

जिला मुख्यालय के कोइते खेल मैदान में कुकी महिला मानवाधिकार संगठन के साथ सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन किया. उन्होंने सीआरपीएफ के खिलाफ नारे लगाए और मारे गए लोगों के परिवारों के लिए न्याय की मांग करते हुए तख्तियां पकड़े हुए थे.

कुकी-जो नागरिक समूहों का कहना है कि मुठभेड़ में मरने वाले दस लोग उग्रवादी नहीं, विलेज वालंटियर (village volunteers) थे, जो घाटी में रहने वाले घुसपैठियों के हमलों से अपने गांवों और नागरिकों की रक्षा कर रहे थे.

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हमार-मिजो समुदाय के 11 लोगों की मौत पर दुख और आक्रोश व्यक्त करने के लिए सैकड़ों लोगों ने शुक्रवार शाम को मिजोरम के आइजोल में मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. वनपा हॉल के सामने आयोजित कार्यक्रम का आयोजन मिजो डिफेंस लीग ने किया था.

प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने 7 नवंबर को जिरीबाम शहर के पास जैरावन गांव में हमार आदिवासी महिला, जो तीन बच्चों की मां थी, की हत्या की निंदा करते हुए नारे लगाए.

उन्होंने 11 नवंबर को जिरीबाम के जकुराधोर में सुरक्षा बलों द्वारा हमार-मिजो समुदाय के 10 और लोगों की हत्या के लिए भी विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मणिपुर सरकार के साथ-साथ केंद्र पर मेईतेई लोगों और कुकी-जो समुदाय के बीच जातीय हिंसा को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया.

प्रदर्शनकारियों ने यह भी मांग की कि असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएमसीएच) के शवगृह में रखे गए 10 लोगों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए तुरंत उनके परिवारों को सौंप दिया जाए.