नई दिल्ली: असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसएमसीएच) में किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए 10 कुकी-जो युवकों को कई गोलियां लगीं, जिनमें से अधिकतर पीछे से लगीं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने के घाव और उसके परिणामस्वरूप होने वाले प्रभावों के अलावा यातना के कोई संकेत नहीं मिले हैं.
ज्ञात हो कि मणिपुर के जिरीबाम जिले में बोरोबेकरा पुलिस थाने के पास 11 नवंबर को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कथित तौर पर ये युवक मारे गए थे, जिनमें से एक नाबालिग है. पुलिस ने दावा किया कि मारे गए लोग उग्रवादी थे जिन्होंने थाने और पास के सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया था.
हालांकि, कुकी-जो नागरिक समूहों का कहना है कि मुठभेड़ में मरने वाले दस लोग उग्रवादी नहीं, विलेज वालंटियर (village volunteers) थे, जो घाटी में रहने वाले घुसपैठियों के हमलों से अपने गांवों और नागरिकों की रक्षा कर रहे थे.
पीड़ितों की पहचान रामनेइलियन (29), फिमलिएन कुंग नगुरते (31), एल्विस लालरोपेई ज़ोटे (21), लालथानेई (22), जोसेफ लालडिटम (19), फ्रांसिस लालजारलीन (25), रौलनेसांग (30), लालसिमलिएन हमार (30), हेनरी लालसांगलीन (25) और रॉबर्ट लालनंटलुओंग (16) के रूप में हुई है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि ज़्यादातर शव खाकी कपड़े पहने हुए थे. 12 नवंबर को छह शव एसएमसीएच पहुंचे और 14 नवंबर को चार, ये शव सड़ने की शुरुआती अवस्था में पहुंचे.
रिपोर्ट में पहले समूह के लिए मृत्यु का समय जांच से 24-36 घंटे पहले तथा दूसरे समूह के लिए 72-96 घंटे पहले बताया गया है, सिवाय एक हमार व्यक्ति को छोड़कर जिनकी मृत्यु का अनुमानित समय 48-72 घंटे पहले बताया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक शव पर गोलियों के कई घाव थे. कुछ पर एक दर्जन से ज़्यादा घाव थे. तीन डॉक्टरों की टीम द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़ितों के शरीर पर गोलियां लगी थीं, ज़्यादातर गोलियां पीछे से चलाई गई थीं. पीड़ितों में से चार (नगुरते, लालज़ारलीन, हमार और लालसांगलीन) की एक-एक आंख नहीं थी.
मौत का अंतिम कारण अभी भी पता नहीं चल पाया है, जिसके लिए गुवाहाटी में फॉरेंसिक साइंस निदेशालय से रासायनिक विश्लेषण रिपोर्ट का इंतजार है.
इस बीच, कुकी-जो संगठन, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने कहा कि अंतिम संस्कार 5 दिसंबर को चूड़ाचांदपुर जिले में किया जाएगा. आईटीएलएफ ने पहले कहा था, ‘कुकी-जो युवकों का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा जब तक कि उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट परिवारों को नहीं सौंप दी जाती.’
शवों को 16 नवंबर को सिलचर से चूड़ाचांदपुर ले जाया गया और वे स्थानीय मुर्दाघर में रखे गए हैं. आईटीएलएफ का दावा है कि मृतक गांव के वालंटियर थे, जबकि मणिपुर सरकार का कहना है कि वे उग्रवादी थे.
नौ जिलों में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध 3 दिसंबर तक बढ़ाया गया
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर सरकार ने रविवार को राज्य के नौ जिलों में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध की अवधि दो दिन के लिए 3 दिसंबर तक बढ़ा दी.
गृह विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, काकचिंग, बिष्णुपुर, थौबल, चूड़ाचांदपुर, कांगपोकपी, फेरजावल और जिरीबाम में इंटरनेट प्रतिबंध की अवधि बढ़ा दी गई है.
आदेश में कहा गया है, ‘राज्य सरकार ने मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति और इंटरनेट सेवाओं के सामान्य संचालन के साथ इसके संबंध की समीक्षा करने के बाद जनहित में मणिपुर के इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, काकचिंग, बिष्णुपुर, थौबल, चूड़ाचांदपुर, कांगपोकपी, फेरजावल और जिरीबाम के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में वीएसएटी और वीपीएन सेवाओं सहित मोबाइल इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को 3 दिसंबर की शाम 5.15 बजे तक निलंबित रखने का फैसला किया है.’
मणिपुर और असम में क्रमशः जिरी और बराक नदियों में तीन महिलाओं और तीन बच्चों के शव बरामद होने के बाद राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 16 नवंबर से इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित हैं.
मणिपुर सरकार ने आम लोगों, स्वास्थ्य सुविधाओं, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य कार्यालयों को होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए 19 नवंबर को ब्रॉडबैंड सेवाओं (आईएलएल और एफटीटीएच) पर निलंबन सशर्त रूप से हटा दिया था.
हालांकि, आदेश में कहा गया था कि ग्राहकों को अनुमति प्राप्त कनेक्शन के अलावा कोई अन्य कनेक्शन स्वीकार नहीं करना चाहिए और किसी भी वाईफाई या हॉटस्पॉट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.