मणिपुर: हिंसा काबू करने में विफलता के आरोप पर एनपीपी ने भाजपा सरकार का साथ छोड़ा

मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सात विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी, कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी ने सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस लेते हुए कहा कि एन. बीरेन सिंह की सरकार राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रही है.

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा. (फोटो साभार: फेसबुक/@conradksangma)

नई दिल्ली: मणिपुर में संकट ने रविवार को एक और मोड़ ले लिया, जब भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सात विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी कोनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने सत्तारूढ़ गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया और कहा कि यह ‘सामान्य स्थिति बहाल करने’ में विफल रही है. संगमा की पार्टी ने इस पर गहरी चिंता भी व्यक्त की.

हालांकि, इस कदम से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को तुरंत कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 37 विधायकों के साथ पर्याप्त बहुमत है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, समर्थन वापस लेने की घोषणा करते हुए एनपीपी प्रमुख कोनराड संगमा ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली मणिपुर राज्य सरकार संकट को हल करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रही है. मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने मणिपुर राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है.’

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को संबोधित पत्र में कहा गया है, ‘पिछले कुछ दिनों में हमने स्थिति को और बिगड़ते देखा है, जहां कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और राज्य के लोग भारी पीड़ा से गुजर रहे हैं.’

समर्थन वापस लिए जाने के कुछ घंटों बाद ही विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर तीखा हमला बोल दिया. कांग्रेस के राज्य प्रमुख के मेघचंद्र ने घोषणा की कि अगर मणिपुर के लोग शांति लाने के लिए नया जनादेश चाहते हैं तो वे और पार्टी के चार अन्य विधायक सदन से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.

यह राजनीतिक उथल-पुथल ऐसे समय में शुरू हुई है, जब जिरीबाम नदी में एक मेईतेई महिला और दो बच्चों के शव मिलने के बाद भीड़ ने राज्य के कई मंत्रियों और विधायकों के घरों को जला दिया है. संदिग्ध हमार उग्रवादियों द्वारा कथित हमले के बाद तीनों जिले के एक राहत शिविर से लापता हो गए थे. इस हमले में सीआरपीएफ की गोलीबारी में दस संदिग्ध हमार बंदूकधारी भी मारे गए थे.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को बराक नदी में दो और शव बरामद किए गए. दक्षिणी असम में बराक नदी में एक महिला और एक बच्ची के शव बोरी में भरकर बहकर आए थे. कछार के एसपी नुमल महत्ता ने कहा कि दोनों शवों को सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है.

भाजपा के भीतर असंतोष: रिपोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह ताजा घटनाक्रम भाजपा के भीतर असंतोष की खबरों के बीच सामने आया है, जिसमें पार्टी के कुछ विधायक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि शाह ने अभी तक उनसे मुलाकात नहीं की है.

लामलाई से भाजपा विधायक खोंगबंताबाम इबोम्चा ने कहा, ‘भाजपा विधायकों के इस्तीफा देने की अफवाहें थीं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है.’

हालांकि, बीरेन सिंह कैबिनेट के एक मंत्री ने कहा कि कोई और विधायक दिल्ली नहीं गया है. उन्होंने कहा, ‘कुछ विधायक पहले से ही वहां डेरा डाले हुए हैं और कुछ अन्य ताजा हिंसा से पहले चले गए थे. समय-समय पर इस्तीफों की अफवाहें फैलती रहती हैं. विधायकों का एक समूह मुख्यमंत्री को बाहर करना चाहता है.’

इस बीच, शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति पर नज़र रखने के लिए महाराष्ट्र में अपने राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए, जहां चुनाव नज़दीक हैं. सूत्रों ने बताया कि शाह ने वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और सोमवार को एक और बैठक तय की गई है.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘गृह मंत्री ने निर्देश दिया है कि शांति बहाली प्राथमिकता है और इसे हासिल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए. आज कुछ निर्देश दिए गए. गृह मंत्री कल समीक्षा करेंगे कि इनमें से कितने निर्देश जमीनी स्तर पर लागू किए गए हैं.’

सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्री ने सीआरपीएफ के महानिदेशक अनीश दयाल सिंह को भी इंफाल भेजा है, जो मणिपुर कैडर से हैं. वहीं, भारतीय सेना की 3 कोर के कमांडर रविवार दोपहर राज्य में पहुंचे.

भाजपा विधायक इबोमचा ने कहा, ‘कुकी उग्रवादियों द्वारा महिलाओं और बच्चों की हत्या से लेकर घाटी में आफस्पा लागू करने तक कई घटनाएं हुई हैं, जिससे लोग नाराज हैं. मंत्रियों और विधायकों के घर जला दिए गए. हमें पता चला है कि गृह मंत्री ने स्थिति से निपटने के लिए महाराष्ट्र की अपनी यात्रा रद्द कर दी है. हमें यह भी पता चला है कि इस मुद्दे पर एक बैठक हुई है, लेकिन मुझे नहीं पता कि क्या निर्णय लिया गया है.’

खुरई विधायक एल.  सुसिंद्रो, जो मणिपुर में अपने घर को जलाए जाने के समय दिल्ली में थे, ने कहा, ‘मैं गृह मंत्री से नहीं मिला, मैं अब इंफाल वापस आ गया हूं. जब मैं बाहर था, तब मेरा घर जला दिया गया. मैं अपना सामान इकट्ठा करने में व्यस्त हूं.’

सूत्रों ने बताया कि बड़ी संख्या में विधायक चाहते हैं कि दिल्ली सरकार निर्णायक कार्रवाई करे. कुछ महीने पहले 19 विधायकों ने केंद्र को ज्ञापन सौंपा था कि हिंसा को खत्म करने के लिए क्या किया जाना चाहिए.

एक अन्य विधायक, जिन्हें मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है और उनका घर शनिवार को जला दिया गया था, ने कहा, ‘लोग गुस्से में हैं, भावनाएं उफान पर हैं. उन्हें नहीं पता कि कहां जाएं, इसलिए वे अपना गुस्सा हम पर निकाल रहे हैं.’

विधायक के अनुसार, कुछ अन्य विधायक इस्तीफा देने की बात कर रहे हैं. विधायक ने कहा, ‘उनके पास कोई विकल्प नहीं है. स्थिति हाथ से निकल चुकी है. लोग देख रहे हैं कि जनप्रतिनिधि उनकी रक्षा करने में असमर्थ हैं. स्वाभाविक रूप से कुछ लोगों के लिए पद पर बने रहना मुश्किल होगा.’

लेकिन विधायक ने कहा कि इसका जिम्मेदार केंद्र है. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री शक्तिहीन हैं. सब कुछ सुरक्षा सलाहकार (कुलदीप सिंह) द्वारा प्रबंधित किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री के हाथ-पैर बांध दिए गए हैं और उन्हें नदी में फेंक दिया गया है. आप उनसे तैरने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?’