नई दिल्ली: मणिपुर के सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने सोमवार (18 नवंबर) जिरीबाम जिले में महिलाओं और बच्चों की हत्या के मद्देनजर को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र से ‘आफस्पा लगाने की समीक्षा’ करने और हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों को सात दिनों के भीतर गैरकानूनी संगठन घोषित करने का आग्रह किया गया.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में विधायकों ने 11 नवंबर की हिंसा के दौरान जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों के अपहरण और हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की मांग की.
मुख्यमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आज सत्तारूढ़ विधायकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें हमने जिरीबाम में हाल ही में हुई निर्दोष लोगों की हत्या की कड़ी निंदा की. निश्चिंत रहें, न्याय सुनिश्चित किया जाएगा और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. राज्य में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आफस्पा और कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए.’
प्रस्ताव में तीन प्रमुख मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को स्थानांतरित करने के कैबिनेट के पहले के फैसले का भी समर्थन किया गया. इन मामलों में जिरीबाम में छह मेईतेई महिलाओं और बच्चों की हत्या, 7 नवंबर को जिरीबाम में एक हमार आदिवासी महिला को जलाने की घटना और 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले के सैटोन में एक मेईतेई महिला किसान हत्या शामिल हैं.
प्रस्ताव में कहा गया है कि यदि इन्हें ‘निर्धारित अवधि के भीतर लागू नहीं किया गया, तो एनडीए विधायक राज्य के लोगों के परामर्श से आगे की कार्रवाई का फैसला करेंगे.’
इसमें यह भी कहा गया है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान विधायकों के घरों में तोड़फोड़ करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 14 नवंबर को मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के मद्देनजर राज्य के पांच जिलों के छह पुलिस थाना क्षेत्रों को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करते हुए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (आफस्पा) को फिर से लागू कर दिया. हालांकि, राज्य सरकार ने इसे जनहित में वापस लेने को कहा है.
बीते 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और कथित कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद जिरीबाम से लापता हुए छह लोगों में से पांच के शव पिछले कुछ दिनों में असम के कछार में जिरी नदी और बराक नदी में पाए गए और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया.
कांग्रेस ने की गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग
पिछले कुछ हफ्तों में मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच कांग्रेस ने सोमवार (18 नवंबर) को मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच विभाजन को हल करने में केंद्र की ‘विफलता’ को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की.
मुख्य विपक्षी दल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर का दौरा करने और शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए 25 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया.
कांग्रेस पार्टी ने यह भी कहा कि 31 जुलाई 2024 से मणिपुर में कोई पूर्णकालिक राज्यपाल नहीं है और सवाल उठाया कि एक आदिवासी महिला (अनुसुइया उइके) राज्यपाल को मणिपुर का कार्यभार संभालने के सिर्फ 18 महीने बाद ही क्यों हटा दिया गया.
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पार्टी के महासचिव जयराम रमेश, मणिपुर कांग्रेस प्रमुख के. मेघचंद्र सिंह और राज्य के एआईसीसी प्रभारी गिरीश चोडनकर ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के तत्काल इस्तीफे की भी मांग की.
रमेश ने कहा, ‘3 मई, 2023 से मणिपुर जल रहा है और प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के विभिन्न देशों का दौरा कर रहे हैं, उपदेश दे रहे हैं, लेकिन मणिपुर जाने का समय नहीं निकाल पा रहे हैं. इसलिए हमारी पहली मांग है कि प्रधानमंत्री संसद सत्र से पहले मणिपुर का दौरा करें और राजनीतिक दलों, नेताओं, नागरिक समाज समूहों और राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मिलें.’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने यह भी मांग की है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलें और फिर राष्ट्रीय स्तर पर सर्वदलीय बैठक भी बुलाएं.
कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर को गृह मंत्री को आउटसोर्स कर दिया है. कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘गृह मंत्री और विफल मुख्यमंत्री के बीच अजीब जुगलबंदी है. गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री की विफलताओं का संज्ञान क्यों नहीं लिया और उन्हें बचाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? पिछले 18 महीनों में गृह मंत्री की एकमात्र उपलब्धि मुख्यमंत्री को बचाना है.’
रमेश ने कहा कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में सिर्फ़ पांच विधायकों वाली कांग्रेस न तो विश्वास मत के लिए दबाव डालेगी और न ही राष्ट्रपति शासन की मांग करेगी, और सवाल किया, ‘जैसा कि अभी है, केंद्र राज्य का प्रशासन संभाल रहा है. इससे क्या फर्क पड़ेगा?’
उन्होंने कहा, ‘2022 के चुनावों में भाजपा को 60 में से 32 सीटें मिलीं. लेकिन सत्ता में आने के 15 महीने के भीतर ही मणिपुर जलने लगा. डबल इंजन सरकार विफल हो गई है और पटरी से उतर गई है. गृह मंत्री सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. हम चाहते हैं कि गृह मंत्री इस्तीफा दें क्योंकि यह उनकी जिम्मेदारी है.’
वहीं, मणिपुर कांग्रेस प्रमुख के मेघचंद्र सिंह ने कहा कि डबल इंजन सरकार के तहत राज्य में अभूतपूर्व उथल-पुथल और पूर्ण अराजकता व्याप्त है.
चोडनकर ने बताया कि हिंसा ने महंगाई की दर को भी बढ़ा दिया है जो वर्तमान में 10% है. उन्होंने कहा कि लंबे समय तक स्कूल बंद रहने और नौकरी छूटने की उच्च दर के कारण हिंसा के इन 18 महीनों ने राज्य में सभी को प्रभावित किया है.