नई दिल्ली: केंद्र ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में दूरसंचार ऑपरेटरों को नागरिकों के सभी कॉल रिकॉर्ड पांच साल की अवधि तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है.
द ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया कि गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा दूरसंचार विभाग (डीओटी) को इस संबंध में निर्देश दिए जाने के बाद दूरसंचार ऑपरेटरों को ये निर्देश जारी किए गए.
कॉल रिकॉर्ड को संरक्षित करने के निर्देश म्यांमार सीमा पार के चरमपंथियों के साथ सशस्त्र आतंकवादियों के संपर्क में होने की संभावना का पता लगाने के लिए जारी किए गए हैं.
सूत्रों ने बताया कि हाल ही में हुई एक बैठक में दूरसंचार ऑपरेटरों से मणिपुर के लोगों के सीडीआर को पांच साल तक बनाए रखने को कहा गया.
यह कदम सशस्त्र उग्रवादियों द्वारा की जा रही हिंसा की घटनाओं के बीच उठाया गया है, सुरक्षा एजेंसियों को संदेह है कि वे अत्याधुनिक हथियारों से लैस हैं, इस तथ्य से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि म्यांमार सीमा पार सक्रिय चरमपंथियों द्वारा उग्रवादियों को हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं.
मालूम हो कि जिरीबाम जिले के एक आदिवासी बहुल गांव में हथियारबंद लोगों द्वारा लूटपाट की गई थी, जिसमें एक आदिवासी महिला को गोली मार दी गई और कथित तौर पर उसके साथ बलात्कार किया गया, फिर उसे जलाकर मार दिया गया. यह घटना 7 नवंबर को हुई थी.
इस घटना के बाद बीते 11 नवंबर को जिरीबाम जिले के जकुराधोर और बोरोबेकरा क्षेत्र में संदिग्ध आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच बड़ी गोलीबारी हुई थी, जिसमें पुलिस ने दस उग्रवादियों को मारने का दावा किया था. हालांकि, आदिवासी संगठनों दावा किया है कि वे उग्रवादी नहीं ‘ग्रामीण स्वयंसेवक’ (village volunteers) थे.
इसके एक दिन बाद 12 नवंबर को इलाके से दो मेईतेई पुरुषों के शव बरामद किए गए. इलाके से तीन बच्चों सहित मेईतेई समुदाय के छह लोग लापता हो गए थे.
उसके बाद लापता हुए छह लोगों के शव कुछ दिनों में – 15 नवंबर, 17 नवंबर और 18 नवंबर को असम के कछार में जिरी नदी और बराक नदी में पाए गए थे और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया था.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से तीन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उनके शवों को नदी में फेंकने से पहले उन्हें कई बार गोली मारी गई थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों में से एक 3 वर्षीय बच्चे की ठोड़ी पर गोली का घाव था और उसकी दाहिनी आंख गायब थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि शव पर कई घाव थे, जो किसी कुंद वस्तु से चोट लगने का संकेत देते हैं.
पिछले सप्ताह जिरीबाम से लापता हुए छह लोगों को लेकर इंफाल घाटी में तनाव बढ़कर हिंसा में बदल गया था, जिसके बाद अधिकारियों ने घाटी के कई जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया था और अशांति को रोकने के लिए इन जिलों के साथ-साथ कुकी-जो बहुल दो पहाड़ी जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी थी.
इस बीच, राज्य सरकार ने नौ जिलों में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं पर प्रतिबंध को 26 नवंबर तक बढ़ा दिया है. मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध के साथ-साथ वीसैट और वीपीएन सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
राज्य में जातीय हिंसा पिछले साल मई में भड़की थी, जिसके बाद मेईतेई और कुकी-ज़ो के बीच अलगाव लगभग पूर्ण स्तर पर पहुंच गया. दोनों समुदायों को सुरक्षा बलों द्वारा गश्त किए जाने वाले बफर ज़ोन द्वारा भौतिक रूप से अलग किया गया है.
विपक्षी कांग्रेस ने मणिपुर में जारी हिंसा को रोकने में विफल रहने का हवाला देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की है, साथ ही मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे की भी मांग की है.