मणिपुर हिंसा: खरगे का राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का आग्रह, कहा- राज्य का सीएम, पीएम से भरोसा उठा

मणिपुर में हालिया हिंसा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की निष्क्रियता के चलते राज्य में पूरी तरह से अराजकता है, मानवाधिकार हनन, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता और देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का दमन हुआ है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार (19 नवंबर) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर केंद्र सरकार की निष्क्रियता के मद्देनजर मणिपुर में बिगड़ते हालात पर हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, अपने पत्र में उन्होंने कहा कि किस प्रकार मणिपुर में स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है और उन्होंने राज्य तथा केंद्र सरकार की ‘चुप्पी’ तथा निष्क्रियता पर भी प्रकाश डाला, जिसके कारण 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, लोग विस्थापित हो रहे हैं, अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ रहा है तथा अन्य कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.

उन्होंने कहा कि लोगों का सरकार पर ‘अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा’ को लेकर भरोसा खत्म हो गया है. उन्होंने लिखा, ‘सरकारों से कोई मदद न मिलने के कारण वे 540 दिनों से ज़्यादा समय से खुद को पूरी तरह से अलग-थलग और असहाय पा रहे हैं. दरअसल, उनका भारत के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री पर से भरोसा उठ गया है कि वे अपनी जान और माल की रक्षा करेंगे.’

खरगे ने कहा कि ‘जानबूझकर की गई चूक’ और केंद्र तथा राज्य सरकारों की अत्यधिक निष्क्रियता के कारण पूरी तरह से अराजकता, कानून के शासन का अभाव, मानवाधिकारों का उल्लंघन, राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता और हमारे देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का दमन हुआ है.

कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘माननीय महोदया, भारत गणराज्य की राष्ट्रपति और हमारे संविधान के संरक्षक के रूप में यह आपके लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य हो गया है कि आप संवैधानिक औचित्य को बनाए रखें और मणिपुर में हमारे अपने नागरिकों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत हस्तक्षेप करें, जैसा कि संविधान में निहित है.’

खरगे ने लिखा, ‘मुझे विश्वास है कि आपके सम्मानित कार्यालय के हस्तक्षेप से मणिपुर के लोग फिर से अपने घरों में सुरक्षा और सम्मान के साथ शांतिपूर्वक रहेंगे.’

खरगे का यह पत्र कांग्रेस द्वारा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे और राज्य की स्थिति पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग के एक दिन बाद आया है.

मुख्यमंत्री की बैठक में शामिल नहीं होने पर 11 विधायकों को नोटिस

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर के मुख्यमंत्री सचिवालय ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के लिए सोमवार (18 नवंबर) को मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल न होने पर मंत्रियों सहित 11 विधायकों को नोटिस भेजा है.

जिन विधायकों से अनुपस्थिति का कारण पूछा गया उनमें क्षेत्रगांव से नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के शेख नूरुल हसन भी शामिल हैं, जिसने रविवार को भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

उधर, एनपीपी ने भी अपने सात विधायकों में से तीन को समर्थ वापस लेने के बावजूद बैठक में भाग लेने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन विधायकों में काकचिंग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले मायांगलम्बम रामेश्वर सिंह, मोइरांग के थोंगम शांति सिंह और ओइनम के इरेंगबाम नलिनी देवी शामिल हैं.

इंफाल घाटी स्थित एनपीपी के एक नेता ने अखबार को बताया, ‘हमारे तामेंगलोंग विधायक जंगहेमलुंग पानमेई बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन किसी ने उनके फर्जी दस्तखत बनाकर यह दिखाने की कोशिश की है कि वह बैठक में मौजूद थे.’

उन्होंने कहा, ‘हमारी राज्य समिति ने हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा को पत्र लिखा, जिन्होंने पार्टी के रुख का उल्लंघन करने वाले तीन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.’

हसन और केशामथोंग सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले एक स्वतंत्र विधायक सपाम निशिकांत सिंह को छोड़कर, मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा नोटिस दिए गए सभी विधायक भाजपा के सदस्य हैं. उनमें से खुमुकचम जॉयकिसन (थांगमेइबंद) और मोहम्मद अचब उद्दीन (जिरीबाम) जनता दल (यूनाइटेड) से आए थे.